पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा जगाई गई अलख से बढ़ रही जागरूकता (body donation)
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मेडिकल रिसर्च के काम आएंगी अजैब सिंह इन्सां और गुरदेव कौर इन्सां की पार्थिव देह
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नेशनल कॉलेज आॅफ आयुर्वेद एंड हॉस्पिटल, बरवाला को की गई दान
सच कहूँ/सुनील वर्मा सरसा/डबवाली। डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा जगाई गई (body donation) अलख की बदौलत शरीरदान और नेत्रदान की मुहिम जागरूकता की मिसाल बन गई है। अब लोग समाज में फैली रूढ़िवादी विचारधाराओं से ऊपर उठकर शरीर दान के लिए आगे आ रहे हैं और हर रोज हरियाणा, पंजाब, राजस्थान में ही दर्जनों लोगों के देहदान करने के समाचार सामने आ रहे हैं। इसी कड़ी में बुधवार को सरसा जिले में एक महिला एवं एक पुरुष का शरीरदान हुआ। जिनमें डबवाली ब्लॉक के गाँव मसीता निवासी गुरदेव कौर इन्सां धर्मपत्नी करनैल सिंह और गाँव शाह सतनाम जी पुरा के एमएसजी कांपलेक्स निवासी अजैब सिंह इन्सां पुत्र करतार सिंह का नाम शामिल है। दोनों की पार्थिव देह हिसार के बरवाला स्थित नेशनल कॉलेज आॅफ आयुर्वेद एंड हॉस्पिटल में दान की गई है।
बेटियों ने दिया अर्थी को कंधा
76 वर्षीय गाँव मसीता निवासी गुरदेव कौर इन्सां धर्मपत्नी करनैल सिंह मंगलवार को अपनी सांसारिक यात्रा पूरी करके कुल मालिक के चरणों में सचखंड जा विराजी। उनकी मृत्यु के पश्चात उनके परिजनों ने बुधवार को उनकी अंतिम इच्छा को पूरा करते हुए नेशनल कॉलेज आॅफ आयुर्वेद एंड हॉस्पिटल बरवाला में दान कर दी। इससे पूर्व अंतिम विदाई के समय अरदास का शब्द बोलकर सचखंडवासी की बेटी सुखविन्द्र, रानी, पुत्र मेजर, गुरुप्रेम व गुरचरण ने डेरा सच्चा सौदा की बेटा-बेटी एक सम्मान मुहिम के गुरदेव कौर इन्सां की अर्थी को कंधा दिया।
मर कर भी अमर हो गए अजैब सिंह
उधर शाह सतनाम जी पुरा के एमएसजी कांपलेक्स निवासी 68 वर्षीय अजैब सिंह इन्सां पुत्र करतार सिंह भी मंगलवार देर शाम सतगुरु से ओड निभा गए। उन्होंने जीते जी ही मरणोपरांत शरीरदान करने का लिखित में प्रण लिया हुआ था। उनकी इसी इच्छा को पूरा करते हुए उनके पुत्र खुशहाल इन्सां व अन्य पारिवारिक सदस्यों ने अजैब सिंह इन्सां की मृत देह को मेडिकल रिसर्च के लिए हिसार के बरवाला स्थित नेशनल कॉलेज आॅफ आयुर्वेद एंड हॉस्पिटल में दान कर दी। वहीं इससे पहले सचखंडवासी की बेटी शैली इन्सां, सतब्रह्मचारी सेवादार राजिन्द्र इन्सां व पुत्र खुशहाल इन्सां ने बेटा-बेटी एक सम्मान मुहिम के तहत अर्थी को कंधा देकर समाज को एक नई सीख दी।
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