Gulabi Sundi: कपास की फसल मे गुलाबी सुंडी की जांच करने ढुकड़ा पहुंची कृषि विभाग की टीम, नहीं दिखा गुलाबी सूँडी का प्रकोप

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Chopta News : कपास की फसल मे गुलाबी सूँडी की जांच करने ढुकड़ा पहुंची कृषि विभाग की टीम, नहीं दिखा गुलाबी सूँडी का प्रकोप

क्षेत्रीय केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र फ़रीदाबाद की टीम ने किया निरीक्षण

चोपटा (सच कहूँ/भगत सिंह)। Sirsa News: क्षेत्र के गाँव ढुकड़ा मे पिछले दिनों किसानों ने कपास की फसल पर गुलाबी सूँडी का प्रकोप बताकर फसल को नष्ट कर दिया था। इसको लेकर कृषि विभाग की टीम ने ढुकड़ा के खेतों में निरीक्षण किया। यह जानकारी देते हुए कृषि विकास अधिकारी शैलेंद्र सहारण ने बताया कि कृषि मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से क्षेत्रीय केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र फ़रीदाबाद से आई हुई टीम सुनील चंद्रा, सहायक निदेशक, लक्ष्मी चंद, वनस्पति संरक्षण अधिकारी और सूरज बरनवाल, सहायक वनस्पति संरक्षण अधिकारी व कृषि विभाग नाथूसरी चोपटा कृषि विकास अधिकारी शैलेंद्र सहारण पौध संरक्षण अधिकारी सन्त लाल बेनीवाल, मदन लाल, सुरेंद्र

सुप्रीवाइजर द्वारा गाँव-दुकड़ा, के किसान नरसी पुत्र टोडर मल, दलबीर पुत्र मुंशी राम व राजकुमार के खेत में “कपास के खेत मे गुलाबी सूँडी का हमला और 40 फीसदी तक फसल बर्बाद” सर्वेक्षण करा गया और पाया गया कि गुलाबी सूँडी का प्रकोप अभी कपास पर बिल्कुल भी नहीं है। और इस पर कपास की खेती करने वाले किसानों को यह सलाह भी दी गई की जिन किसानों ने अपने खेत मे नरमे की लकड़ियों को भंडारित कर रखा है, उन किसानों को ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि इन किसानों के खेतों मे गुलाबी सूँडी का प्रभाव अधिक होता है इसके अलावा उन्हे सुझाव दिया जाता है कि नरमे की लकड़ियों को खेत मे इकट्ठा ना करे और अगर करते है तो उन्हे प्लास्टिक की शीट से ढक कर रखे साथ ही फसल की शुरुवाती अवस्था मे गुलाबी सूँडी से प्रभावित नीचे गिरे रोसेट फूल, फूल डोडी व टिंडों आदि को एकत्रित कर

जला दे। किसानों को ये भी सलाह दी जाती है कि लगातार अपनी फसल की निगरानी करे तथा फसल के 60 दिन के हो जाने पर एन.एस.के.ई 5% का छिड़काव करे। फसल की बिजाई के 40-50 दिनों के बाद दो फेरोमोन ट्रैप प्रति एकड़ लगाए तथा रोजाना खेत मे जाकर ट्रैप को देखे कि उसमे कीटों की कितनी संख्या रहती है। इनमे 5-8 कीट प्रति ट्रैप लगातार तीन दिन तक आने पर ही कीट का आर्थिक हानि स्तर माना जाता है और ऐसी स्थिति होने पर किसान तुरंत केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति द्वारा गुलाबी सूँडी के लिए अनुशंसित कीटनाशकों का अनुशंसित मात्रा पर छिड़काव करे और अपनी फसल बचाए। इसके अलावा टीम के सदस्यों द्वारा मित्र कीटों जैसे कि ट्राईकोग्रामा, लेडी बर्ड बीटल एवं क्राइसोपर्ला आदि का संरक्षण करे ये भी बताया गया। Sirsa News

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