बड़ी संख्या में महिलाएं धान की फसल की रोपाई में आईं आगे
सच कहूँ न्यूज-गुरप्रीत सिंह
संगरूर। इन दिनों खेतों में धान की फसल की रोपाई का काम जंगी स्तर पर शुरु हो गया है। प्रवासी मजदूरों की कमी के कारण खेतों में धान की फसल की रोपाई का काम गांवो की महिलाओं ने संभाल लिया है। बड़ी संख्या में खेतों में महिलाओं ने धान की फसल की रोपाई करती दिख रही हैं।
जानकारी मुताबिक इस वर्ष प्रवासी मजदूरों आमद पिछले साल के मुकाबले काफी कम है व कुछ कारणों से अन्य राज्यों से आने वाले मजदूर देरी से पहुुंच रहे हैं, जिस कारण धान की फसल की रोपाई वाली लेबर की भारी बड़ी कमी पैदा हो गई है, जिस कारण गांवों में मजदूरी का काम करती महिलाओं ने प्रयास करते धान की फसल की रोपाई के काम को अपने हाथों में ले लिया है।
महिलाएं पुरूषों के बराबर कर रही धान की रोपाई
महिलाएं पुरुषों के बराबर धान की फसल लगा रही हैं। एक मजदूर महिला प्रसन्न कौर ने बताया कि उनको धान की फसल की रोपाई के काम में कोई दिक्कत नहीं आ रही उन्होंने कहा कि आज के महंगाई के दौर में खर्च किए इतने बढ़ गए हैं कि घर के पुरुषों के साथ-साथ महिलाआें को भी बराबर काम करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि 8-10 दिनों में वह काफी पैसे कमा लेंगे
जिससे उनके परिवार की आर्थिकता की गाड़ी को सहारा मिलेगा। एक अन्य महिला गुरमेल कौर ने बताया कि वह हर वर्ष धान की रोपाई का काम करते हैं। उसने बताया कि उसे कोई भी परेशानी नहीं आ रही कि उनके साथ धान की रोपाई का काम करने वाले, गांव के व्यक्ति हैं जिस कारण एक परिवार जैसा माहौल बन जाता है।
धान की रोपाई बढ़ी
किसान नेता गुरचरन सिंह ने बताया कि उनको अपने खेतों में धान की फसल लगवाने के लिए मजदूरों की कमी आ रही है। कई किसान तय की गई 20 जून को भी धान की फसल नहीं लगा सके, जिस कारण मजबूरन गांवों में से मजदूर लाने पड़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि अब धान की फसल की रोपाई की दिहाड़ी प्रति एकड़ 2800 रुपए तक पहुंच गई है जो पिछले वर्ष 2 हजार थी। उन्होंने बताया कि महिला मजदूरों द्वारा भी धान की रोपई में बड़ा योगदान दिया जा रहा है।
रेलवे स्टेशनों पर मजदूरों के इंतजार में किसानों ने लगाए डेरे
प्रवासी मजदूरों की आमद को लेकर इन दिनों रेलवे स्टेशनों व किसानों की मौजुदगी अक्सर देखी जा सकती है। इन मजदूरों के इन्तजार में धुरी जंक्शन सहित मालवा के दूसरे रेलवे स्टेशनों पर किसानों की टोलियों ने बीते कई कई दिनों से प्रवासी मजदूरों का इन्तजार में डेरे लगाए हुए हैं व दिल्ली से आ रही रेल गाड़ी की तरफ किसान टिकटिकी लगा कर देखते रहते हैं।
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