मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए उपयुक्त है थाईलैंड का अमरुद

Thailand Guava

देश में बढ़ी क्रंची अमरुद की मांग, अनुसंधान शुरू

नई दिल्ली (एजेंसी)। देश में क्रंची अमरुद की बढ़ती मांग को पूरा करने को लेकर अनुसंधान शुरू कर दिया गया है और जल्दी ही नयी किस्म के विकास की उम्मीद की जा रही है। केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, रहमानखेड़ा, लखनऊ ने किसानों की मांग के अनुरूप क्रंची किस्म के अमरुद के विकास के लिए प्रजनक कार्यक्रम शुरू कर दिया है। इस अनुसंधान का उद्देश्य क्रंची अमरुद के विकास के साथ साथ उसमे परम्परागत मिठास लाना भी है।

किसान नए किस्म के अमरुद का विकास चाहते हैं जिससे उन्हें बाजार में अच्छा मूल्य मिल सके। संस्थान के निदेशक शैलेन्द्र राजन के अनुसार अधिकांश भारतीय किस्म के अमरुद का गुदा मुलायम और यह थाई अमरुद से अलग होता है। हाल के दिनों में थाईलैंड के अमरुद का आयात बढ़ा है और इसके क्रंची स्वरूप ने लोगों को प्रभावित किया है। थाई अमरुद भारतीय अमरुद की तरह स्वादिष्ट और मीठा नहीं है लेकिन लोगों में यह धारणा बनी है कि थाई अमरुद काम मीठा होने के कारण मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए उपयुक्त है जिसके कारण इसकी मांग बढ़ रही है ।

अलग-अलग राज्यों के किसानों ने लगाए पौधे

थाईलैंड का अमरुद महानगरों और बड़े शहरों में 150 से 200 रुपए प्रति किलो मिलता है । थाई अमरुद बिना फ्रिज के आठ दस दिनों तक तरोताजा बना रहता है जबकि परम्परागत किस्मों का स्वाद और स्वरूप दो तीन दिनों के बाद खराब होने लगता है। सी आई एस एच उपभोक्ताओं की मांगो और प्रसंस्करण उद्योग की जरूरतों के अनुरुप अधिकतम पैदावार देने वाली अमरुद की नई नई किस्म के विकास को लेकर चर्चित रहा है । इस संस्थान ने अमरुद के लाखों पौधे तैयार किए हैं जिसे देश के अलग अलग हिस्सों में लगाया गया है। अमरुद की ललित ,श्वेता और धवल किस्मों को बड़ी संख्या में अलग अलग राज्यों में किसानों ने लगाया है।

लाइकोपीन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ता है

विटामिन सी और बायोएक्टिव तत्वों से भरपूर होने के कारण दिन प्रतिदिन अमरुद के पौधों की मांग बढ़ रही है । सुपाच्य रेशे के कारण इसे मधुमेह पीड़ितो के लिए उपयुक्त माना जाता है। संस्थान की ओर से विकसित ललित किस्म न केवल विटामिन सी से भरपूर है बल्कि इसमें लाइकोपीन भी है। चिकित्सा अनुसंधान में पाया गया है कि लाइकोपीन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ता है और कैंसर का खतरा कम होता है ।

पिछले एक दशक से देश के अलग अलग हिस्सों में ललित के बाग लगाए गए हैं। यह किस्म सघन बागवानी के लिए भी बहुत उपयुक्त है। अरुणाचल प्रदेश में बड़ी संख्या में नलालित के बाग लगाने का कार्यक्रम है। संस्थान न केवल नयी-नयी किस्मों का विकास करता है बल्कि यह किसानों, नर्सरी कर्मियो, राज्यों के कृषि विश्वविद्यालयों और बागवानों को उत्तम पौध सामग्री भी उपलब्ध कराता है। कृषि विज्ञान केन्द्र और कई अन्य संस्थानों ने ललित को बढ़ावा दिया है।

 

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