श्रीगंगानगर (सच कहूँ न्यूज)। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा लगभग तीन वर्ष पहले रायसिंहनगर में 5 हजार की रिश्वत (Bribe) लेते गिरफ्तार किए गए सहायक वाणिज्य कर अधिकारी (एसीटीओ) धनराज चौधरी की जिला कारागृह में अचानक तबीयत बिगड़ने और अस्पताल ले जाने पर मृत्यु हो जाने का मामला हत्या में तब्दील हो गया है। न्यायिक अधिकारी द्वारा की गई जांच में कई खुलासे हुए हैं।
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विधि विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) तथा पोस्टमार्टम रिपोर्ट में धनराज चौधरी के शरीर पर चोटों के निशान की पुष्टि हुई है। राज्य मानवाधिकार आयोग द्वारा आदेश देने पर पुलिस महानिदेशक (सिविल राइट्स एंड एएचटी) के निर्देश पर कोतवाली में हत्या (Murder) का मामला दर्ज किया गया है। जांच कोतवाली प्रभारी सीआई देवेंद्र सिंह राठौड़ कर रहे हैं। मूल रूप से झुंझुनू जिले के चिड़ावा थाना क्षेत्र के निवासी और वर्तमान में पुरानी आबादी थाना प्रभारी सब इंस्पेक्टर सुरजीत कुमार के पिता एससीटीओ धनराज चौधरी को एसीबी की स्थानीय चौकी के तत्कालीन प्रभारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेंद्र ढिढारिया की टीम ने 28 जुलाई 2000 को रायसिंहनगर में पदमपुर निवासी मुरलीधर सिंधी से 5 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया था।
मुरलीधर की पदमपुर (Padampur) में आटा चक्की और सरसों तेल का एक्सपेलर था। उसके विरुद्ध कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने के बदले में धनराज चौधरी ने कथित रूप से 10 हजार रुपए की रिश्वत मांगी। मुरलीधर द्वारा 8 जून 2020 को शिकायत किए जाने पर एसीबी ने सत्यापन करवाया। सत्यापन के दौरान धनराज ने 5 हजार रुपए ले लिए। इसके लगभग पौने 2 महीने बाद 28 जुलाई को अपने कार्यालय में धनराज चौधरी मुरलीधर से बाकी 5 हजार लेते हुए पकड़ा गया। अगले दिन एसीबी कोर्ट ने धनराज चौधरी को न्यायिक हिरासत में भेजने के आदेश दिए जेल ले जाने से पहले कोविड-19 करवाई गई। जांच रिपोर्ट नेगेटिव आने पर 30 जुलाई को धनराज को जिला कारागृह में भेज दिया गया।
उसी दिन तबीयत खराब होने पर धनराज को जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया। उपचार के बाद 3 अगस्त को धनराज चौधरी को वापस कारागृह में लाया गया। अगले दिन 4 अगस्त की शाम 5:20 बजे दोबारा तबीयत खराब होने पर जेल डिस्पेंसरी के चिकित्सा अधिकारी ने उसे जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। करीब 20 मिनट बाद 5:40 बजे अस्पताल पहुंचने पर धनराज चौधरी को मृत घोषित कर दिया गया। इस पर कोतवाली में सीआरपीसी की धारा 176 के तहत मर्ग दर्ज की गई। धनराज चौधरी की मृत्यु चूंकि जेल में तबीयत खराब होने से हुई थी, इसलिए मृत्यु के कारणों की न्यायिक जांच आरंभ हो गई।
जांच तत्कालीन न्यायिक मजिस्ट्रेट (एनआई एक्ट) लीलूराम को दी गई।बाद में यह जांच आरजेएस न्यायिक मजिस्ट्रेट रिदम अनेजा को दे दी गई। जानकारी के अनुसार न्यायिक जांच के तहत धनराज के शव का मेडिकल बोर्ड से न्यायिक जांच अधिकारी की उपस्थिति में पोस्टमार्टम (Post Mortem) कराया गया। इसकी फोटोग्राफी तथा वीडियोग्राफी करवाई गई। पोस्टमार्टम के दौरान पेट का विसरा, हिस्टोपैथोलॉजिकल जांच और एफएसएल जांच के लिए भेजा गया। मृतक धनराज चौधरी के बेटों सब इंस्पेक्टर सुरजीत व कुलदीप के अलावा डॉ दिनेश कुमार, डॉ. देवकांत शर्मा,जिला कारागृह के बंदी हरमन बिश्नोई, विजय पाल सिंह, जगजीतसिंह, लाजेंद्र सिंह के अलावा डॉ. भाग सिंह, जेल डिस्पेंसरी के चिकित्सा अधिकारी डा. शिवप्रीतसिंह, प्रहरी संदीप, डिप्टी जेलर कविता बिश्नोई, जेल के ड्राइवर सुभाषचंद्र,प्रहरी केसरा राम और बिट्टू कुमार के जांच अधिकारी द्वारा बतौर गवाह बयान दर्ज किए गए।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट और एफएसएल की रिपोर्ट के आधार पर न्यायिक अधिकारी ने विगत 1 मार्च 23 को अपनी रिपोर्ट में मृत्यु के कारणों का निष्कर्ष अंकित किया। प्राप्त जानकारी के अनुसार जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में अंकित किया है कि मृतक के शरीर पर आई चोटों और न्यायिक हिरासत के तहत जेल में रहने के दौरान उसके साथ हुई मारपीट तथा दुर्व्यवहार के संबंध में अनुसंधान करवाया जाना उचित होगा।
उनके द्वारा इस आशय की दी गई रिपोर्ट के आधार पर ही पुलिस (Police) महानिदेशक (सिविल राइट्स एंड एएचटी) को राज्य मानवाधिकार आयोग द्वारा जांच करवाने के आदेश दिया गया। इसी क्रम में पुलिस महानिदेशक सिविल राइट्स एंड एएचपी ने जिला पुलिस अधीक्षक को मामला दर्ज करने के आदेश दिए हैं। अब पुलिस इस पूरे मामले की गहनता से जांच कर पता लगाएगी कि जेल में धनराज चौधरी के साथ मारपीट और दुर्व्यवहार किसने किया। उल्लेखनीय है कि धनराज चौधरी की जब मृत्यु हुई, तब जेल की अंदरूनी व्यवस्थाओं को लेकर काफी गंभीर सवाल उठे थे।