पीआरटीसी के भटिंडा डिपो ने सिटी बस सेवा चलाने में असमर्थता जताई
भटिंडा (अशोक वर्मा)। गत कई वर्षों से लगातार भटिंडा में सिटी बस सेवा तहत चलाई जा रही बसों को 1 जुलाई से बंद करने की तैयारी पूरी कर ली है। पीआरटीसी के भटिंडा डिपो ने सिटी बस सेवा को चलाने में असमर्थता जताते हुए अपने मुख्य कार्यालय व नगर निगम भटिंडा के कमीश्नर को पत्र के माध्यम से इस फैसले की जानकारी दे दी है। भटिंडा डिपो ने सिटी बसों के कारण पड़ रहे घाटे को यह सेवा बंद करने का मुख्य आधार बनाया है।
स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि वह 30 जून तक शहरी बस सेवा चलाएंगे। इसके बाद उन्होंने यह बसें चलाने से असमर्थता जताई है। माना जा रहा है कि यदि शहरी बसें बंद हो जाती है तो इससे कांग्रेस को नामोशी का सामना करना पड़ सकता है।
बिना किसी टाईम टेबल के चल रही सिटी बसों से पड़ रहे घाटे ने पीआरटीसी को यह कदम उठाने के लिए मजबूर किया है। इन बसों को भटिंडा के अतिरिक्त गोनियाना, भुच्चो मंडी व संगत मंडी आदि तक चलाया जा रहा है।
टाईम टेबल न होने के कारण आ रही थी अड़चने
पीआरटीसी ने इन बसों के लिए 14 परमिट प्राप्त किए हुए हैं। इन बसों का टाईम टेबल न होने के कारण कुछ अड़चने आ रही थी और निजी आपरेटर भी परेशान थे, किन्तु अभी तक वह चुप थे। पीआरटीसी वर्क्स यूनियन व निजी बस आपरेटर यूनियन के एक संयुक्त कमेटी बनाई है, जो कि कल से सभी बसों के टाईम टेबल वगैरा की जांच करेगी।
शहरी बसों की कोई समय सूची न होने संबंधी भटिंडा डिपो ने ट्रांसपोर्ट विभाग को भी इससे अवगत करवा दिया था। सूत्रों मुताबिक कुछ दिन पहले टाईम टेबल संबंधी पुलिस के पास भी शिकायत गई थी, किन्तु इसकी पुष्टि नहीं हो सकी।
प्रत्येक माह 9 लाख रुपये का घाटा
जानकारी अनुसार भटिंडा डिपो को प्रत्येक माह 9 लाख रुपये का घाटा पड़ रहा है। बीते वर्ष दौरान इन बसों कारण भटिंडा डिपो को करीब 60 लाख रुपये का रगड़ा लग गया है। सिटी बस सेवा तहत जो बड़ी बसें चल रही हैं, उनका प्रत्येक माह 3.50 लाख रुपये घाटा पड़ रहा है। वर्णनीय है कि घाटे के चलते पीआरटीसी ने काफी समय पहले भी यह बस सेवा जारी रखने से इंकार कर दिया था।
नगर निगम ने इन बसों को अपने बलबूते चलाने की इच्छा जाहिर की थी। पीआरटीसी ने भी इसके लिए सहमति दे दी थी, किन्तु निगम को इन बसों के लिए निजी आपरेटर नहीं मिल रहे हैं। निगम द्वारा इस संबंधी दो बार टैंडर भी लगाए गए , किन्तु शर्ते सख्त होने के कारण निजी आपरेटरों ने इस सेवा प्रति रुची नहीं दिखाई।
पता चला है कि तब सरकार के दखल से मामला लटक गया था, जिस कारण पीआरटीसी ही गल पड़ा ढोल बजाती आ रही थी। पूर्व उप मुख्य मंत्री सुखबीर सिंह बादल द्वारा 13 अप्रैल 2012 को वैसाखी के अवसर पर भटिंडा में सिटी बस सेवा की बसों को हरी झंडी देकर रवाना किया था। नगर निगम भटिंडा ने केन्द्रीय फंडों की सहायता से 10 बड़ी बसें खरीदी थी। उस समय की अकाली सरकार ने विधान सभा चुनावों से पहले सियासी लाभ के लिए जनवरी 2017 से 20 मिनी बसें शहरी बस सेवा में शामिल कर दी थी, जिस कारण घाटा बढ़ गया।
बेबसी में लिया फैसला: जीएम
पीआरटीसी के भटिंडा डिपो के जनरल मैनेजर सुरिन्द्र सिंह का कहना था कि सिटी बस सेवा कारण विभाग को प्रत्येक माह बड़ा आर्थिक बोझ झेलना पड़ रहा है। इस लिए नगर निगम को पत्र के माध्यम से 30 जून के बाद बसें चलाने में असमर्थता से अवगत करवा दिया गया है। उन्होंने कहा कि ट्रांसपोर्ट विभाग को सिटी सेवा की समय सूची बनाने के लिए कई बार लिखा गया है, किन्तु कोई तस्सली बख्श जवाब नहीं मिला।
निगम चलाएगा बस सेवा: डिप्टी कमीश्नर
डिप्टी कमीश्नर दीपरवा लाकड़ा ने कहा कि यदि पीआरटीसी द्वारा सिटी बस सेवा को बंद किया जाता है तो नगर निगम सिटी बस सेवा को चलाएगा। आखिरकार लोगों को सुविधा तो देनी ही है।
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