दो साल पहले मंडलायुक्त, डीसी व सिविल सर्जन को सौंपी गई थी दो बाइक एम्बुलेंस
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एक बार भी नहीं हुआ इस्तेमाल, धूल में सनी
सच कहूँ/संजय मेहरा, गुरुग्राम। कोरोना महामारी के बीच वर्ष 2020 में मरीजों के लिए हीरो मोटो कॉर्प कंपनी की तरफ से दो बाइक एम्बुलेंस (फर्स्ट रिस्पॉन्डर वाहन, एफआरवी) दी गई थी। लापरवाही देखिये, आज तक इन दोनों बाइक एम्बुलेंस में से किसी को भी उपयोग में नहीं लाया गया है। ये एम्बुलेंस नागरिक अस्पताल सेक्टर-10 के आपातकालीन विभाग के बाहर खड़ी कंडम हो रही हैं। यहां एम्बुलेंस स्टाफ का कहना है कि इनको कभी नहीं चलाया गया।
कोरोना काल में हर कंपनी ने अपने सीएसआर फंड से लोगों का जीवन बचाने को, कोरोना के दौर में सुविधाएं देने को काम किए। किसी ने मास्क दिया, किसी ने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, किसी ने मास्क, किसी ने सेनिटाइजर तो किसी ने दवाइयां दी। इन सबके बीच मोटरसाइकिल और स्कूटर बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी हीरो मोटोकॉर्प ने दो बाइक एम्बुलेंस (फर्स्ट रिस्पॉन्डर वाहन) जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग को सौंपे। ये दोनों वाहन 7 अगस्त 2020 को यहां सिविल लाइन स्थित मंडलायुक्त कार्यालय पर तत्कालीन उपायुक्त अमित खत्री एवं सिविल सर्जन डॉ. वीरेंद्र यादव की मौजूदगी में दान किये थे। उसके बाद इन्हें सेक्टर-10 नागरिक अस्पताल को सौंप दिया गया। दोनों ही बाइक एम्बुलेंस अस्पताल के आपाताकालीन गेट के पास एम्बुलेंस कक्ष के बाहर खड़ी की गई हैं। दोनों पर धूल-मिट्टी जमी है। एम्बुलेंस स्टाफ से इस बारे में जानकारी ली गई तो पता चला कि इनका आज तक एक बार भी इस्तेमाल नहीं हुआ है।
ग्रामीण अंचल की पीएचसी, सीएचसी में आ सकती हैं काम
ऐसे में सवाल यह उठता है कि इस तरह से कंपनी द्वारा लाखों रुपये के दिए गए इन वाहनों को कबाड़ करने का औचित्य क्या है और किसी को यह अधिकार नहीं है। अगर यहां उपयोग में नहीं हैं तो फिर किसी अन्य सरकारी अस्पताल या ग्रामीण अंचल में पीएचसी, सीएचसी को इन्हें दिया जा सकता है। ग्रामीण अंचल में इन्हें भेजा जा सकता है, ताकि वहां से लोगों को त्वरित जिला अस्पताल भेजने में बड़ी एम्बुलेंस का इंतजार ना करना पड़े। इसे बदकिस्मती ही कहा जाएगा कि इनके बारे में स्वास्थ्य विभाग में किसी स्तर पर भी नहीं सोचा गया।
फर्स्ट एड किट समेत कई सुविधाओं से हैं लैस
ये बाइक एम्बुलेंस (फर्स्ट रेस्पॉन्डर वाहन) फुल स्ट्रेचर से लैस हैं, यानी इस पर व्यक्ति को लिटाकर ले जाया जा सकता है। एक किनारे पर सिर को ढंकने के लिए भी हुड बनाया गया है। आवश्यक मेडिकल उपकरण भी लगाए गए हैं। यह वाहन अलग की जानी वाली फर्स्ट-एड किट, ऑक्सीजन सिलेंडर, आग बुझाने वाले उपकरण और दूसरे सेफ्टी फीचर्स जैसे एलईडी फ्लैशर लाइट्स, फोल्ड की जाने वाली बीकन लाइट्स, आपातकाल में इस्तेमाल किए जाने वाले पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम और सायरन आदि से लैस हैं। हीरो की ये दोनों बाइक एम्बुलेंस काफी स्ट्रांग हैं, जो कि दुर्गम क्षेत्रों में भी आसानी से ले जाई जा सकती हैं। हीरो मोटोकॉर्प की एक्सट्रीम 200आर बाइक पर ये एम्बुलेंस तैयार की गई हैं।
क्या कहते हैं उप-सिविल सर्जन
इस बारे में पूछे जाने पर उप-सिविल सर्जन डा. एमपी सिंह ने कहा कि मरीजों को लाने-ले जाने के लिए विभाग के पास पर्याप्त एम्बुलेंस हैं। इन बाइक एम्बुलेंस को वैक्सीनेशन और टेस्टिंग के काम में लेने के लिए स्वास्थ्य विभाग मुख्यालय से इसकी अनुमति मांगी थी। स्टाफ के नाम से ही ड्राइविंग लाइसेंस मांगा गया था। वो मिल चुका है। इनका यूज किया जा रहा है। फिर भी वे चेक करवा लेते हैं। मैं अभी चंडीगढ़ हूँ।
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