बार-बार दिन ये आए…

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पावन अवतार दिवस लाया हरियाली और खुशहाली

15 August: एक ऐसा जन्मदिन आता है, जो सिर्फ केक काटने व खाने-पीने तक ही सीमित नहीं, बल्कि यह जन्मदिन पूरी कायनात में बहार लेकर आता है। एक नई सोच व संदेश लेकर आता है। करोड़ों लोग इस पवित्र दिवस पर दूसरों की बेहतरी के लिए व जरूरतमंदों की मदद के लिए व प्रकृति की संभाल करने में जुट जाते हैं। 15 अगस्त (15 August) को सच्चे मुर्शिद-ए-कामिल पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां का पावन अवतार दिवस जो है।

आज आप जी के करोड़ों श्रद्धालुओं के चेहरों, घरों व आश्रमों में एक अनोखी मस्ती-खुशी व उत्साह का आलम दिखाई दे रहा है। यह भी अपने आप में एक अजूबा ही है कि कई दिन पहले से ही श्रद्धालुओं के पैर धरती पर नहीं लगते। अवतार दिवस की खुशी में पौधे लगाना, रक्तदान करना व जितना संभव हो सके जरूरतमंदों की मदद करने की तैयारियां शुरु हो जाती हैं। 14 अगस्त की सुबह का दृश्य तो फिर देखने वाला ही होता है। लाखों की संख्या में श्रद्धालु गांव-गांव, ब्लॉक-ब्लॉक, शहर-शहर, गली-गली पौधे लगाने के लिए निकल पड़ते हैं।

हाथ में पौधे, कस्सी, खुरपी व पानी की बाल्टियां लेकर पौधारोपण करने की मुहिम शुरु हो जाती है। यह दिवस गमों में डूबे जरूरतमंदों, मासूम बच्चों व बेबस लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाता है। दूसरों की खुशी में ही हमारी खुशी, यह खुशी का असली अर्थ है, मानते हुए जिनके हाथ हमेशा दुआ के लिए, सभी के भले के लिए उठते हैं, जिनका हर कदम मानवता, जीव-जंतुओं व प्रकृति की भलाई के लिए उठता है, उस महान हस्ती का जन्मदिन भी दुनिया से अलग ही होता है। इस दिन कोई कर्म-कांड नहीं किया जाता, जीव-जगत के कल्याण के लिए वास्तविकता में काम किया जाता है।

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संत धुर-दरगाह से आते हैं, यहां धरती परआकर नहीं बनते। संत और परमात्मा एक होते हैं। धर्मों में परमात्मा को दयालु, कृपालु, बख्शनहार, रहमतों का समुन्द्र, प्यार बांटने वाला, सभी के साथ एक जैसा व्यवहार करने वाला, भलाई का काम करने वालों पर अपनी दया मेहर करने वाला व कमजोर की मदद करने वाला बताया गया है। इस सिद्धांत और अटल सच्चाई के अनुसार संत भी परमात्मा के इन गुणों से भरपूर होते हैं। उनके लिए कोई भी पराया नहीं होता और वह हमेशा ही सभी का भला ही मांगते हैं। 15 August

पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां दया के सागर हैं व आप जी दीन-दुखियों व जरूरतमंदों के लिए जहां अपनी कमाई में से जरूरतमंदों की मदद करते हैं, वहीं तन-मन-धन से भी आप जी इन्सानियत की बेमिसाल सेवा कर रहे हैं। आप जी आदिवासियों के कल्याण के लिए राजस्थान के झाड़ौल, जिला उदयपुर क्षेत्र में महीनों तक रहे। आप जी ने लोगों को अंधविश्वास व पाखंडों में से निकालकर भगवान की सच्ची भक्ति के साथ जोड़ने के लिए देशभर में हजारों किलोमीटर का सफर तय किया। 15 August

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