बर्फ की खरीद में भी हुआ 25 फीसदी इजाफा | (Soft drinks)
सरसा (सच कहूँ न्यूज)। मौसम के मिजाज की अठखेलियों से कहीं खुशी कहीं गम का माहौल दिखाई दे रहा है। जहां धान, गवार व नरमा उत्पादक किसानों के चेहरों पर रौनक है वहीं अब तक कूलर, एसी आदि बेचने के दुकानदारों के चेहरे से रौनक गायब देती आई है। हालांकि देर से ही सही, गर्मी अब अपने चरम पर है। मौसम विभाग के अनुसार जून माह में इस बार लू नहीं चलेगी। पहली बार नौतपा ने भी सर्दी का अहसास दिलाया। Soft drinks
पिछले 17 वर्षों में ऐसा कभी नहीं हुआ कि जून माह में लू न चली हो। लू न चलने के कारण इस बार आम, तरबूज, खरबूजे व लीची में वो मिठास नहीं है जो अपेक्षाकृत पिछले सालों में रहती थी। इस वर्ष के सीजन की इस समय प्रचंड गर्मी है तथा तापमान 40 डिग्री को पार कर चुका है, इसलिए एकाएक जूस, गन्ने का रस व कुल्फी की रेहड़ी आदि पर गुजर बसर करने वाले छोटे दुकानदार जो अब अपनी गुजर बसर के लिए अन्य व्यवसाओं की ओर आकर्षित हो चुके थे वे एक बार फिर अपने मूल व्यवसाय पर लौट आए हैं।
बर्फ की बिक्री में भी पिछले दो दिनों से 25 प्रतिशत तक उछाल देखा गया है। कूलर व्यापारी जो कि मायूस होकर अपने कूलरों को अन्य प्रदेशों में कम दाम पर बेचने को विवश थे, के चेहरों पर भी रौनक लौटने लगी है। बढ़ी गर्मी से बदले मिजाज में अब लोग शाम को कुल्फी, जूस व गन्ने के रस की रेहड़ियों पर जुटने लगे हैं। पार्कों में शाम को लोगों की बढ़ी चहल पहल से पार्कों के आस पास पेय पदार्थों की रेहड़ियों की भी भरमार दिखने लगी है।
पिछले 17 वर्षों में पहली बार किसान गर्मी में दिखे खुश:
सरसा व आसपास का पूरा क्षेत्र कृषि पर निर्भर है। यहां नरमा, कपास, धान, गवार आदि की फसल बहुतायत में होती है। इस सीजन में किसान अक्सर बिजली कम मिलने की शिकायत करता था। उसे हर बार बरसात पर आश्रित होना पड़ता था। किसानों के अनुसार इस बार समय पर हुई अच्छी बरसात से उनके दिन फिर सकते हैं। धान की बिजाई समय पर व सस्ते में हो रही है तथा सरकार द्वारा एमएसपी में बढोतरी से किसान संतुष्ट नजर आ रहे हैं। किसानों का कहना है कि पिछले 17 वर्षों में इस प्रकार का उनके अनुकूल सीजन नहीं आया।
व्यवसायी घाटे में, कूलर बेचने को मजबूर
सरसा में सामान्य तौर पर इस समय अधिकतम तापमान लगभग 46 डिग्री सेल्सियस रहता है लेकिन पिछले तीन दिनों को यदि अपवाद मानें तो सरसा का तापमार लगभग 10 डिग्री कम रहा। बर्फ के व्यवसाय करने वाले लोगों की जहां एक दिन में 900 सिल्ली बर्फ की लागत थी वह घटकर 400 सिल्ली रह गई थी। यही हाल कूलर व्यवसासियों के लिए रहा। आज भी गोदामों में कूलरों का स्टाक कायम है तथा कूलर व्यापारी अपने प्रोडक्ट को बिहार, झारखंड आदि प्रदेशों में कम दाम पर बेचने को विवश हैं। कुछ कूलर व्यवसायियों का अभी भी प्रकृति पर विश्वास है वह उन्हें लगता है कि इस बार जुलाई में लू चल सकती है। इसलिए उन्होंने अपने कूलरों के स्टाक को बचाकर रखा है।
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