बांसवाड़ा, बूंदी, माउंट आबू, उदयपुर व कुम्भलगढ़ हैं मानसून पर्यटन के खास स्थल
जयपुर। राजस्थान में मानसून पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। पर्यटन विभाग के उपनिदेशक श्री दलीप सिंह राठौड़ के अनुसार वर्ष-2022 की तुलना में वर्ष-2023 में राजस्थान आने वाले विदेशी सैलानियों की संख्या में 328.52 प्रतिश्त की वृद्धि हुई, विदेशी सैलानियों को यह आंकड़ा ही राजस्थान का पर्यटन महत्व बताने के लिए काफी है वहीं घरेलु पर्यटकों की संख्या में 65.29 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई। वर्ष-2023 में राजस्थान घूमने आने वालों की संख्या 18,07,51,794 ( अट्ठारह करोड़ सात लाख इक्यावन हजार सात सौ चौरानवें) थी। राठौड़ का कहना है की राजस्थान पर्यटन की विदेशी ट्रेवल मार्ट व ट्रेड फेयर में सशक्त उपस्थित का ही परिणाम है कि राजस्थान विदेशी सैलानियों का रूख राज्य की ओर मोड सका। Rajasthan Tourism
दलीप सिंह राठौड़ के अनुसार राज्य में अब वर्ष पर्यन्त पर्यटन है। ऐसे में मानसून के दौरान राज्य में आने वाले पर्यटकों को राजस्थान वो अलौकिक स्वरूप देखने को मिलेगा जिसे देख पर्यटक यह नहीं कहेंगे कि राजस्थान की पहचान सिर्फ रेगिस्तान है। श्री दलीप सिंह राठौड़ के अनुसार राज्य में मानूसन पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं और यह चौंकाने वाली बात नहीं हैं क्योंकि राजस्थान का चेरापूंजी कहलाने वाला बांसवाडा भी राज्य का ही हिस्सा है और सौ टापूओं का शहर कहलाता है। मानसून में राजस्थान घूमने वाले पर्यटकों को बांसवाडा, बूंदी, माउन्टआबू, उदयपुर और कुम्भलगढ़ जरूर देखने चाहिए।
बांसवाड़ाः
बांसवाड़ा की यात्रा साल के किसी भी समय कर सकते हैं, लेकिन फिर भी बांसवाड़ा घूमने का सबसे अच्छा समय सर्दियों के अलावा मानसून सीजन भी है। बांसवाड़ा अपने कल्पवृक्षों के लिए खासा प्रसिद्ध है। इसे कल्पवृक्ष बांसवाड़ा भी कहा जाता है। कल्पवृक्ष रतलाम मार्ग पर स्थित एक भव्य पेड़ है जिसे समुद्र मंथन में उत्पन्न चौदह रत्नों में से एक माना गया है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि पीपल एवं वट वृक्ष तरह विशाल, यह वृक्ष लोगों की मनोकामना को पूरा करता है जिसका अपना धार्मिक महत्व है। यह बांसवाड़ा का लोकप्रिय तीर्थ स्थल माना जाता है और श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। Rajasthan Tourism
आनंद सागर लेक-
आनंद सागर लेकएक कृत्रिम झील है। इस झील को बाई तालाब के नाम से भी जाना जाता है। यह स्थान पवित्र पेड़ों से घिरा हुआ है, जो ह्यकल्पवृक्षह्ण के रूप में जाना जाता है। यह जगह यहां आने वाले यात्रियों की इच्छाओं को पूरा करने के लिए प्रसिद्ध है।
माही डैमः
बांसवाड़ा से 18 किमी की दूरी पर स्थित माही डैम संभाग का सबसे बड़ा बांध है। इस डैम में 6 गेट हैं और यह 3.10 किमी लंबा है। माही बजाज सागर परियोजना के तहत माही नदी पर माही बांध और कई नहरें बनाई गई है। मानसून के मौसम में जब बंद गेटो को खोला जाता हैं तो एकाएक यहां से निकलने वाले पानी की प्रचंडता और कोलाहल मचाती हुई आवाज दूर से सुनी जा सकती हैं। माही डैम बांसवाड़ा का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है।
त्रिपुरा सुंदरी मंदिरः-
त्रिपुरा सुंदरी मंदिर, देवी त्रिपुर सुंदरी को समर्पित बांसवाड़ा का एक प्रमुख मंदिर है जो बांसवाड़ा झ्र डूंगरपुर मार्ग पर 19 किमी दूरी स्थित है। इस मंदिर की देवी को तरतई माता के नाम से भी जाना जाता है। त्रिपुरा सुंदरी मंदिर में एक काले पत्थर की सुंदर मूर्ति है जिसमें 18 भुजाएं हैं। यह ह्यशक्ति पीठोंह्ण में जानी जाती है। मां त्रिपुरा सुन्दरी का यह मंदिर देश-विदेश से भारी संख्या में पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। चैत्र एवं अश्विन नवरात्रि के दौरान यहां भारी संख्या में पर्यटक आते हैं।
अंदेश्वर पार्श्वनाथजीः-
अंदेश्वर पार्श्वनाथजी एक प्रसिद्ध जैन मंदिर है जो कुशलगढ़ तहसील की एक छोटी पहाड़ी पर स्थित है। यहां मंदिर में 10 वीं शताब्दी के दुर्लभ शिलालेख देखे जा सकते हैं।
रामकुण्डः-
रामकुण्ड यहां का एक बेहद पवित्र स्थल है जो तलवाड़ा से 3 किमी की दूरी पर स्थित है। इस स्थल को फटी खान के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान राम अपने वनवास के समय यहां आए थे।
डायलाब झीलः-
डायलाब झील बांसवाड़ा शहर का प्रमुख पर्यटक स्थल है। वैसे तो यह झील अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए जानी जाती है। यहां स्थित हनुमान मंदिर भी भक्तों को अपनी तरफ आकर्षित करता है।
पराहेडाः-
पराहेडा एक प्राचीन शिव मंदिर है जो बांसवाड़ा से लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 12 वीं शताब्दी का यह शिव मंदिर राजपूत वास्तुकला की विशिष्ट शैली का अनुसरण करता है।
राज मंदिरः-
राज मंदिर पुराने राजपूत वास्तुकला की शैली का एक अदभुद नमूना है। इस मंदिर को सिटी पैलेस के रूप में भी जाना जाता है। पहाड़ी पर स्थित 16 वीं शताब्दी के मंदिर से पूरा शहर नज़र आता है।
जुआ झरनेः-
जुआ झरने बांसवाड़ा का प्रमुख आकर्षण है। जुआ झरने की यात्रा करना बरसात में करना पर्यटकों को बेहद खास अनुभव दे सकता है मानसून में यह झरना बेहद खूबसूरत नज़र आता है। दूसरा मानसून पर्यटन स्थल बूंदी अपनी वास्तुकला, चित्रकला और पुरा स्मारकों के लिए खासी प्रसिद्ध है। सबसे पहले बात करते हैं चित्रशाला की। चित्रशाला, जिसे उम्मेद महल के नाम से भी जाना जाता है, बूंदी में घूमने के लिए सबसे शानदार जगहों में से एक है। यहां के सुंदर लघु चित्र रास लीला और रागमाला को प्रदर्शित करते हैं। बूंदी मुगल, दक्कन और मेवाड़ शैली की कला के तत्वों के साथ चित्रकला की एक विशिष्ट शैली का एक अच्छा मेल है। Rajasthan Tourism
बूंदी पैलेसः-
बूंदी पैलेस यहां का एक बेहद ही खूबसूरत और प्रमुख पर्यटक स्थल है। बूंदी पैलेस ऐतिहासिक जगह होने के साथ-साथ सांस्कृतिक महत्व भी रखता है।
चौरासी खंबों की छतरीः-
चौरासी खंबों की छतरी बूंदी में घूमने के लिए सबसे अद्भुत जगहों में से एक है। इसमें पहली मंजिल पर एक गुंबद है, जो छतरी या छतरी के आकार का है, जो 16 स्तंभों के सपोर्ट में खड़ा है। ऊंचे पोडियम पर खड़ी इस दो मंजिला संरचना के आधार पर नृत्य करने वाली मूर्तियों, हाथियों और हिरणों की नक्काशी के साथ एक शिवलिंग है।
रानीजी की बावड़ीः
बूंदी में बावड़ियों की कमी नहीं है, उनमें से सबसे लोकप्रिय बावड़ी है रानी-जी-की-बावड़ी। यह भारत में सबसे बड़े और सबसे अच्छी तरह से संरक्षित बावड़ियों में से एक है। 300 साल पुराना यह निर्माण 46 मीटर गहरा है और इसमें टेढ़े-मेढ़े नक्काशियों वाले स्तंभ हैं। विशाल द्वार या तोरण में बूंदी के विशिष्ट भित्ति चित्र हैं।
मोती महलः-
मोती महल बूंदी का एक बेहद ही खूबसूरत ऐतिहासिक स्थल है और अपनी खूबसूरती की वजह से पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है। मोती महल का निर्माण महाराजा राजा भाओ सिंह ने इस साल 1645 में करवाया था।
माउन्ट आबू:
बात करें माउन्ट आबू कि तो, यह राजस्थान के पर्वतीय पर्यटन स्थल ( हिल स्टेशन) में शुमार है । यहां पर साल भर पर्यटकों की आवक रहती है गरमियों और मानसून में यहां पर्यटकों के आगमन में खासी बढ़ोतरी हो जाती है। माउंट आबू को खड़ी चट्टानों, शांत झीलों, सुरम्य वातावरण और बेहतरीन मौसम के लिए जाना जाता है। आबू का गुरूशिखर अरावली पर्वतमाला की सबसे ऊंची चोटी है । जहां जाने पर आपको अहसास होता है कि आप आसमां की सवारी कर रहे हैं और बादल आपके कदमों तले हैं । देलवाडा जैन मंदिर, नक्की लेक, सन सैट पाइंट आपको सम्मोहन के उस लोक में पहुंचाते हैं जहां आप के मुंह से बरबस ही निकल पड़ता है … राजस्थान का यह सम्मोहक और मनमोहक नजारा नहीं देखा तो फिर आप ने क्या देखा.. Rajasthan Tourism
उदयपुर नगरीः
अहमदाबाद से 265 और माउन्ट आबू से 180 किमी दूर उदयपुर बसा है। झीलों की नगरी के नाम से विख्यात उदयपुर में शहर के बीचों बीच कई झीले स्थित हैं । गुजरात राज्य के नजदीक होने के कारण यहां गुजरात और महाराष्ट्र से स्वदेशी सैलानी खासी संख्या में यहां पर्यटन के लिए आते हैं वहीं उदयपुर में विदेशी सैलानी भी यहां आते हैं , जयपुर के बाद उदयपुर में सबसे ज्यादा विदेशी सैलानी आते हैं । राणा उदय सिंह ने 1559 ईस्वी में उदयपुर नगर की स्थापना की और इसे मेवाड़ की नई राजधानी बनाया । Rajasthan Tourism
स्थापत्य और वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूने सिटी पैलेस को महाराणा उदय सिंह ने पिछोला लेक के किनारे बनवाया था। यह महल 23 पीढ़ियों से राजपरिवार का निवास स्थान भी है। सिटी पैलेसे के दो हिस्से हैं, मर्दाना महल और ज़नाना महल। मर्दाना महल मे कई संग्रहालय और दार्शनीय स्थल हैं जैसे, बड़ी पॉल, तोरण, त्रिपोलिया, मानक चौक, असलहखाना, गणेश देवरी, राई आंगन, प्रताप हल्दी घाटी कक्ष, बाड़ी महल, दिलखुश महल, कांच की बुर्ज और मोर चौक। जबकि ज़नाना महल में है, सिल्वर गैलरी, आर्किटेक्चर और कन्सर्वेशन गैलरी, स्कल्प्चर गैलरी, म्यूज़िक, फोटोग्राफी, पैंटिंग और टेक्सटाइल व कॉस्ट्यूम गैलरी।
उदयपुर झीलों की नगरी है। यहां की पिछोला झील नाव की सवारी सुबह जहां आनंद की अनुभूति कराती है वहीं ढलती शाम में पहाड़ों और महलों से घिरी यह झील रोमांच से भर देती है । पिछोला के अलावा उदयपुर की दूसरी बड़ी झील है फतेह सागर । इस झील का निर्माण 1678 में महाराजा जयसिंह द्वारा करवाया गया था। फतेह सागर झील के पास ही मोती मगरी स्थित है। इस पहाड़ी पर महाराणा प्रताप और उनके वफादार घोड़े चेतक का स्मारक है। उदयपुर के मुख्य दर्शनीय स्थलों में सहेलियों की बाड़ी का भी प्रमुख स्थान है। उदयपुर के भव्य एवं स्थापत्य कला के उत्कृष्ट उदहारण की बात करें तो जगदीश मंदिर का उल्लेख होना स्वाभाविक है। जगदीश मंदिर उदयपुर का बड़ा ही सुंदर, प्राचीन एवं विख्यात मंदिर है।
कुम्भलगढ़-
कुंभलगढ़ किला राजस्थान का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है जो राजसमंद जिले में उदयपुर शहर के उत्तर-पश्चिम में 82 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कुंभलगढ़ किला राजस्थान राज्य के पहाड़ी किलों में से एक है जिसको साल 2013 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। कुंभलगढ़ किला समुद्र तल से करीब 1100 मीटर ऊपर है। कुंभलगढ़ किले की दीवारें 36 किमी व्यास की हैं, जो इसे दुनिया की सबसे लंबी दीवारों में से एक बनाती है। इसलिए इसे ह्यद ग्रेट वॉल ऑफ इंडियाह्ण भी कहा जाता है। यह दीवार 36 किमी तक फैली हुई है और 15 मीटर तक चौड़ी है जो कि आठ घोड़ों के एक साथ चलने के लिए पर्याप्त है। Rajasthan Tourism
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