पाकिस्तान ने एक बार फिर मुंबई हमले के दोषी हाफिज मोहम्मद सईद को आतंकी फंडिंग मामले में गिरफ्तार किया है। यदि स्पष्ट तौर पर कहें तो यह पाकिस्तान की कोई कार्रवाई नहीं बल्कि मजबूरी है। अब देखना यह होगा कि पाकिस्तान आतंकी हाफिज सईद पर आगे किस प्रकार कार्रवाई करेगा। पाकिस्तान कई बार आतंकियों को पकड़ने के बाद उन्हें छोड़कर नौटंकी करता रहा है। पाकिस्तान इस वक्त चहुंतरफ से घिरा हुआ है। एक तरफ भारत मुंबई हमले मामले में पाकिस्तान पर सईद की गिरफ्तारी का दबाव बना रहा है दूसरी तरफ अमेरिका आतंक को पनाह देने पर सख्त है।
अमेरिका ने तो सईद पर एक करोड़ डालर इनाम की घोषणा भी की है। ताजा हालातों के अनुसार भारत की दो सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान बुरी तरह से अलग-थलग पड़ गया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पाकिस्तान की फजीहत हुई है। आर्थिक मंदी का शिकार हो रहे पाक को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से काफी सख्त शर्तों के तहत कर्ज मिला है जिस कारण इमरान सरकार की देश में किरकरी हो रही है। अब पाकिस्तान समझ गया है कि आतंकवाद के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करने के बाद ही उसे छुटकारा मिल सकता है। भले ही पाक ने श्री करतारपुर साहिब रास्ता खोलने का निर्णय लेकर भारत को मनाने का प्रयास किया है, लेकिन निर्णय दोनों देशों के बीच संबंधों को फिर ही मजबूत करेगा यदि पाकिस्तान सईद सहित अन्य आतंकी संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा।
यह मांग पिछले दिनों भारत-पाक अधिकारियों के बीच हुई बैठक में भी रखी गई है और भारत ने कहा था कि इस मामले में सुरक्षा बहुत अहम मामला है। नि:संदेह सईद की गिरफ्तारी आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संदेश है लेकिन इससे पूर्व भी उसे गिरफ्तार करना और फिर खुलेआम छोड़ देना पाक की नीयत पर संदेह पैदा करता है। पाक की पहले वाली सरकारें भी आतंकवाद के खात्मे के लिए ड्रामेबाजी करती रही हैं, जिस कारण पाक पर अब विश्वास करना कठिन है। इमरान सरकार आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई अपना खजाना भरने के लिए करती है या आतंकवाद को इंसानियत का शत्रु समझकर करती है, इसका अभी इंतजार रहेगा। अब पाकिस्तान की भलाई इसी बात में है कि वह आतंकवादियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई कर अपने देश को विकास की ओर अग्रसर करते हुए विश्व में आतंक न फैलाए।
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