अराजकता व विरोध-प्रदर्शनों का मुद्दा

The issue of chaos and protests
कृषि सम्बन्धित तीन केंद्रीय कानूनों के पास होने के बाद देश भर के किसानों में भारी रोष है। विशेष तौर पर पंजाब और हरियाणा के किसानों के प्रदर्शनों ने पूरे देश का ध्यान खींचा है। अब कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब और हरियाणा को ही मुख्य राष्ट्रीय मुद्दा बना लिया है। रविवार को कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने पंजाब में ट्रैक्टर रैली की शुरूआत की, जो तीन दिन तक जारी रहेगी। नि:संदेह पंजाब हरियाणा की कृषि का मामला गंभीर है, इस मामले में सभी राजनीतिक पार्टियों को गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। कांग्रेसी नेता राहुल गांधी ने तो यहां तक ऐलान कर दिया कि केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनने पर तीनों कृषि कानूनों को रद्द किया जाएगा। किसानों का आंदोलन तो इस हद तक तीव्र हो गया है कि रेल पटरियां जाम करने के साथ-साथ अब टोल प्लाजा, पेट्रोल पंप, सहित बड़े स्टोरों के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया जा रहा है।
कृषि का मामला गंभीर है किंतु किसान संगठनों को अपना संघर्ष किसी भी प्रकार से अराजक बनाने से बचना चाहिए। किसानों के आंदोलन को 25 सितंबर के बंद को लगभग सभी वर्गों व संगठनों ने समर्थन दिया था। किसानों का संघर्ष पूरा शांतपूर्ण तरीके से चल रहा है और ऐसे शांतिपूर्ण आंदोलन का जनता भी समर्थन करती है। टोल प्लाजों को लेकर किसानों की अपनी विचारधारा हो सकती है, लेकिन इन्हें गैर-कानूनी तरीके से बंद करवाना भी आंदोलन को कमजोर करने के बराबर है। किसानों ने मुख्यमंत्री के विवादित ब्यान संबंधी स्पष्टीकरण देकर अफवाह का खंडन कर अच्छा कदम उठाया था। मीडिया में यह रिपोर्टें आई थी कि मुख्यमंत्री ने कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के पुत्रों को हथियार उठाने की नौबत आने का ब्यान दिया है। किसानों ने मुख्यमंत्री के साथ मुलाकात कर दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया था, जिससे स्पष्ट था कि किसान अमन-शान्ति और कानून की पालना में आंदोलन करना चाहते हैं। टोल प्लाजों, तेल पंपों और स्टोरों के मामले में भी किसानों को समझदारी व जिम्मेदारी से प्रदर्शन करना चाहिए। किसी भी प्रकार की गैर-कानूनी कार्रवाई को अंजाम देने से बचना और संवैधानिक तरीके से संघर्ष करना चाहिए।

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।