Flight of Spirits: ओढां, राजू। स्टैंड पर खड़े ऑटो रिक्शा में हाथ में किताब लिए सीट पर बैठी एक लड़की। सवारी आते ही वह अपनी किताब बैग में डालती है और फिर से ऑटो का स्टेयरिंग थाम लेती है, उसके लिए अब यह रूटीन बन चुका है। गुरप्रीत कौर ने उन विकट हालातों में स्टेयरिंग संभाला जब घर की परिस्थितियां बड़ी खराब थी। लेकिन गुरप्रीत कौर ने ऑटो के साथ-साथ घर की खुशहाली का पहिये को भी नई गति दी। वहीं खुद के सपने को साकार करने के लिए दूसरे हाथ में किताब थामे रहती है। यह बेटी उन लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत साबित हो रही हैं जो बेटियों को बोझ समझते हैं। Sirsa News
दरअसल, सरसा जिला के गांव पक्का शहीदां निवासी 57 वर्षीय हंसराज पेशे से ऑटो चालक थे। परिवार में उनकी पत्नी, 2 बेटियां व एक बेटे सहित कुल 5 सदस्य हैं। ऑटो से ही परिवार की आजीविका चलती थी। करीब 3 वर्ष पूर्व हंसराज ऐसे बीमार हुए कि उसका रोजगार छिन गया। घर खर्च और ऊपर से ऑटो की किश्त। हंसराज को पत्नी ने ऑटो बेचने की सलाह दी, लेकिन ऑटो में उसकी जान बसती थी। अपने पिता के जज्बातों और घर के हालातों को समझते हुए हंसराज की छोटी बेटी 20 वर्षीय गुरप्रीत कौर ने ऑटो का स्टेयरिंग थामने का निश्चय कर लिया।
पढ़ाई प्राथमिकता, लेकिन उससे भी जरूरी है आजीविका | Sirsa News
भले ही परिस्थितियों ने गुरप्रीत को ऑटो की ड्राइविंग सीट पर बिठा दिया लेकिन उसने अपने सपनों को कभी टूटने नहीं दिया। वह पढ़ाई भी बदस्तूर जारी रखे हुए है। मंडी कालांवाली से उसके गांव की दूरी 13 किलोमीटर है। यातायात की सुविधा न होने के चलते लोग अकसर मंडी में आने-जाने के लिए ऑटो पर ही निर्भर हैं। गुरप्रीत सुबह ही ऑटो लेकर गांव के बस स्टैंड पर पहुंच जाती है। जहां से सवारियों को मंडी में छोड़कर गांव तारुआना में स्थित कॉलेज में पढ़ने चली जाती है। कॉलेज से फ्री होकर गुरप्रीत फिर से ऑटो लेकर स्टैंड पर पहुंच जाती है। वह दिनभर में करीब 3 चक्कर लगाती है। जिसके माध्यम से वह 400-500 रुपये प्रति दिन कमा लेती है, जिससे उसकी पढ़ाई व परिवार का खर्च निकलता है। गुरप्रीत वर्तमान में बी.ए फाइनल की छात्रा है।
लोगों के टोंट, सहेलियों की रोक-टोक को किया दरकिनार
गुरप्रीत ने जब ऑटो चलाने लगी तो लोगों ने हंसराज को टोकते हुए कहा कि ऑटो चलाना कोई मजाक नहीं है। लोगों ने दुर्घटना का डर भी दिखाया, उसकी सहेलियों ने भी टोका, लेकिन एक पिता ने अपनी बेटी पर विश्वास जताया और उधर जब गुरप्रीत पहली बार ऑटो लेकर कालांवाली के लिए निकली तो बड़ी चर्चा हुई।
मेरा सपना भी एक दिन अवश्य पूरा होगा: गुरप्रीत कौर
गुरप्रीत सरकारी नौकरी के लिए खूब मेहनत कर रही है। उसने पंजाब पुलिस में भर्ती के लिए फार्म भरा हुआ है। जिसकी परीक्षा के लिए वह तैयारी कर रही है। उसकी बड़ी बहन भी बी.ए फाइनल में है। बातचीत दौरान गुरप्रीत का दिल भर आया, उसने कहा कि सपने तो सबके होते हैं। मेरे सपना भी एक दिन अवश्य पूरा होगा। मैं अभिभावकों से यह कहना चाहती हूं कि बेटियों को बेटों से कम न आंके। अपनी बेटियों को मजबूत बनाएं और सपनों को पूरा करने की आजादी भी दें।
चुका दिया कर्ज व ऑटो की किश्त | Sirsa News
हंसराज ने ऑटो फाइनेंस पर लिया था, जिसकी किश्त 10 हजार रुपये प्रतिमाह थी। लेकिन उसके बीमार होने के बाद ऑटो का 60 हजार का कर्ज व 30 हजार की उधारी चढ़ गई, जो परिवार के लिए किसी दुश्वारी से कम नहीं था। फाइनेंस कंपनी ऑटो उठाने की बात कहने लगी। ऐसे में गुरप्रीत कौर ने ऑटो चलाकर न केवल अपने परिवार का खर्च चलाया, बल्कि ऑटो की किश्त व उधारी भी उतार दी। गुरप्रीत पिछले 2 वर्ष से ऑटो चला रही है। हलांकि ड्राइविंग क्षेत्र में कई तरह के लोग मिलते हैं। कई बार तो दूर-दराज क्षेत्र में भी जाना पड़ता है, कभी-कभी घर लौटने में देर रात्रि भी हो जाती है। गुरप्रीत का कहना है कि अगर हिम्मत-हौसला हो तो फिर डर कैसा। उसने बताया कि वह मोबाइल लोकेशन लगाकर दूर-दराज क्षेत्रों तक चली जाती है। Sirsa News
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