Source of Inspiration : सन् 1957, बुधरवाली, राजस्थान
राजस्थान के गांव बुधरवाली में 27 सिंतबर, 1957 की रात को शहनशाह शाह मस्ताना जी सत्संग फरमा रहे थे। काफी संख्या में साध-संगत बड़े प्रेम व मस्ती से सत्संग सुन रही थी। इस गांव का माड़ू राम नामक व्यक्ति मेहनत-मजदूरी कर हक-हलाल की खाने वाला श्रद्धापूर्वक सत्संग सुन रहा था। उसका इकलौता लड़का कुछ समय पहले ही पैदा हुआ था। घर के पड़ोसी द्वारा सत्संग के दौरान माड़ू राम के पास एक संदेश आया कि तेरा लड़का बहुत ही बीमार है। तो माड़ूू राम ने उस आदमी को यह कहकर वापिस भेज दिया कि मेरे लड़के को दवा दिलवा दो। मैं अभी थोड़ी देर में आ रहा हूं, क्योंकि उसे अंदर से आप जी के दर्श-दीदार का सच्चा रस आ रहा था। Shah Mastana Ji
थोड़ी देर बाद फिर से समाचार आया कि तेरा लड़का मर गया है और तुझे तुरंत घर बुलाया गया है। यह सुनकर माडू राम ने उसे यह कहकर फिर से वापिस भेज दिया कि मेरा लड़का तो मर ही गया है तो अब मैं क्या कर सकता हूं? तुम घर चलो और मैं अब पूरा सत्संग सुनकर ही घर आऊंगा। सचमुच ही उसे ईलाही सत्संग का इतना आनंद आ रहा था, जिसे वह किसी भी कीमत पर छोड़ने को तैयार नहीं था। इकलौते लड़के की मौत की दुखदायी खबर सुनकर भी वह सत्संग से नहीं उठा। सत्संग की समाप्ति पर साध-संगत उठकर अपने-अपने घरों को जाने लगी तो किसी सेवादार भाई ने माड़ू राम के लड़के की मृत्यु की खबर पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज को भी बता दी।
‘‘माड़ू राम, सुना है तेरा लड़का चल बसा है” | Shah Mastana Ji
पूरी बात सुनकर पूजनीय दातार जी ने फरमाया, ‘‘माड़ू राम, सुना है तेरा लड़का चल बसा है और तू उठकर अपने घर क्यों नहीं गया?’’ उसने बताया कि बाबा जी, आपके प्रेम में इतना रस आ रहा था कि इसे छोड़कर कैसे चला जाता? मैं इसमें कर ही क्या सकता था? यह तो आप जी की ही अमानत है। आपजी का वचन ही सत्य वचन है। आप जी ने अपनी तवज्जोह (भरपूर दृष्टि) भक्त माड़ू राम पर डालते हुए फरमाया, ‘‘पुट्टर, घबराना नहीं। ‘धन-धन सतगुरू तेरा ही आसरा’ का नारा बोलकर बच्चे को हिला-डुलाकर देख लेना, जल्दबाजी बिल्कुल भी नहीं करना। क्या पता उसके श्वास कहीं रूके हुए हों।’’ सच्चे पातशाह जी का आशीर्वाद प्राप्त करके जब वह अपने घर पहुंचा तो घर में कोहराम मचा हुआ था। लोग तरह-तरह की बातें करने व ताने देने लगे। Shah Mastana Ji
तब तक उसके लड़के को मरे हुए तीन घंटे बीत चुके थे। माड़ू राम अपने लड़के के पास ही बैठकर रोने लगा। तभी उसे शहनशाह जी के ईलाही वचन याद आ गए। वचनानुसार उसने ‘धन-धन सतगुरू तेरा ही आसरा’ का नारा लगाकर बच्चे को हिलाया-डुलाया और बेपरवाह जी के आगे विनती की कि सांईं जी, आप जी हमारे यहां जीवों के उद्धार के लिए पधारे हैं परंतु मेरा यह अभागा लड़का आपजी के दर्शन भी नहीं कर सका। तभी बच्चे की टांग थोड़ी सी हिली। अचानक उसके शरीर में कुछ हरकत महसूस होती देखकर सभी की आंखें उस बच्चे के शरीर पर टिक गई। धीरे-धीरे लड़के का रंग भी बदलने लगा और थोड़ी देर के बाद सभी के देखते ही देखते बच्चे ने आंखें खोल दीं।
सभी ने प्रसन्नतापूर्वक ‘धन-धन सतगुरू तेरा ही आसरा’ का नारा लगाया
अपने सतगुरू जी की इस रहमत को प्रत्यक्ष में देख सभी ने प्रसन्नतापूर्वक ‘धन-धन सतगुरू तेरा ही आसरा’ का नारा लगाया तथा मुर्शिद-ए-कामिल का धन्यवाद करने लगे। गांव के घर-घर में यह खबर फैल चुकी थी। चारों और आपजी की महिमा हो रही थी। सुबह-सुबह ही माड़Þू राम अपने पूरे परिजनों एवं कई गांववासियों के साथ प्यारे सतगुरू जी का धन्यवाद करने आश्रम में आ गया। भगत तो खुशी के मारे बोल भी नहीं पा रहा था। आप जी ने फरमाया, ‘‘पुट्टर कैसे आए हो?’’ सेवादारों ने बताया कि बाबा जी, माड़ू राम का लड़का रात को शरीर त्याग गया था। आप जी की दया-मेहर रहमत से अब वह फिर से जिंदा हो गया है।
ये आपके दर्शनों के लिए आए हैं। अंतर्यामी दातार जी ने फरमाया, ‘‘यह सब झूठ है। मरा हुआ भी कभी दोबारा जिंदा हो जाता है?’’ माड़ू राम के साथ आए सभी भक्तों ने बताया कि लड़का आपजी की रहमत से ही जिंदा हुआ है। इस पर पूज्य शहनशाह जी ने मुस्कुराते हुए फरमाया, ‘‘सभी की एक ही राय है? पुट्टर, तेरी सेवा व सच्ची भक्ति के कारण ही सच्चे पातशाह दाता सावण शाह जी महाराज जी ने तेरे बच्चे को जिंदगी बख्शी है। इसका यह नया जन्म हुआ है। अब असीं इसका नाम गंगा राम रखते हैं।’’ इस अद्भुत करिश्में को देखकर सारी साध-संगत बहुत ही खुश हुई। Shah Mastana Ji
Maharashtra : महाराष्ट्र, ब्लॉक धनौरा के गणेश इन्सां की मानवता भलाई कार्य में गजब की शिद्दत!