बच्चे, बड़े- बुजुर्गों सब पर छा जाता है रंगों का खुमार
हिसार (सच कहूँ/संदीप सिंहमार)। Holi Festival 2025: हरियाणा एक ऐसा राज्य है जहाँ की संस्कृति, परंपरा और त्योहारों का विशेष महत्व है। होली, जो कि रंगों का त्योहार है, हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखता है। यह केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि एक ऐसा अवसर है जो भाईचारे और प्रेम का प्रतीक होता है। हरियाणा की होली पारिवारिक बंधनों को मजबूत करने, रिश्तों को नजदीक लाने और सामूहिक आनंद का अनुभव करने का माध्यम रही है।
एक समय था जब होली और फाग उत्सव के दौरान देवर-भाभी, भाई-बहन, और मित्र एक साथ मिलकर उत्सव मनाते थे। सभी मिलकर रंग खेलते, गाने गाते और एक-दूसरे को मिठाइयाँ खिलाते थे। इस दिन, न केवल परिवारों के बीच, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों के बीच भी प्रेम और मित्रता का बंधन मजबूत होता था। गलियों में महिलाएं कई प्रकार के ‘कोरडे’ लेकर निकलती थीं, जहाँ वे एक-दूसरे पर रंग डालतीं और सामूहिक खेल का आनंद लेतीं। हरियाणा की होली ने एक ऐसा माहौल तैयार किया, जिसमें एकता, प्रेम और खुशी का समावेश होता था।
हरियाणा की सांस्कृतिक धरोहर को बचाने का फर्ज | Holi Festival
हरियाणा की सांस्कृतिक धरोहर को संजोकर रखना अत्यंत आवश्यक है। हमें मिलकर प्रयास करना होगा कि हम रंगों के खेल और त्योहारों के आनंद को पुन: जीवित करें। हमें एक-दूसरे के प्रति प्रेम, सहयोग और भाईचारे की भावना को जागरूक करना होगा, ताकि त्योहार बिना किसी द्वेषभावना के मनाए जा सके।
मशहूर हैं भाभी के कोरडे
हालांकि, समय के साथ-साथ समाज में कई परिवर्तन आए हैं। तकनीकी प्रगति, सामाजिक परिवर्तन, और व्यक्तिगत व्यस्तताओं ने त्योहारों की भावना को कहीं न कहीं प्रभावित किया है। अब उस एकता और प्रेम की भावना में कमी आ गई है। महिलाएं, जो कभी खुशी-खुशी कोरडे लेकर गलियों में घूमती थीं। हालांकि अब त्यौहार आधुनिकता की चकाचौंध में सिमट कर रह गया है परंतु ग्रामीण आंचल में अब भी वो ही निराला अंदाज म्हारे हरियाणा में देखा जा सकता है।
प्रेम और सौहार्द का त्योहार मनाएं होली
हरियाणा में होली और फाग उत्सव का विघटन एक गंभीर मुद्दा है जो समाज के मूल्यों और एकता के प्रतीक के रूप में देखा जा सकता है। यदि हम इस स्थिति को सुसंगत रखना चाहते हैं, तो हमें एकजुट होकर इसे सुधारने का प्रयास करना होगा। हमें अपने त्योहारों को अपनी जड़ों से जोड़कर उन्हें पुनर्जीवित करना होगा ताकि आगामी पीढ़ियाँ भी इसका आनंद ले सकें और एकता के बंधन में बंधी रहें। चलिए, हम एक नई शुरूआत करें और होली को केवल रंगों का नहीं, बल्कि प्रेम और सौहार्द का उत्सव बनाएं। Holi Festival
होलिका को अर्पित करते हैं बड़कूलों की मालाएं
हरियाणा की पारंपरिक होली को आज भी यहां के लोग अपने इतिहास और संस्कृति को जिंदा रखा हुआ है। होली की शुरूआत होती है बड़कूलों से…सबसे पहले गोबर से बड़कूले बनाए जाते हैं. गोबर के बने बड़कूलों में चांद, तारे और कई तरह की आकृतियां बनाई जाती हैं। इन बड़कूलों की फिर मालाएं बनाई जाती हैं। गांव के बाहर होलिका दहन के लिए लकड़ियां इकट्ठी की जाती हैं. होलिका दहन वाले दिन गांव की सभी औरतें मिलकर लोक संगीत गाते हुए, होलिका दहन तक पहुंचती हैं. होलिका दहन से पहले होली की पूजा की जाती है और फिर बड़कूलों की आहूति डाली जाती है. महिलाएं इस दिन व्रत भी रखती है।
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