सराहनीय: प्रगतिशील किसान ने अपनी मेहनत के सहारे की चंदन की खेती
(Fragrance of Sandalwood)
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इंटरनेट के माध्यम से प्राप्त की जानकारी
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चंदन की खेती के लिए मुख्यत: पानी व मिट्टी का मेल होना जरूरी है
सच कहूँ/कुलदीप गोयल सादुलशहर। राजस्थान के सरहदी जिले श्रीगंगानगर के कस्बे सादुलशहर के एक किसान ने अपनी लगन, मेहनत तथा तकनीक के सहारे मरूभूमि पर चंदन की खुशबू बिखेरने में सफलता प्राप्त की है। यही नहीं इस चंदन की खेती देखने दूर-दूर से किसान आ रहे है। जसवंत ढिल्लों नाम के इस किसान की यह मेहनत श्रीगंगानगर जिले से शुरू होकर संपूर्ण पूर्वी राजस्थान में चंदन की खुशबू बिखेरने में सहायक होगी।
सादुलशहर के निकटवर्ती गाँव करड़वाला के एक प्रगतिशील किसान जसवंत ढिल्लों ने अपनी जमीन पर कुछ नया करने की सोच के साथ चंदन की खेती करने का निर्णय लिया और इंटरनेट के माध्यम से जानकारी हासिल की। बकौल जसवंत ढिल्लों उन्होंने शुरूआत में बैंगलोर में इसकी खेती के लिए दस दिन की ट्रेनिंग ली और खेती शुरू की। इसके बाद गुजरात के मेहसाणा में तिन्तोदान कस्बे में अनमोल नरसरी के एक किसान से सम्पर्क किया और उससे चंदन की खेती करने के बारे में तमाम जानकारी प्राप्त की। इसके बाद वे दो हजार पौधे लाये और खेत में लगाए। लेकिन पौधे मरने लगे फिर भी दो हजार में से सवा सौ पौधे चल निकले और अब ये पौधे पांच से सात फीट तक हो गए हैं।
विशेष देखभाल की होती है आवश्यकता
जसवंत ढिल्लों ने बताया कि सर्दी के मौसम में इन पौधों को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। सर्दी से बचाव के लिए पॉलीथीन के बैग भी लगाने पड़ते हैं और गर्मियों में सामान्य तरह से देखभाल की जा सकती है। शुरू में दो तीन महीने कीटनाशक और पेस्टीसाइड का इस्तेमाल लेकिन बाद में कुछ भी इस्तेमाल नहीं किया। उनके अनुसार कीटनाशक और पेस्टीसाइड का प्रयोग किये बिना भी खेती की जा सकती है और उसके अच्छे परिणाम भी मिलते हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह की कल्टीवेशन भी नहीं किया गया है।
10 से 15 साल में पूरी तरह तैयार होता है पेड़
जसवंत ढिल्लों के अनुसार 5 साल बाद चंदन का पेड़ खुशबू देने लगता है तथा 10 से 15 वर्ष पश्चात पूर्ण तैयार हो जाता है। उन्होंने बताया की पेड़ में हार्टवुड (चंदन) के वजन पर उसकी कीमत निर्भर करती है। उन्होंने बताया की हार्टवुड की कीमत लगातार बढ़ रही है और दो से तीन लाख रुपये का एक पेड़ आराम से बिकता है। ढिल्लों ने अनुसार पिछले साल एक पेड़ साठ लाख कीमत का भी बिका है। जितनी जयादा हार्टवुड होगी उतनी ज्यादा कीमत पेड़ की होगी। चन्दन की मांग में हर साल भारी इजाफा हो रहा है। विदेशों में भी चन्दन की मांग काफी अधिक है। इसकी खास तरह की खुशबू और इसके औषधीय गुणों के कारण भी इसकी पूरी दुनिया में भारी डिमांड है। इसकी एक किलो लकड़ी भारत में 15000 और विदेशों में 30000 तक बिक रही है।
राजस्थान में सरकारी अनुमति की नहीं है आवश्यकता
जसवंत ढिल्लों ने बताया की साउथ के चार पांच राज्यों में चंदन की खेती के लिए सरकार से अनुमति लेनी होती है जबकि राजस्थान में ऐसा नहीं है। साउथ में किसानो को चन्दन की लकड़ी सरकार को भी बेचनी होती है, लेकिन राजस्थान में ऐसा कानून नहीं है इसलिए राजस्थान में किसान आसानी से इसकी खेती कर सकते हैं और मोटा मुनाफा कमा सकते हैं।
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