4 अप्रैल को हो चुका रजिस्ट्रेशन (Migrant laborers)
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जब भी कोई ट्रेन चलेगी तो इन्हें घर भेजा जाएगा : एसएचओ
भिवानी (सच कहूँ/इन्द्रवेश दुहन)। भिवानी में वीरवार को लॉकडाऊन की मार और कोरोना का कहर झेल रहे प्रवासी मजदूरों के सब्र का बांध टूट गया। इन प्रवासियों ने घर जाने के लिए अपनी बिहार सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इन्होंने कहा कि ना रहने को है और ना खाने को। कहीं खाना मिलता है तो सोने को शमशान घाट मिलता है। हालांकि पुलिस ने अब इन्हें आश्रय स्थल में भेजा है और कहा है कि जब भी ट्रेन चलेगी इन्हें घर भेजा जाएगा।
- कोरोना महामारी प्रवासियों के लिए कोहराम बन रही है।
- सरकार इन्हें घर भेजने के लिए ट्रेन चला रही और बसों को भी इनके राज्यों तक भेजा जा रहा है।
- बावजूद इसके अब भी अकेले भिवानी में हजारों प्रवासी हैं, जो घर जाने के लिए बेताब हैं।
- और दर-दर भटक रहे हैं। इनके पास ना खाने को कुछ है, ना रहने को।
ऐसे ही कुछ प्रवासी लोगों का उस समय सब्र जवाब दे गया, जब इन्हें घर जाने का कोई रास्ता नहीं सुझा। इन्होंने बिहार सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और अब गुस्सा प्रकट किया। इन प्रवासी मजदूरों ने बताया कि लॉकडाऊन के बाद उनके पास ना कोई काम है, ना पैसा। (Migrant laborers) ऐसे में ना कुछ खाने को बचा ना कुछ रहने को। इनका कहना है कि इनका रजिस्ट्रेशन 4 अप्रैल को हुआ था, लेकिन 8-10 दिन बाद भी घर नहीं भेजा गया।
वहीं सूचना पाकर सिविल लाईन थाना प्रभारी विद्यानंद मौके पर पहुंचे और प्रवासियों को समझा-बुझाकर गुजरानी रोड़ स्थित आश्रय स्थल में भेजा। थाना प्रभारी विद्यानंद ने कहा कि इन सभी को आश्रय स्थल में खाने-पीने व रहने की व्यवस्था मिलेगी और जब भी कोई ट्रेन चलेगी इन्हें इनके घर भेजा जाएगा।
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