Supreme Court: आजकल एक्स्ट्रा इनकम के चक्कर में बहुत से लोग विभिन्न तरह के निवेश करते रहते हैं। सेविंग स्कीम हो, म्यूचुअल फंड्स या प्रॉपर्टी में पैसा लगाना हो, लोग आंख बंद करके निवेश कर रहे हैं। साथ ही छोटे से छोटे और बड़े शहरों में भी घर या फ्लैट किराए पर देने का क्रेज लोगों में बढ़ रहा है, जिसे लोगों ने पैसे कमाने का सबसे आसान जरिया ढूंढ रखा है, ताकि बैठे-बिठाए ही इनकम आ जाए और कुछ करना भी ना पड़े। हालांकि इनमें पहले कुछ पैसा निवेश भी करना पड़ता है। कुछ मकान मालिक तो ऐसे भी हैं, जो किराएदारों पर भरोसा करके कई सालों तक अपना मकान उन्हें सौप देते हैं। हर महीने किराया उनके खाते में पहुंच जाता है और मकान मालिक निश्चिंत हो जाते हैं लेकिन कई बार ऐसा करना मकान मालिक के लिए मुसीबत का कारण बन सकता है।
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ऐसे मामलों में कई बार तो मकान मालिकों को अपनी प्रॉपर्टी से भी हाथ धोना पड़ सकता है। एक छोटी सी लापरवाही मकान मालिक को भारी पड़ सकती है। ऐसे मामलों में मकान मालिक को ज्यादा सचेत रहने की आवश्यकता है। बता दें कि प्रॉपर्टी कानून में कुछ ऐसे कानून हंै, जिसकी वजह से किराएदार उस प्रॉपर्टी पर अपना हक जता सकता है। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको प्रॉपर्टी से जुड़े कुछ ऐसे कानूनों की जानकारी देने जा रहे हैं जिन्हें जानना सभी मकान मालिकों के हित में होगा। Supreme Court
प्रॉपर्टी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2014 में दिए अपने ही फैसले को पलट दिया है। जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने 2014 के फैसले को पलटते हुए कहा कि अगर कोई किसी जमीन पर दावा नहीं करता है और किराएदार 12 साल से लगातार उस जमीन पर रह रहा है तो वो उस जमीन का मालिक बन जाएगा। आपको बता दें, साल 2014 में कोर्ट ने कहा था कि प्रतिकूल कब्जे वाला व्यक्ति जमीन पर कब्जे का दावा नहीं कर सकता। इसके साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा था कि अगर जमीन का मालिक कब्जाधारी से जमीन वापस लेना चाहता है तो कब्जाधारी को वो जमीन वापस करनी होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने जमीनी कब्जे से जुड़ा अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि भारतीय कानून किसी व्यक्ति को 12 साल तक किसी जमीन पर अपना हक जताने का अधिकार देता है। अगर कोई जमीन विवादित है तो व्यक्ति उस पर अपना अधिकार जताते हुए 12 साल के भीतर मुकदमा दायर कर सकता है और अदालत से उसे वापस पा सकता है। बता दें कि लिमिटेशन एक्ट, 1963 के तहत निजी संपत्ति पर मालिकाना हक का दावा करने का समय 12 साल है, जबकि सरकारी जमीन पर ये सीमा 30 साल है। जबरन कब्जे की शिकायत 12 साल के अंदर करनी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया 12 साल तक जमीन पर कब्जा बरकरार रहने और मालिक की ओर से आपत्ति नहीं जताने की स्थिति में वो संपत्ति कब्जा करने वाले व्यक्ति की हो जाएगी। अगर कब्जेदार को जबरन संपत्ति से बेदखल किया जाता है तो वो 12 साल के भीतर मुकदमा दायर कर सकता है और अपने हितों की रक्षा कर सकता है। सिर्फ वसीयत या पावर आॅफ अटॉर्नी से आप किसी संपत्ति के मालिक नहीं बन सकते।