देश को बड़े किसान आंदोलन की जरूरत:राकेश टिकैत
- कृषि मंत्री से वार्ता के बाद किसानों की महापंचायत खत्म
- संयुक्त किसान मोर्चा ने कृषि मंत्री से हुई वार्ता में एमएसपी पर कानून और किसान कर्ज माफी आदि की रखी मांग
- संयुक्त किसान मोर्चा ने 30 अप्रैल को दिल्ली में फिर बुलाई बैठक
दिल्ली (सच कहूँ/रविंद्र सिंह)। देश की राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान में सोमवार को संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की ओर से बुलाई गई महापंचायत संपन्न हुई। संयुक्त किसान मोर्चे के 15 सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल नेदोपहर को कृषि भवन में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की।और उन्हें मांग पत्र सौंपा। यहां किसानों ने कृषि मंत्री को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी )और कर्ज माफी आदि मांगों को लेकर पत्र सौंपा गया । कृषि मंत्री से वार्ता में कोई नतीजा नही निकलने पर संयुक्त किसान मोर्चा ने (एस.के.एम.) ने 30 अप्रैल को दिल्ली में ही अगली बैठक करने का ऐलान किया है । एसकेएम ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार ने जल्द ही उनकी मांगें नहीं मानीं तो उन्हें फिर से बड़ा आंदोलन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
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फसल और नस्ल बचाने को बड़ा आंदोलन करना पड़ेगा :टिकैत
किसान नेता राकेश टिकैत ने बताया कि स्किल्ड इण्डिया की बात करते है। स्किल क्या है? स्किल के नाम पर मजदूर,लेबर बनाना चाहती है सरकार,पूंजीपतियों को जमीन देना चाहती है सरकार। किसान की जमीन छीनने का प्लान है। कहा कि हताश होने की जरूरत है।सरकार कहती है कि आंदोल करो। यानि सरकार बड़ाआन्दोलनदेश में करवाना चाहती है। अब फसल और नस्ल बचाने को देश में बड़ा आंदोलन करना पड़ेगा। जैसे कृषि कानून वापसी के लिए आंदोलन करना पडावैसे ही अब एमएसपी क़ानून के लिए भी तेरह महीने से बड़ा आंदोलन कराना चाहती है सरकार। बगैर आंदोलन के देश नहीं बचेगा। भीड़ तो एक ही संगठन बहुत ला सकता है।
इस महापंचायत में 32 किसान संगठन शामिल हुए। उन्होंने कहा कि हमारा आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार हमारी मांगें पूरी नहीं कर देती। कहा कि सरकार ने हमसे से जो वादे किए थे, वो अभी तक पूरे नहीं हुए हैं। सरकार किसानों को दोबारा आंदोलन करने के लिए मजबूर कर रही है। कहा कि देश में आज बड़े किसान आन्दोलनकी जरुरत है। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने महापंचायत में आए किसानों से उनकी समस्याओं पर बात करते हुए कहा कि अगर सरकार ने हमारी मांगें नहीं मान रही है तो हम फिर से बड़ा आंदोलन करेंगे। सरकार बड़ा आंदोलन चाहती है।
सरकार की बनाई कमेटी का किया विरोध
संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया । मोर्चा का कहना है कि सरकार ने उत्पादन की कुल लागत पर 50 फीसदी एमएसपी लागू करने का लिखित आश्वासन दिया था। इसके लिए सरकार ने जो कमेटी बनाई थी, उसमें 26 सदस्य इंडस्ट्रियल घरानों के पक्ष में थे। ऐसे में किसान इस कमेटी का भी विरोध कर रहे हैं।
ये है संयुक्त किसान मोर्चा की मुख्य मांगे
संयुक्त किसान मोर्चा की मुख्य मांगे है कि सरकार एमएसपी पर क़ानून बनाए ,किसान कर्ज माफी, 5000 रुपए की हर महीने पेंशन, सिंचाई के लिए 300 यूनिट मुफ्त बिजली की मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज हुए मामले वापस लेने की भी मांग कर रहे हैं।
कृषि मंत्री से मिला किसान प्रतिनिधिमंडल, वार्ता रही बेनतीजा
संयुक्त किसान मोर्चे के 15 सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल दिल्ली पुलिस की सुरक्षा में बस में सवार होकर कृषि भवन पहुंचा। यहां उन्होंने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की। वार्ता में संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल ने अपनी मांग रखी। जिन पर सहमति नहीं बन सकी। कृषि मंत्री के साथ किसानों की बैठक बेनतीजा रही।
ऐलान :अब कृषि कानून आंदोलन से भी बड़ा आंदोलन करेंगे: एसकेएम
कृषि मंत्री से वार्ता बेनतीजा होने पर एसकेएम के किसान नेता दर्शन पाल ने महापंचायत में किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि किसानों के अभी कई मुद्दे हैं, जिनका समाधान निकाला जाना बाकी है। उन्होंने अगली बैठक का एलान करते हुए कहा कि संयुक्त मोर्चा अब 30 अप्रैल को दिल्ली में ही एक और बैठक करेगा । उन्होंने सभी किसान संगठनों से मेरी अपील करते हुए कहा है कि वह अपने-अपने राज्यों में रैलियां निकालें और जगह- जगह पंचायतें करें। कहा कि हम रोज-रोज विरोध नहीं करना चाहते हैं। लेकिन हम ऐसा करने के लिए मजबूर हैं। अगर सरकार हमारी मांगें नहीं मानती है तो हम एक और बड़ा आंदोलन शुरू करेंगे। यह आंदोलन कृषि कानूनों के विरोध में हुए आंदोलन से भी बड़ा आंदोलन होगा।
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