देश में कोरोना के कुल मामले 4789 ,124 लोगों की मौत, 353 स्वस्थ हुए

Coronavirus

नयी दिल्ली। देश में कुछ दिनों से कोरोना संक्रमण के नए मामलों में जो बढ़ोत्तरी देखी जा रही थी उसमें फिलहाल थोड़ी कमी आई है और अब तक कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण के कुल मरीजों की संख्या 4789 हो गई है। अब तक कुल 124 लोगों की मौत हुई है तथा कोरोना वायरस के 353 मरीज (एक प्रवासी समेत) स्वस्थ हो गये हैं जिन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से मंगलवार रात को जारी आंकड़ों के अुनसार देश में कोरोना के कुल सक्रिय मामलो की संख्या 4312 है। अब तक कुल 124 लोगों की मौत हुई है। कोरोना वायरस के 353 मरीज (एक प्रवासी समेत) स्वस्थ हो गये हैं जिन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।

कोरोना संक्रमण को रोकने में काफी मदद

इससे पहले दिन में स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता लव अग्रवाल ने संवाददाता सम्मेलन में बताया था कि भारत सरकार ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए समूह रोकथाम रणनीति (क्लस्टर कंटेनमेंट स्ट्रेटिजी) और किसी भी स्थिति में अधिक संख्या में मामले सामने पर यानी ‘आउटब्रेक’ की हालत में इससे निपटने की रणनीति पहले ही तैयार कर ली गई थी और अब इसके बेहतर नतीजे सामने आ रहे हैं। इसे अपनाकर आगरा, भीलवाड़ा, गौतमबुद्ध नगर, मुंबई, पूर्वी दिल्ली और अन्य स्थानों पर कोरोना संक्रमण को रोकने में काफी मदद मिली है। यह कार्ययोजना सभी राज्यों के जिलाधिकारियों और उपायुक्तों को पहले ही भी भेज दी गई थी। अब इसके अपेक्षित नतीजे भी सामने आ रहे हैं।

श्री अग्रवाल ने बताया कि कई स्थानों पर स्मार्ट सिटी कंसेप्ट में तकनीक का इस्तेमाल कोरोना मरीजों की पहचान, उनकी निगरानी, क्वारंटीन का पता लगाने, एंबुलेंस की लोकेशन का पता लगाने, चिकित्सकों को प्रशिक्षण देने तथा नागरिकों को जागरुक बनाने में किया गया है। यह कार्यक्रम पुणे, बेंगलुरु और तुमकुरु जिलों में चल रहा है, जहां तकनीक का इस्तेमाल कोरोना वायरस से निपटने में किया जा रहा है।

कोरोना वायरस से पीड़ितों के उपचार की नयी महत्वपूर्ण रणनीति

स्वास्थ्य मंत्रालय ने अब कोरोना वायरस से पीड़ितों के उपचार की नयी महत्वपूर्ण रणनीति बनाई है और इसे तीन भागों में बांटा गया है। पहली स्थिति में कोविड केयर सेंटर में कोरोना वायरस के संक्रमण के संदिग्ध अथवा हल्के लक्षणों वाले मरीजों को रखा जाएगा और ये अस्थायी भी हो सकते हैं तथा सरकारी भवन, होटल, होटल्स, लॉज अथवा अन्य भवन भी हो सकते हैं या पहले से बनाए गए कोरोना सेंटरों का इसके लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। दूसरी श्रेणी ‘डेडिकेटिड कोविड हेल्थ सेंटरों’ की है जिनमें चिकित्सकीय रूप से मध्यम श्रेणी के गंभीर लक्षणों वाले मरीजों को रखा जाएगा। इसमें किसी अस्पताल का पूरा क्षेत्र ही कोविड मरीजों के हो सकता है अथवा कोई खास ब्लाक इसके लिए बनाया जा सकता है। इनमें ऑक्सीजन युक्त बिस्तरों की सुविधा होनी जरूरी है। इनमें प्रवेश और निकास द्वार अलग-अलग होंगे ताकि संक्रमण का खतरा नहीं हों।

कोविड के मरीजों के लिए विशेष तौर पर बनाये गये अस्पताल

तीसरी श्रेणी में कोविड के मरीजों के लिए विशेष तौर पर बनाये गये अस्पताल हैं जिनमें कोरोना के गंभीर मरीजों को रखा जाएगा और यहां आईसीयू, वेंटीलेटर और ऑक्सीजन की सुविधा होगी। इस आशय की गाइडलाइंस सभी राज्यों को भेज दी गई है और इनमें इलाज की व्यापक सुविधा होगी। इस वर्गीकरण के आधार पर सभी राज्यों को कोरोना के मामलों से निपटने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि आज गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों तथा संघ शासित प्रदेशों को मेडिकल आक्सीजन की आपूर्ति पूरी तरह निर्बाध तरीके से जारी रखने के निर्देश दिए हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति में इसकी आपूर्ति तुरंत की जा सके। इसके अलावा भारतीय रेलवे ने 2500 से अधिक कोचों में 40 हजार आइसोलेशन बेड तैयार कर दिए हैं और एक दिन में 375 कोचों में ऐसे आइसोलेशन बेड बनाने का काम जारी है तथा यह काम 133 स्थानों पर चल रहा है।

लाॅकडाउन और सामाजिक दूरी के महत्व

श्री अग्रवाल ने एक शोध का हवाला देते हुए लाॅकडाउन और सामाजिक दूरी के महत्व को बताया कि इस शोध के जरिए लोगों को यह जागरुक बनाने में सफलता मिल सकती है। इसे “आरनॉट’ कंसेप्ट” का नाम दिया गया है कि कैसे एक बीमार आदमी लाकडाउन और सामाजिक दूरी के मानकों को पालन नहीं करते हुए 30 दिनों में 406 स्वस्थ लोगों को संक्रमित कर सकता है और अगर सामाजिक दूरी और लाकडाउन के मानकों को 75 प्रतिशत भी अपनाया जाए तो वह आदमी इस अवधि में मात्र 2़ 5 लोगों को ही संक्रमित कर सकता है। इसका आशय यह है कि संक्रमित व्यक्ति अगर बेरोकटोक कहीं भी घूमता रहे तो 30 दिनों में 406 लोगों को बीमार बना देगा और अगर लाकडाउन तथा सामाजिक दूरी के 75 प्रतिशत निर्देशों को पालन किया जाए तो वह मात्र वह 2़5 लोगों में ही अपना संक्रमण फैला सकता है।

 

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