लालच का अंत

एक किसान के खेत से जादुई टब निकला। उसमें विचित्र गुण था। उसमें कोई एक चीज डालने पर वैसी ही सौ चीजें निकल आती थीं। किसान ने उस टब में लीची का एक पौधा डाला। थोड़ी देर में टब से लीची के सौ पौधे निकल आए। इसी तरह वह अनेक चीजों का ढेर लगाकर समृद्ध हो गया।

चर्चा जमींदार के पास पहुंची। उसने किसान से वह जादुई टब छीन लिया। अब जीमंदार उस टब से ऐश्वर्य की अनेक चीजें बनाने लगा। राजा को जब इस बात का पता चला तो उसने टब पर अधिकार कर लिया। उसने उससे अपना राज-भंडार भरना शुरू कर दिया। उसने टब में एक मौती डाला। सौ मोती निकल आए।

वह बहुत चकित हुआ। सोचने लगा, ‘यह क्या माया है टब में जाकर देखना चाहिए, ताकि उस कौशल से बड़े पैमाने पर चीजें सौ गुनी की जा सकें।’ राजा टब के भीतर घुसा। वहां उसे कुछ नहीं मिला। लेकिन जब राजा बाहर निकला तो चकित रह गया। एक के बाद एक सौ राजा उस टब से बाहर निकल आए। राजाओं की फौज खड़ी हो गई। राज सिंहासन एक था और राजाओं की संख्या सौ। युद्ध छिड़ गया। सभी राजा आपस में लड़कर मारे गए। बेचारा जादुई टब एक तरफ यों ही लुढ़का पड़ा था।

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