जीआईए पहुंची हाईकोर्ट की शरण में
सच कहूँ/संजय मेहरा, गुरुग्राम। हरियाणा के उद्योगों में हरियाणा के युवाओं के लिए 75 फीसदी आरक्षण के मुद्दे पर गुरुग्राम के उद्योगपति सहमत नहीं हैं। उद्योगपतियों द्वारा हरियाणा में 75 प्रतिशत आरक्षण का विरोध किया जा रहा है। इस मामले में गुरुग्राम इंडस्ट्रीयल एसोसिएशन ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। उद्योगपतियों का कहना है कि यह कानून उद्योगों के हित में नहीं है। इस कानून से उद्योगों में मारुति सुजूकी जैसी घटना हो सकती है।
340 इंडस्ट्री की गुरुग्राम इंस्ट्रीयल एसोसिएशन (जीआईए) से जुड़े उद्योगपतियों का कहना है कि आरक्षण योग्यता के आधार पर होना चाहिए। यह कानून उद्योगों को हरियाणा से पलायन करने पर मजबूर करेगा। ऐसे कानून को उद्योगों पर थोपकर सरकार उद्योगों की परेशानी बढ़ा रही है। अगर यह कानून रद्द नहीं हुआ तो राजस्थान, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में इंडस्ट्रीज को यहां से शिफ्ट करना पड़ेगा। जीआईए की ओर से 75 फीसदी आरक्षण को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। इस कानून को खारिज करने की मांग की गई है।
नौकरियों कौशल से मिलें
जीआईए से जुड़े उद्योगपति लोकेंद्र तोमर, इंद्रजीत आहुजा, अनुज छाबड़ा का कहना है कि जब से 75 फीसदी नौकरियों में आरक्षण का कानून का ड्राफ्ट तैयार हुआ था, तभी से तमाम इंडस्ट्रीज सरकार के इस फैसले का विरोध कर रही थी। इसके बावजूद यह कानून बनाया गया। उनका कहना है कि आरक्षण योग्यता के आधार पर होना चाहिए, ना कि इलाके के आधार पर। निजी क्षेत्र की नौकरियां पूरी तरह से योग्यता व कौशल पर आधारित होती है।
दादागिरी बढ़ेगी, रद्द हो कानून
उद्योगपति जगतपाल सिंह राजेश सिंह, अमित गर्ग ने कहा कि इस कानून से औद्योगिक इकाइयों में दादागिरी और झगड़े बढ़ने की संभावना बढ़ेगी। जो घटना वर्षों पूर्व मारुति सुजूकी के प्लांट में घटी थी, ऐसे कानून से ऐसी घटना अन्य औद्योगिक इकाइयों में भी घट सकती है। ऐसे में सरकार को यह कानून रदद् करना चाहिए। नहीं तो मजबूरन इंडस्ट्रीज को यहां से पलायन करना पड़ेगा। जिससे जो रोजगार मिल रहा है वह भी खत्म हो जाएगा।
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