Western Culture: आर्थिक रूप से देश प्रगति कर रहा है। तकनीकी रूप से भी देश का नाम सबसे आगे आ रहा है। इसके बावजूद समाज में गिरावट का दौर जारी है। देश में चोरी, हत्या, डकैती निरंतर बढ़ रही हैं। प्रत्येक व्यक्ति खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है। कानून व्यवस्था की समस्या गंभीर है। ऐसा कोई दिन नहीं होगा, जब लूटपाट की घटना नहीं घटित होती हो। पहले लूटपाट व हत्या की घटना कभी-कभार होती थी, लेकिन अब यह आम हो चुकी हैं। सरकारों के एजेंडे में सामाजिक गिरावट को पर्याप्त महत्व नहीं दिया जाता, विशेष रूप से अधिकतर घटनाएं आपसी द्वेष बताकर प्रशासन अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाता है, लेकिन सवाल यह भी उठता है कि किस माहौल ने आपराधिक प्रवृत्ति पैदा की है। Western Culture
टीवी चैनलों पर चलने वाली अनैतिक सामग्री अश्लील विज्ञापनों पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई, जिसका परिणाम यह हुआ कि मासूम बच्चे अपराध की दलदल में जा गिरे। रोज लुटेरे क्यों पैदा हो रहे हैं? रोजाना ही एटीएम तोड़ना, कैश वैन लूटना, जमीन-जायदाद के लालच में बेटों द्वारा पिता की हत्या करना, भाइयों द्वारा भाइयों की हत्या करना, प्रवासियों की संपत्ति हड़पना ऐसी कई घटनाएं हैं, जिन्होंने समाज में आतंक और अविश्वास का माहौल पैदा कर दिया है। यह मुद्दा केवल कानून व्यवस्था का नहीं है बल्कि इसकी जड़ सामाजिक विकास का असंतुलित होना है। Western Culture
वैश्विक स्तर पर आ रहे परिवर्तनों के दुष्परिणामों को रोकने के लिए भारतीय समाज के पास कोई ढाल नहीं है। न तो शिक्षा का ढांचा मजबूत है और न ही सांस्कृतिक मंच तैयार है। आधुनिकता के नाम पर पाश्चात्य संस्कृति का प्रचार किया जा रहा है। भारतीय संस्कृति का दमन किया जा रहा है। भारतीय खान-पान, पहरावा, आपसी भाईचारा, रिश्ते नाते, कलाएं सबकुछ भुलते जा रहे हैं। विदेशों में अमन-शांति की चर्चा होती है, लेकिन हमारे देश में अपराध केवल अपराधियों के लिए ही नहीं बल्कि भ्रष्ट कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए भी सोने की खान बन गया है। समाज में शांति, प्रेम और विश्वास से परिपूर्ण वातावरण के लिए सरकार को ठोस नीतियां बनानी होगी। Western Culture
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