कोरोनो के खिलाफ लड़ाई में गरीबों,वंचितों की उपेक्षा न हो : एमनेस्टी

Amnesty International

भारत में पलायन कर रहे लोगों के हालत पर गहरी चिंता | Amnesty International

नई दिल्ली (एजेंसी)। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कोरोनो महामारी के डर से भारत में पलायन कर रहे लोगों के हालत पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि इस महामारी से लड़ने के लिए भारत में 21 दिनों के लॉक डाउन ने लाखों प्रवासी मजदूरों को और गहरे संकट में डाल दिया है और उन्हें जिंदा रहने के लिए जरूरी सेवाओं की खातिर जूझना पड़ रहा है। भारत मे एमनेस्टी के कार्यकारी निदेशक अविनाश कुमार ने शनिवार को एक बयान में कहा कि भारत सरकार की ओर से महामारी से लड़ने के लिए जो नीतियाँ और योजनाएँ अपनाई जा रही हैं, उनके जरिये गरीबों और हाशिए के समुदायों की कठिनाइयाँ बढ़ने की जगह कम होनी चाहिए।

भारत एक महत्वपूर्ण चरण से गुजर रहा है

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने सम्बोधन में कहा था,‘भारत एक महत्वपूर्ण चरण से गुजर रहा है और बस एक गलत कदम की वजह से यह घातक वायरस जंगल की आग की तरह फैल सकता है और पूरे देश को खतरे में डाल सकता है। अगर हम लापरवाही करते रहे तो भारत को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। कुमार ने कहा,‘यह आवश्यक है कि भारत इस महामारी से लड़ने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए लेकिन, यह भी उतना ही जरूरी है कि सबसे कमजोर समुदायों के हितों को महामारी से लड़ने की हर नीति के केंद्र में रखा जाए।

लॉकडाउन का बुरा असर सबसे ज्यादा प्रवासी और देहाड़ी वाले मजदूरों और अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले लोगों पर पड़ा है। उन्होंने कहा कि इस महामारी से निपटने के लिए कोई भी कार्रवाई तय करते वक्त, भारत सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इन समुदायों की जरूरतों और अनुभवों को नजरअंदाज न किया जाए।

 

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