एक युवक अपने काम के लिए कहीं जा रहा था। रास्ते में उसने देखा कि एक मजदूर दीवार पर सफेदी कर रहा है। वह सड़क पार करने के लिए वहां कुछ देर रुका रहा और इस बीच मजदूर का काम करने का तरीका देखता रहा। कुछ देर में सड़क खाली हो गई तो उसने पाया कि मजदूर जिस ढंग से दीवार पर सफेदी कर रहा था, उससे सामान और समय दोनों की बबार्दी हो रही थी। कुछ सोचकर वह उस मजदूर के पास गया और उससे बोला, ‘दोस्त, इससे बहुत कम समय में और कम सामान में अच्छी तरह से सफेदी हो सकती है। क्या तुम वह तरकीब मुझसे सीखना चाहोगे?’ मजदूर यह सुनकर हैरानी से युवक को देखते हुए बोला,’तुम अगर ऐसा कर सकते हो तो बहुत अच्छी बात है। मैं उस तरकीब को अवश्य सीखना चाहूंगा।’ बस, इसके बाद वह युवक अपनी कमीज की बांहें ऊपर चढ़ाकर ब्रश और सफेदी लेकर काम में जुट गया।
कुछ ही समय में उसने अपनी बात सही साबित करके दिखा दी। उसके सफेदी करने के तरीके से काफी समय व सामान बच गया और सफेदी भी बहुत बढ़िया हो गई। मजदूर खुश होकर युवक से बोला,’अब मैं भविष्य में ऐसे ही काम करूंगा जैसा आपने सिखाया है। उस जगह का मालिक चुपचाप वहां खड़ा यह सब देख रहा था। युवक नीचे उतर कर आया तो उसने उसके हाथ में इनाम थमाना चाहा। युवक बोला,’सर, इनाम व मेहनताने पर मेरा नहीं, मजदूर का हक है। काम तो इसी ने किया है, मैंने तो बस इसे काम को सही ढंग से करने का तरीका समझाया है।’आगे चलकर यही युवक महान दार्शनिक बना और कार्ल मार्क्स के नाम से मशहूर हुआ।
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