प्रतिष्ठित पत्रिका लैसेंट के बाल रोग विशेषज्ञों ने किया आगाह
- कोरोना पीड़ित रहे व्यक्तियों के परिवार रखें खास ख्याल
सरसा (सच कहूँ न्यूज)। कोविड-19 की महामारी के बाद 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में अगर 8-9 दिन लगातार बुखार रहने, पेट में दर्द, आँखों में खुजली जैसे लक्षण के साथ थकावट की समस्या है, तब माँ-बाप को अपने बच्चे के बारे में तुरंत किसी बाल रोग विशेष से परामर्श लेने की आवश्यकता है। क्योंकि उक्त लक्षणों के साथ बीमार बच्चों की संख्या बढ़ रही है। अमेरिकी संस्था सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) मई 2020 इस पर अध्ययन कर रही है। सीडीसी के अनुसार एम.आई.एस.सी. बहुत कम होने वाली लेकिन एक खतरनाक बीमारी है, जो बच्चों के हृदय, फेफड़े, गुर्दे, आंत, मस्तिष्क एवं आँखों पर असर डाल सकती है। शोधकर्ताओं के अनुसार बच्चों की गर्दन में दर्द, शरीर पर दाने होना, आँखे सुर्ख होना व थकान की अगर शिकायत है, तब बच्चों के कुछ बेसिक टेस्ट जरूर करवाएं जाएं, जिनमें खून की जांच जैसे सीवीसी, ईएसआर और सीआरपी आदि, इनके के जरिये बीमारी का शुरूआत में ही पता लगाया जा सकता है।
प्रतिष्ठित मेडीकल पत्रिका लैसेंट के अनुसार बाल रोग विशेषज्ञों के अनुसार ये एक बढ़ने वाली बीमारी है, जिसकी शुरूआत छोटे-छोटे लक्षणों से होती और बाद में शरीर के महत्वपूर्ण अंग इसमें काम करना बंद कर जाते हैं। लैसेंट के विशेषज्ञों ने एम.आई.एस.सी. से पीड़ित बच्चों की शुरूआती रिपोर्ट्स देखी, तब इनमें 54 प्रतिशत बच्चों की हृदय संबंधी रिपोर्ट ईसीजी ठीक नहीं थी, इतना ही नहीं एमआईएससी प्रभावित बच्चों की खून की बुनियादी जांचें भी खराब पाई गई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दिल्ली में अभी तक इस बीमारी से करीब 200 केस देखे जा चुके हैं। बाल रोग विशेषज्ञों की इस बारे में राय है कि शुरूआती लक्षणों में इलाज शुरू किया जाना चाहिए और एमआईएससी का इलाज संभव है। इंडियन अकेडमी आॅफ पीडियाट्रिक्स इंटेसिव केयर ने भी कहा है कि जो माँ-बाप खासतौर से कोरोना पीड़ित रहे हैं, ऐसे परिवार बच्चों में एमआईएससी के लक्षण देखें तो वह इस बारे में डॉक्टर से बात करें।
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