Shri Jalalana Sahib: गुरगद्दी पर बिराजमान होने से पहले पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज श्री जलालआणा साहिब में अपने खेतों की संभाल व निगरानी खुद करते थे। एक बार आपजी के खेत में चनों की फसल की चोरी होने लगी। परम पिता जी ने निगरानी शुरू की व एक दिन किसी व्यक्ति को चोरी चोरी फसल चुराते देख लिया।
चोर ने चनों की भरौटी बांध ली लेकिन मुफ्त के माल के लालच में उस चोर ने अधिक फसल काट दी कि वह भरौटी उससे उठाई ही नहीं गई। परम पिता जी धीरे धीरे उसके पास पहुंच गए। चोर आप जी को देखकर घबरा गया। आप जी ने उसे हौंसला दिया और न डरने के लिए कहा। परम पिता जी ने उसे फरमाया कि इस भरौटी की दो भरौटियां बना लो और हम एक-एक कर उठा लेते हैं। Shri Jalalana Sahib
चोर चाहता था कि यह दोनों भरौटियां आप जी ने (परम पिता जी) के घर ले जाई जाएं। परम पिता जी फरमाया, ‘‘नहीं यह आपके हिस्से की हैं और आपके घर पर ही लेकर चलेंगे’’। परम पिता जी अपने पवित्र कर कमलों के साथ उस भरौटी को उसके घर छोड़कर आए। जब परम पिता जी उस व्यक्ति के घर से वापिस आने लगे तो उसने आप जी से माफी मांगी व आगे से कभी भी चोरी नहीं करने का वायदा किया। पूजनीय परम पिता जी महानता वर्णन से परे है, जिनकी दयालता के कारण न सिर्फ चोर को माफ किया बल्कि उसे चोरी की बुरी आदत छोड़ने के भी काबिल बनाया।
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