चेहरे पर चिकत्ते के निशान वाले ओहियो निवासी जॉन ग्लेन दुनिया में पहली बार पृथ्वी की कक्षा का चक्कर लगाकर हीरो बने और बाद में 24 साल तक अमेरिकी सीनेट में रहकर देश की राजनीतिक हस्ती भी रहे। जॉन अपनी उम्र का शतक लगाने से मात्र पांच वर्ष की दूरी पर ही थे कि 95 साल की उम्र में ओहियो प्रांत के कोलंबस शहर में अंतिम सांस लेकर दुनिया से विदा हो गए थे।
जॉन ग्लेन का चयन 1974 में अमेरिकी सीनेट के भीतर ओहियो का प्रतिनिधित्व करने के लिए भी हुआ। इसके दो साल बाद अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जिम्मी कार्टर ने उपराष्ट्रपति के संभावित उम्मीदवारों में ग्लेन का नाम भी शामिल किया था। हालांकि बाद में किसी अन्य के नाम पर मुहर लगाई गई। बराक ओबामा ने उन्हें 2012 में प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ़ फ्रीडम अवार्ड से भी नवाजा। 20 फरवरी 1962 को जब ग्लेन ने अंतरिक्ष में जाने के लिए उड़ान भरी थी तब यह यात्रा इसलिए भी बेहद महत्वपूर्ण व तनावपूर्ण थी, क्योंकि उस समय अंतरिक्ष यात्राओं का दौर एकदम शुरूआती काल में था।
दूसरी बार उन्होंने 1998 में एक बार फिर इतिहास रचा और 77 वर्ष की आयु में अंतरिक्ष जाने वाले ग्लेन दुनिया के सर्वाधिक आयु के व्यक्ति बन गए। साल 1998 में दुनिया का सबसे बुजुर्ग अंतरिक्षयात्री सफलता पूर्वक अपना मिशन पूरा कर धरती पर वापस लौटा था। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ग्लेन ने करीब 59 लड़ाकू अभियानों की बागडोर संभाली थी। उन्होंने कोरियाई युद्ध में नए लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल करते हुए 90 अभियानों के लिए उड़ान भरी थी। जॉन ग्लेन उन सात अंतरिक्ष यात्रियों में से एक थे जिन्होंने मर्करी-7 में अंतरिक्ष का सफर तय किया था। इन यात्रियों में से छह की पहले ही मृत्यु हो चुकी है। जनवरी 1999 में ग्लेन ओहायो के डेमोक्रेट सीनेटर के पद से रिटायर हुए। इसी साल नासा ने अपने लुईस रिसर्च सेंटर का नाम बदलकर ग्लेन रिसर्च सेंटर कर दिया।
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