सरसा। पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि मनुष्य का असली काम ईश्वर, अल्लाह, वाहेगुरु, राम का नाम जपना है, बाकी जितने भी कार्य दुनिया में रहता हुआ यह इन्सान करता है, सबके सब जिस्म (शरीर) से संबंधित हैं। जब शरीर ही साथ नहीं जाएगा तो शरीर से जो काम-धंधे ताल्लुक रखते हैं, वो साथ कैसे जा सकते हैं? दोनों जहान में सच्चा मददगार अगर कोई है तो वो एक ही है ओम, अल्लाह, वाहेगुरु का नाम। वही एक मात्र ऐेसा धन है, जिसे चिता की आग जला नहीं सकती, हवा उड़ा नहीं सकती, धरती गला-सड़ा नहीं सकती। वो राम-नाम का धन, अल्लाह, वाहेगुरु की याद का धन हमेशा आत्मा के साथ रहता है और यहां-वहां दोनों जहान में सच्चा मददगार होता है।
पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि ईश्वर के नाम को छोड़कर बाकी सभी कार्य काल के कार्यक्षेत्र में आते हैं। हर धर्म, मजहब में मालिक के पहुंचे हुए संत, पीर-फकीर, पैगम्बर, गुरु-महापुरुषों ने यह लिखा है कि सब कुछ फनाहकारी, तबाहकारी, नाशवान है। जो आंखें देखती हैं, खत्म होने वाला है। दुनिया की तरफ से आंखें बंद करके जब इन्सान अल्लाह, वाहेगुरु, राम की तरफ अपनी आंखें लगाते हैं, तब अंदर वो आंख खुलती है और यही आंखें फिर सच देखती हैं। आप जी फरमाते हैं कि नाम लेने से इन्सान अपने आपको हल्का महसूस करता है। नाम का सुमिरन इन्सान के पाप-कर्मों को जलाकर राख कर देता है।
जैसे लाखों मण घास का ढेर होता है, उसमें छोटी-सी चिंगारी आग की डाल दें तो वो घास को जलाकर राख कर देगी, उसी तरह इन्सान के जन्मों-जन्मों के पाप-कर्म हैं। अगर इन्सान अल्लाह, वाहेगुरु का नाम-सुमिरन करते हैं तो राम-नाम की वो शांतिभरी चिंगारी पाप, जुल्मों-सितम को, जो जन्मों-जन्मों से आपकी आत्मा के ऊपर ढह रहे हैं, वो राख हो जाएंगे। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि इन्सान का मन किसी काम में नहीं लगता। सुमिरन करते रहना चाहिए और बुरे लोगों का संग छोड़ दीजिए। जहां भी चुगली-निंदा, बुराई की चर्चा होती नजर आती है, वहां से कन्नी कतरा जाएं और जहां नेक लोग होते हैं, मालिक की चर्चा करते हैं, उनकी सोहबत कीजिए। भले लोगों का संग आपको भला बना देगा और बुराई का संग हमेशा बुरा बना देता है। जो लोग मालिक के नाम का सुमिरन करते हुए सेवा करते हैं तो सोने पर सुहागा है।
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