लॉकडाउन की मजबूरी ने बदला जीवन का नजरिया

The compulsion of lockdown changed the outlook of life
बेशक कोरोना वायरस के मद्देनजर सावधानी न रखने वाले लोग काफी तादाद में हैं फिर भी यह अच्छी बात है कि बड़ी संख्या में जनता ने मास्क पहनने व सामाजिक दूरी के नियमों की पालना को अपनी जीवन शैली का हिस्सा बना लिया है। अगर प्रवासी मजदूरों की बड़ी भीड़ स्टेशनों पर जुड़ी हैं तो बस सेवा शुरू होने पर आमजन ने कहीं भीड़ नहीं की। खासकर पंजाब में कम सवारियों के साथ बस चलाने के बावजूद बस स्टॉप सवारियों का इंतजार करता रहा। कम ही सवारियां बस अड्डे पर आई। यह बड़ी राहत भरी बात है कि लोगों ने बस सेवा शुरू होने के साथ किसी तरह भगदड़ नहीं मचाई।
लोगों के दिलों में केवल कोरोना का भय नहीं बल्कि हालातों के अनुसार जिंदगी में तबदीली लाने का जज्बा है। विवाह समारोह व दुख-सुख के अन्य कार्यक्रमों में लोगों ने अपनी इच्छानुसार ही भीड़ से दूरी बनाई है। बिना बारात के शादियों का रूझान बढ़ा है व पुलिस प्रशासन द्वारा नवविवाहित जोड़ों को गिफ्ट देकर या केक कटवाकर उनकी शादी के पहले दिन को खुशगवार बनाया है। यह फैसले समाज में एक बदलाव का ही प्रमाण हैं। आमजन को दिखावे के खर्चों से भी राहत मिली है। युवाओं ने संकट के दौरान समाज के लिए काम कर सही रास्ता देख लिया है। सरकार के अभियान को तभी सफलता मिलती है जब लोग अपनी इच्छानुसार सरकार का साथ देते हैं। लोग खाने-पीने में पूरी सावधानी बरतने लगे हैं, यही कारण है कि खरीददारी कम होने के कारण कारोबार प्रभावित हुए हैं। कई रेस्टारेंट व ढाबा मालिकों, हल्वाईयों ने अपने काम-धंधों को बंद करके राशन की दुकानें खोल ली हैं जो कि लोगों की जरूरत व खरीद संबंधी बदली सोच का ही परिणाम है।
जहां तक लॉकडाउन-4 का संबंध है इससे सरकार ने साफ संदेश दिया है कि पहले तीन लॉकडाउन लोगों के लिए एक ट्रेनिंग की तरह से थे अब अर्थव्यवस्था को ठीक करने के लिए सभी कार्य शुरू करने पड़ रहे हैं। इसलिए जनता को अपना बचाव खुद ही करना पड़ेगा। लॉकडाउन को लंबे समय तक चलाया जाना संभव नहीं था, इसलिए आने वाले दिनों में बंदिशे और घटने के आसार हैं। अगर समस्त देशवासी सावधानी बरतें तो लॉकडाउन खुलने के बावजूद कोरोना को मात दी जा सकती है।

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