मिठाईयों की स्वादिष्टता एवं पकौड़ों की महक लोगों को खींच लाती हैं यहां | Sweets & Fritters
संवाददाता राजू की प्रस्तुती
ओढां (सरसा)। (Sweets & Fritters) कहते हैं कि कुछ चीजें बनाने वालों के हाथों में कमाल का जादू होता है। जिसके चलते उनके द्वारा बनाई गई चीजें काफी दूर-दूर तक मशहूर हो जाती हैं। हरियाणा के सरसा जिले के गांव पंजुआना का नाम जुबान पर आते ही मिठाईयों की स्वादिष्टता एवं पकौड़ों की महक हर किसी को बरबस ही अपनी तरफ खींच लेती हैं। आज हम आपको रू-ब-रू करवा रहे हैं गांव पंजुआना की मिठाईयों एवं पकौड़ों की स्वादिष्टता से। नेशनल हाईवे-9 पर सरसा से करीब 10 किलोमीटर दूर बसे गांव पंजुआना को मिठाईयों व पकौड़ों के लिए विशेष तौर पर जाना जाता है। यहां की मिठाईयों एवं पकौड़ों की स्वादिष्टता की चर्चा न केवल काफी दूर-दूर तक फै ली हुई है अपितु लोग यहां से गुजरते समय ये चीजें बड़े चाव से खरीदते हैं।
सेठ लक्ष्मणदास बत्रा एवं आत्मप्रकाश कामरा हैं तजुर्बेकार कारीगर |Sweets & Fritters
सच कहूँ संवाददाता ने मिठाईयां बनाने वाले कुछ दुकानदारों से इस विषय में जानकारी ली तो उन्होंने इसके स्वाद से पूरी तरह से वाकिफ करवाया। वैसे तो गांव में काफी लोग मिठाईयां बनाने का कार्य करते हैं लेकिन सेठ लक्ष्मणदास बत्रा एवं आत्मप्रकाश कामरा इस कार्य के पुराने एवं तजुर्बेकार कारीगर माने जाते हैं। सेठ लक्ष्मण दास ने बताया कि उन्होंने करीब 25 वर्ष पूर्व घर में परचून की दुकान खोली थी। दुकान पर बेचने के लिए उन्होंने घर में थोड़ी-बहुत मिठाईयां बनानी शुरू की। लोग मिठाईयां खरीदने लगे और इस प्रकार धीरे-धीरे उनका ये व्यवसाय बढ़ने लग गया। लक्ष्मण दास द्वारा बनाई गई मिठाई के स्वाद की चर्चा गांव के अलावा क्षेत्र में भी होने लग गई। उम्र के साथ ही लक्ष्मण दास ने अपने कार्य से दूरी बना ली लेकिन उनके बेटे गिरधर ने इन मिठाईयों के स्वाद को बरकार रखा हुआ है।
गुणवता के साथ कोई समझौता नहीं | Sweets & Fritters
लक्ष्मण दास के यहां मिठाई बनाने वाले कारीगर सुनील कुमार ने बताया कि वह यहां पर वर्षांे से यहां पर कार्य कर रहा है। उनके यहां पर गुणवता के साथ कोई समझौता नहीं किया जाता। यही कारण है कि लोग मिठाईयां खरीदने के लिए यहां स्पैशल तौर पर आते हैं। वहीं कर्मचंद कामरा के अनुसार ये कार्य उनके पिता आत्मप्रकाश ने शुरू किया था। उनके निधन के बाद उन्होंने करीब 25 वर्षांे से इस क ार्य को चलाया हुआ है। लोग दूर-दूर से उनके यहां से मिठाईयां व भुजिया खरीदने के लिए आते हैं। उनका प्रयास रहता है कि लोगों को उचित गुणवता के साथ-साथ मिठाईयों का पूरा स्वाद भी मिले। उन्होंने आज तक गुणवता के साथ कभी समझौता नहीं किया। यही कारण है कि उनके द्वारा बनाई गई मिठाईयां लोग दूर-दराज से खरीदने आते हैं।
हरियाणा, पंजाब व राजस्थान तक फैली स्वाद की खुशबू
पंजुआना की बनी मिठाईयों की चर्चा क्षेत्र में नहीं हरियाणा, पंजाब व राजस्थान तक फैली हुई है। नैशनल हाईवे पर स्थित होने के कारण यहां से गुजरने वाले लोग यहांं से मिठाईयां खरीदने के अलावा पकौड़ों का आनंद लेना नहीं भूलते। वैसे तो पंजुआना की काफी चीजें मशहूर हैं लेकिन यहां के शक्करपारे, भुजिया व पकौड़े काफी प्रसिद्ध हैं। कारीगर सुनील कुमार ने बताया कि सर्दियों में गाजरपाक, खोये की बर्फी, सोन हलवा व गज्जक एवं गर्मियों में शक्कर पारे, बालूशाही, मट्ठी विशेष तौर पर बनाई जाती है। उसने बताया कि वे गुणवता के साथ कभी समझौता नहीं करते। रानिया से स्पैशल मिठाई खरीदने के लिए आए गुलशन मिड्ढा ने बताया कि वे पिछले करीब 10 वर्षांे से यहां आ रहे हैं। घर या रिश्तेदारी में कोई भी सुअवसर हो लेकिन वे लक्ष्मण दास के सिवाय मिठाई कहीं से नहीं खरीदते।
शीतल एवं मिट्ठे पानी के लिए भी चर्चित है गांव
- मिठाईयों के साथ शीतल एवं मिट्ठे पानी के लिए भी पंजुआना काफी चर्चित है।
- गर्मियोें में थके हारे लोग कहीं रूके न रू कें लेकिन पंजुआना नहर पर जरूर रूकते हैं।
- यहां पर लगे हैंडपंप का पानी इतना शीतल है कि लोग हाथ-मुंह धोकर अपनी सारी थकान भूल जाते हैं।
- गांव पंजुआना के लोग करीब डेढ़ किलोमीटर दूर यहीं से पानी भरकर ले जाते हैं।
- यहां के शीतल जल की चर्चा सैंकड़ों किलोमीटर दूर तक होती है।
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