नाबालिग बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने खातिर दर-दर भटक रह परिवार
Harda। जिला क्षेत्र में पुलिस की संवेदनहीनता का बड़ा मामला (Crime News) सामने आया है। जिले के इंद्रपुरा गांव का रहने वाला आदिवासी परिवार अपनी नाबालिग बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए दर-दर भटक रहा है। लेकिन, इस पीड़ित परिवार की सुनवाई नहीं हो रही। मां-बाप अपनी बेटी के बारे में जानते हुए भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं।
क्या है मामला
मामला हरदा के रहटगांव थाना क्षेत्र के गांव बंसीपूरा का है। यहां मजदूरी करने वाले परिवार की 16 साल की बेटी 10 अप्रैल को गुम हो गई थी। परिजनों ने बेटी की गुमशुदगी मामले में एक लड़के पर शक जताया। परिजनों ने आरोप लगाया कि वही लड़का बेटी को बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गया। लड़की की मां ने बताया कि बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाने रहटगांव थाने गए थे, पर वहां कुछ नहीं हुआ। पुलिस ने कुछ नहीं किया। इधर, रहटगांव पुलिस स्टेशन के टीआई मनोज उइके ने कहा कि अभी तक उनके सामने कोई शिकायत लेकर नहीं आया है। अगर शिकायत होती है तो मामला दर्ज किया जाएगा।
आरोपित लड़के के घरवालों करते हैं मारपीट
महिला ने बताया कि हमें बाद में पता चला कि बेटी रोलगांव मे है। हम लोग उसे लेने जब वहां गए तो लड़के के परिवारवालों ने हमारे साथ मारपीट की। हम जैसे-तैसे जान बचाकर पैदल चलकर सिराली थाने पहुंचे और पुलिस को पूरी घटना की जानकारी दी। लेकिन, पुलिस ने कहा कि यह उनके थाने का मामला नहीं है। यह कहकर पुलिस ने हमें वहां से भगा दिया। बता दें, नियमानुसार महिला की रिपोर्ट किसी भी पुलिस स्टेशन में जीरो पर कायम की जा सकती है।
फिर गायब हो गई लड़की
नाबालिग आदिवासी लड़की की मां ने कहा कि हम कोरकू आदिवासी हैं, जबकि बेटी को साथ ले जाने वाले जिस लड़के पर हमें शक है, वह नहाल आदिवासी है. दोनों आदिवासी समाजों में आपस में विवाह नहीं होते। आदिवासी कोरकू लड़की अगर किसी गैर समाज के लड़के के साथ चली जाती है तो समाज उसे स्वीकार नहीं करता। कुछ दिन पहले लड़का उनकी बेटी को बहकाकर अपने साथ ले गया था। बाद में हम लड़की को खोजकर गांव ले आये थे। पंचायत में आदिवासी प्रथा उजाल की बात चल ही रही थी कि उसी वक्त बेटी गायब हो गई।
उजाल प्रथा क्या है?
गौरतलब है कि उजाल एक आदिवासी प्रथा है। इस प्रथा में गैर समाज के लड़के के साथ चले जाने पर उसे अपवित्र मान कर उजालदान किया जाता है। इसमें लड़की को पवित्र करने के लिए सात झिरियों के पानी से स्नान करा पवित्रीकरण किया जाता है। बाद मे पंचायत दंड राशि तय करती है। फिर बकरा और मुर्गा चढ़ाया जाता है। इसके बाद गांव को भोज कराया जाता है। इन सब के बाद लड़की को पवित्र मानकर समाज में शामिल कर लिया जाता है।
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