सच कहूँ/सन्नी कथूरिया, पानीपत। देश में मेडिकल शोध कार्यों के लिए मृत शरीर न मिलने के कारण चिकित्सकों व छात्रों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। कारण सीधा सा है जब हमारे परिवार का कोई भी सदस्य ये संसार छोड़ जाता है तो हम उस मृत शरीर को या तो दफना देते हैं या फिर जला देते हैं। जागरूकता न होने कारण देश के करोड़ों लोग इस रूढ़िवादी पंरम्परा की जंजीरों में बंधे हुए हंै। फिर एक दिन ऐसा आया, जब डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु जी ने ‘अमर सेवा’ मुहिम का आगाज किया। ओर फिर एक नहीं, दो नहीं बल्कि करोड़ों लोग जीते जी गुर्दादान, आंखें दान, खूनदान और मरने के बाद शरीरदान करने को तैयार हो गये।
पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ही हैं जिनके एक आह्वान पर करोड़ों लोग पुरानी मानसिकता को बदलकर मेडिकल शोध कार्यों के लिए शरीरदान कर रहे हैं। इसी शरीदानों की सूची में अब 11-वार्ड सैनी मौहल्ला की रहने वाली 68 वर्षीय चलती देवी इन्सां का नाम भी शामिल हो गया है। परिजनों का कहना है कि चलती देवी इन्सां ने जीते जी पूज्य गुरु जी की पावन शिक्षा का अनुसरण करते हुए मरणोपरांत शरीरदान करने प्रण लिया हुआ था।
रामा मेडिकल कॉलेज जिला मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश को किया शरीरदान
ब्लॉक के 15 मेंबर ईश कुमार ने बताया कि माता चलती देवी इन्सां की अंतिम इच्छा अनुसार परिजनों ने उनके पार्थिक शरीर को मुजफ्फरनगर मेडिकल रिसर्च के लिए दान किया है। जहां मेडिकल स्टूडेंट रिसर्च का काम करेंगे। उन्होंने बताया कि माता ने सन् 1990 में ेडेरा सच्चा सौदा से नामदान प्राप्त किया था। अंतिम यात्रा के दौरान के दौरान चलती देवी इन्सां के मृतदेह को फूलों से सजी एम्बूलेंस में विदा किया गया। इस दौरान ब्लॉक के जिम्मेवार, रिश्तेदार सहित शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेल्फे यर फोर्स विंग के सेवादार बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
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