महर्षि बाल्मीकि संस्कृत विवि में नहीं थम रहा विवादों का सिलसिला

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Kaithal News: मामले की जानकारी देते हुए धरनारत अध्यापक

अब उप विषय बंद करने को लेकर धरना दे रहे विवि के अध्यापकों ने लगाए विवी प्रशासन पर गंभीर आरोप

कैथल (सच कहूँ/कुलदीप नैन)। Kaithal News: जिले के गांव मूंदड़ी में बन रहे प्रदेश की पहले महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विवि में विवाद थमने का नाम नहीं ले रहे। इसके निर्माण कार्य की धीमी गति को लेकर लगातार सवाल उठ रहे है। पिछले आठ सालों से इसका निर्माण कार्य आधा भी नहीं हुआ है। वहीं भर्तियो को लेकर भी यह विवि विवादों में रही है और मामले हाइकोर्ट तक पहुंचे है। अब इस विवि में उप विषय बंद करने के मामले में पिछले दो माह से धरना दे रहे अध्यापकों ने भ्रष्टाचार होने का आरोप लगाया है। Kaithal News

मामले में धरनारत अध्यापकों ने आरोप लगाया कि विवि में दूसरे प्रदेशों के स्टाफ को रखा गया है। इसके साथ ही विवि में केवल संस्कृत पढ़ाने का आदेश थोपा गया है। यह सरासर नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की अवहेलना है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में एक मुख्य विषय रखकर दूसरे उप विषय रखने का नियम है। जबकि संस्कृत विवि में ऐसा नहीं हो रहा है। यहां पर उप विषय पूरी तरह से बंद किए गए हैं। जबकि दाखिले के समय उप विषयों में हिंदी, अंग्रेजी, राजनीतिक विज्ञान पढ़ाने की बात कर विद्यार्थियों को झूठ बोला जाता है। अब उप विषयों को बंद करने के बाद यहां पर विद्यार्थियों की संख्या भी लगातार कम हो रही है।

विवि में सिर्फ 5 अध्यापक प्रदेश के | Kaithal News

धरना देने वाले अध्यापकों में शामिल डॉ. ओमपाल ने कहा कि वह विवि के अस्थाई परिसर में पिछले करीब 70 दिन से बंद किए गए उप विषयों को शुरू करने की मांग पर प्रदर्शन कर रहे हैं। विवि प्रशासन ने उनकी बात सुनने की बजाय उल्ट उनकी दो माह से वेतन भी रोक दिया है। इसमें उनका कसूर केवल इतना है कि वे उप विषयों को शुरू करने की मांग कर रहे और हरियाणा से संबंध रखते हैं। विवि में पांच अध्यापकों को छोड़कर कुलपति से लेकर रजिस्टार और अन्य प्रशासनिक स्टाफ और शैक्षणिक स्टाफ बाहरी है। वे उन्हें विवि से हटाना चाहते हैं। इसलिए ही उप विषयों में हिंदी, अंग्रेजी, राजनीतिक विज्ञान को बंद किया गया है। जबकि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में ऐसा नहीं है।

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