देर रात्रि जब मकान की छत गिरी बरामदे में सोए थे परिवार के सभी सदस्य
सच कहूँ/अशोक राणा
कलायत। कलायत उपमंडल के आदर्श गांव बालू में मकान की छत गिरने से बड़ा हादसा होते-होते टल गया। देर रात्रि जब मकान की छत गिरी तब परिवार के सदस्य मकान के बाहर बरामदे में सो रहे थे। मकान मालिक बाल्मीकि बस्ती निवासी कृष्ण कुमार ने बताया कि वह गांव में ही मेहनत मजदूरी का कार्य करते हैं। उनके घर में एक कमरे के अलावा एक बरामदा है। रविवार-सोमवार रात्रि परिवार के सभी पांच सदस्य घर के बरामदे में सो रहे थे। अचानक से कडि?ों से बने कमरे की छत नीचे आ गिरी तथा परिवार के किसी सदस्य को चोट तो नहीं लगी पर छत के नीचे दबने से घर कमरे में रखा उनका बहुत सारा सामान खराब हो गया। मेहनत मजदूरी से जमा की गई जीवन भर की पूंजी से उन्हें कुछ समय पहले ही मकान का निर्माण करवाया था लेकिन घर की छत गिरने के कारण अब वे खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर है। स्थानीय निवासी समाजसेवी गुरदेव सिंह, विनोद कुमार व सुनील आदि ने बताया कि कृष्ण बाल्मीकि मजदूरी कर अपने बच्चों को पाल रहा था। अचानक छत गिर जाने से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया।
जहां प्रदेश सरकार गरीबों को पक्की छत देने का वादा कर रही है कहीं ना कहीं इन बातों को स्थानीय अधिकारी अनदेखा कर रहे हैं। जिनके मकान पहले ही पक्के बने हुए हैं उन्हें ही यह छत दे रही हैं लेकिन जो छत के असली हकदार हैं उनके पास यह योजना नहीं पहुंच रही है। उन्होंने राज्य मंत्री व स्थानीय अधिकारियों से गुहार लगाते हुए कहा कि इस परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और इस परिवार को प्रशासनिक मदद मिलनी चाहिए ताकि वह भी अपनी छत पर तिरंगा लगाकर सरकार द्वारा चलाई गई हर घर तिरंगा मुहिम का हिस्सा बन सके ।
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