कभी नशे मे पूरा दिन रहता था टल्ली, आज शहर मे है बड़ा रूतबा
- कुरुक्षेत्र के बाबा रामदास ने सुनाए नशे के दौरान व नाम लेने के बाद की दास्तां
- बोले, नशे के टीकों से हो गई थी ऐसी हालत कि सीरिंज लगाने को नही मिली नस
कुरुक्षेत्र (सच कहूँ, देवीलाल बारना)। Kurukshetra News: एक डेरे का ऐसा महंत जो मात्र 16 वर्ष की उम्र मे ही नशे करने लगा और धीरे धीरे नशे की वो सभी हद पार हो गई जिसके बाद सिर्फ मौत ही रह जाती है। लेकिन उस हद के बाद जब डेरा सच्चा सौदा मे पहुंचे और नामदान लिया तो जीवन इतना बदल गया कि आज शहर मे बछडा रूतबा बन गया। बात कर रहे हैं कुरुक्षेत्र के उदासीन डेरे के महंत बाबा रामदास की। दैनिक सच कहूँ से विशेष बातचीत मे बाबा रामदास ने अपनी पूरी दास्तां सुनाई जिसे सुनकर हर कोई दंग रह जाए। बाबा रामदास बताते हैं कि 15 साल की उम्र मे ही वे कुरुक्षेत्र के कच्चा घेर स्थित उदासीन डेरे के महंत बन जाते हैं। Kurukshetra News
कुछ समय बाद ही वे नशे मे इतने लिप्त हो जाते हैंं कि सारा सारा दिन शराब मे टल्ली रहने लगे। बहुत साल शराब पीने के बाद भुक्की, अफीम, चरस जैसे नशे करने लगे। ऐसे ऐसे दोस्तों का ही संग रह गया जो नशेडी थे। कुछ समय बाद नशे के टीके लगाने लगे। वे रोजाना 20-25 नशे के टिके लगाते थे और हालात ऐसे हो गए कि बिना नशे के जैसे मौत ही आ गई हो। वर्ष 2008 को जसबीर कलार, राकेश अग्रवाल व राज मैहता उसे डेरा सच्चा सौदा लेकर आए और पूज्य गुरु जी ने वचन फरमाए कि गलत संगत को छोड़ना है और नाम का जाप करना है।
नस न मिली तो पांव मे लगाई सीरिंज | Kurukshetra News
बाबा रामदास ने बताया कि डेरा सच्चा सौदा मे आकर उसे असीम शांति का आभास हुआ। नशा एक दम से छोडने के कारण उसके शरीर मे दिक्कत होने लगी, जिसके चलते उसे अस्पताल मे भर्ती करवाया गया। उन्होने भावुक होते हुए कहा कि जब डॉक्टर उसे सीरिंज लगा रहे थे तो डॉक्टर को उसे बाजू व टांगों में कोई नस ऐसी नही मिली जिसमे सीरिंज लगाई जा सके क्योंकि नशे के टीकों के कारण उसके शरीर की सारी नसें खराब हो गई थीं।
ऐसे मे डॉक्टरों ने उसके पांव मे सीरिंज लगाई व ईलाज पूरा हो सका। वो दिन और आज का दिन कभी उसने नशा नही किया। इसके बाद तो जैसे उसके स्वर्ग जैसे दिन आ गए हों। वे बारंबार पूज्य गुरु जी का धन्यवाद करते हैं, जिनके आशीर्वाद से उसे नशे जैसी बीमारी से मुक्ति मिली। वरना अब तक कभी की उसकी मौत हो गई होती।
बाबा तो मर गया होगा ?
बाबा रामदास ने अपनी दास्तां सुनाते हुए कहा कि काफी लोग जो पुराने समय मे उसे मिला करते थे और बाहर चले गए। वे जब कुरुक्षेत्र आते हैं तो पूछते हैं कि बाबा रामदास तो अब मर गया होगा क्योंकि बहुत नशे करता था। बाबा रामदास ने बताया कि दो व्यक्ति एक दिन उसके डेरे के पास आए और बोले कि यहां बाबा रामदास रहते थे। मर गए होंगें या अभी जीवित हैं। उनकी इस बात पर उसे गुस्सा भी आया लेकिन सहजता से कहा कि मै वही बाबा रामदास हूँ जिसे आप मृत घोषित कर रहे हैं। Kurukshetra News
मुझे देखकर वे बहुत अचंभित हुए कि जो व्यक्ति इतना नशा करता हो जो दशकों पहले ही मरने वाला था आज इतना स्वस्थ दिखाई दे रहा है। क्योंकि उस वक्त जो भी उसके साथ नशा करने के साथी थे वे सभी कई वर्ष पहले मर चुके हैं। 4 अप्रैल 2008 को बाबा रामदास को नशा छुडाने के लिए डेरा सच्चा सौदा लेकर गए राकेश अग्रवाल व राज मैहता ने बताया कि वह दिन आज भी याद है जब बाबा रामदास छुटपुटा रहे थे कि उसका नशा कोई नही छुडवा सकता लेकिन उन्होने धक्के से डेरा सच्चा सौदा लेकर गए जहां नशा तो छोड़ ही दिया बल्कि आज पूरे कुरुक्षेत्र मे इन्सानियत के कार्य करके बाबा रामदास का अपना रूतबा है।
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