- सोशल मीडिया पर निंदा प्रचार से दुखी सुखबीर बादल
- जनता से मजाक न उड़ाने की अपील
- सुखबीर खिलाफ लोग इस्तेमाल कर रहे गलत शब्दावली
ChandiGarh, Ashwani Chawla: यदि आपको मेरा मजाक उड़ाना है तो उड़ाओ, लेकिन आलोचना का स्टैंडर्ड न गिरने दो, क्योंकि उनको आलोचना के गिरते स्टैंडर्ड से दुख हो रहा है। हर कोई कहता था कि सुखबीर ने तो पानी वाली बस का झूठ बोला है, लेकिन जब बसें बनने लगी तो अखबारों में आलोचना का स्वरूप ही बदल गया। यह अपील खुद उप मुख्यमंत्री सुखबीर बादल अपने फेसबुक पेज पर आम जनता को कर रहे हैं। पिछले कुछ माह से सुखबीर बादल को सोशल मीडिया पर आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है, जिस कारण उन्होंने सोशल मीडिया का ही सहारा लेते हुए अपील की कि वह आलोचना से डरते नहीं हैं लेकिन आलोचना का स्टैंडर्ड गिरना गलत है।
मैं बहुत दुखी हूं
सुखबीर बादल ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा कि मैं कई दिनों से देख रहा हूँ कि पानी वाली बस का सोशल मीडिया पर मजाक उड़ाया जा रहा है। पहले यह मजाक बनाया था कि सुखबीर का पानी वाली बस चलाने वाला बयान झूठा है। फिर कहने लगे कि हरीके पत्तन कौन जाएगा, कैसे चलेगी यह बस। अब जब विदेश से तैयार होकर बस पंजाब में पहुंच गई तो फिर आलोचना का स्वरूप बदल गया। सुखबीर ने लिखा कि उनकी बस को किसी ने टेंपू कहा, किसी ने कहा कि यह तो मिस्त्रीयों से बनवाई है।
आलोचकों को नसीहत
सुखबीर ने लिखा कि मजाक उड़ाना है तो उड़ाओ लेकिन यह बात जहन में जरूर रखो कि जब कोई वायदा पूरा हो जाता तब आपकी खुद की हालत पतली और हास्यप्रद हो जाती है। आप अपने शब्दों की भरोसे योग्यता गंवा लेते हो। पानी वाली बस की योजना कोई एकदम नहीं बनी। पूरी संभावना देखने के बाद, पंजाब को टूरिज्म के क्षेत्र में नंबर एक बनाने के लिए और हरीके पत्तन को उत्तरी भारत की बड़ी पर्यटक क्षेत्र बनाने के लिए यह तो अभी पहला कदम है।
नहीं मानी अपील, फिर कहा झूठा
आलोचकों को नसीहत देने के बाद भी जनता चुप नहीं बैठी। उन्होंने निंदा प्रचार को रोकने से साफ इंकार कर दिया और फिर सुखबीर बादल को ‘गप्पी’ का कमेंट कर दिया। सुखबीर बादल के फेसबुक पेज पर ही लोगों ने काफी गलत शब्दों का प्रयोग करते हुए सुखबीर बादल को काफी कुछ लिखा है लेकिन इन शब्दों का प्रयोग अखबार में नहीं किया सकतपा है।
जनता ने अपनी हदें पाकर कर सुखबीर पर पंजाब विरोधी का आरोप लगाया भाईयो! मैंने बहुत बार कहा कि मेरी आलोचना जी भरकर करो। आपकी आलोचना से हमें आगे बढ़ने का बल मिलता है, लेकिन आलोचना का स्टैंडर्ड न गिरने दो।