eProcurement System: भूमिपुत्र मजबूर! फसल का रकबा नहीं हो रहा वेरिफाई

Sirsa News
eProcurement System: भूमिपुत्र मजबूर! फसल का रकबा नहीं हो रहा वेरिफाई

किसानों को टोकन कटवाने में आ रही परेशानी

eProcurement System: सरसा (सच कहूँ न्यूज)। अनाज मंडी में सरकारी खरीद की आस में आने वाले किसानों को टोकन कटवाने के दोरान प्रशासनिक अव्यवस्था के चलते परेशानी का शिकार होना पड़ रहा है। दरअसल मंडी में आने के बाद जैसे ही किसान सरकारी खरीद के लिए टोकन कटवाता है तो उसे पता चलता है कि ई खरीद पोर्टल पर उसकी फसल का रकबा ही अभी तक वेरिफाई नहीं हो पाया है। फसल का सत्यापन रेवेन्यू डिपार्टमेंट को करना होता है, परंतु खरीद शुरू होने के बाद भी अभी तक यह कार्य पूरा न होने के कारण भूमिपुत्र को मजबूरी में अपनी उपज प्राइवेट मिलर्स को बेचनी पड़ रही है। अकेले सरसा अनाज मंडी में अपनी उपज बेचने के लिए पहुंच रहे प्रति दिन 20 से ज्यादा किसान प्रभावित हो रहे हैं। Sirsa News

गेहूं का रकबा तो दर्शाया परंतु सरसों का नहीं हुआ सत्यापन

मंडी में फिलहाल सरसों की सरकारी खरीद जारी है। जबकि गेहूं की खरीद एक अप्रेल से शुरू होनी है। ऐसे में किसान अपनी सरसों की उपज लेकर मंडी में पहुंच रहा है। धिंगतानिया गांव से अपनी सरसों की उपज लेकर पहुंचे किसान हनुमान मार्केट कमेटी सरसा में टोकन कटवाने के लिए पहुंचा। यहां कार्यरत कंप्यूटर आपरेटर ने जब टोकन काटने के लिए ई-खरीद पोर्टल पर हनुमान के कृषि भूमि का ब्यौरा भरा तो उसमें पता चला कि सके तीन हेक्टेयर में गेहूं की फसल का सत्यापन तो रेवेन्यू डिपार्टमेंट की ओर से अपलोड कर दिया गया है परंतु सरसों का डाटा अभी सत्यापित ही नहीं किया है। हनुमान ने बताया कि उसने अपने तीन हैक्टेयर में सरसों की फसल जबकि तीन हैक्टेयर में गेहूं की फसल की बिजाई की थी। गत 28 दिसंबर को उसने पोर्टल पर अपना विवरण भी दर्ज करवा दिया। परंतु संबंधित विभाग की लापरवाही के कारण उसे सरकारी खरीद का फायदा नहीं मिल पा रहा। Sirsa News

सरकारी खरीद का मूल्य अधिक, प्राइवेट में हो रहा घाटा | Sirsa News

पूर्व में नमी की समस्या के चलते किसानों की उपज सरकारी एजेंसियों की ओर से नहीं की जा रही थी। परंतु नमी की समस्या से निजात मिलने के बाद अब किसान को डाटा मिसमैच अथवा सत्यापित न हो पाने के कारण परेशानी झेलनी पड़ रही है। सरकार की ओर से इस बार सरसों खरीद का समर्थन मूल्य 5950 रुपए निर्धारित किया गया है। ारंतु एरिया वाइज फसल सत्यापित न हो पाने के कारण किसान को अपनी उपज 400 से 500 रुपए का नुकसान उठाकर प्राइवेट मिलर्स को बेचनी पड़ रही है।

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