इसे आतंकवादियों की निराशा व कायरता ही कहा जा सकता है कि अब छुट्टी पर घर आए सुरक्षा कर्मियों को उनके घरों में ही निशाना बनाया जा रहा है। जम्मू-कश्मीर में छुट्टी पर आए बीएसएफ के एक जवान की उसके घर में ही हत्या कर दी गई। इससे पूर्व लैफ्टिनैंट उमर फ्याज को तब निशाना बनाया गया था जब वह छुट्टी पर अपने घर आए हुए थे।आतंकवादियों के मंसूबे स्पष्ट हैं वह एक धर्म विशेष से संबंधित सुरक्षा जवानों पर हमले कर रहे हैं। आतंकवादी कश्मीर को धर्म का मुद्दा बनाना चाहते है। ऐसी वारदातें पाकिस्तान के शासकों व कश्मीर के अलगाववादी नेताओं के इन दावों की फूंक निकाल देती हैं कि वह कश्मीरियों की आजादी चाहते हैं। आतंकवाद की कोई विचारधारा नहीं होती।
संघर्ष व आतंकवाद का कोई संबंध नहीं। विचारधारा वाले लोग निर्दोष व निहत्थे लोगों पर हमला नहीं करते बल्कि बराबर की ताकत से मैदान में लड़ते हैं। लेकिन यहां तो आतंकवादी महिलाओं, बच्चों, वृद्धों को भी नहीं छोड़ रहे। यह भी सच्चाई है कि आतंकवादी भारतीय सुरक्षा बलों के आगे टिक भी नहीं पा रहे। बौखलाहट में आए आतंकवादी मोर्चों की बजाय घरों में बैठे जवानों व उनके पारिवारिक सदस्यों पर हमले कर दहशत पैदा करने की कोशिश में है। दरअसल आतंकवादियों का उद्देश्य कश्मीरी नौजवानों को सुरक्षा बलों में भर्ती होने से रोकना है। आतंकवादियों को नहीं भूलना चाहिए कि ऐसी कार्रवाईयों से स्थानीय लोग आतंकवाद के खिलाफ ही खड़े हो रहे हैं।
सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भी भारतीय सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों पर हमलावर रूख अपनाया हुआ है। सेना प्रमुख बिपन रावत का यह बयान ही आतंकवादियों में भगदड़ डाल रहा है कि हम पाक में बैठे आतंकवादियों को ‘रिसीव’ करने के लिए तैयार हैं। कश्मीर ही नहीं म्यांमार की सीमा पर भारत आतंकवाद को करारा जवाब दे रहा है। इन हालातों में आतंकवादियों और पाक को यह बात समझ लेनी चाहिए कि भारत आतंकवाद का केवल सामना ही नहीं कर रहा बल्कि उनका पीछा करने व घेरकर मारने के लिए तैयार है। किसी ओर सर्जिकल स्ट्राईक के लिए भी भारत पीछे नहीं हटेगा। पाक का साथी चीन भी डोकलाम व अन्य विवादों में बैकफुट पर आकर दोस्ती की बातें कर रहा है। पाक को भी सोच लेना चाहिए कि अमन-शान्ति का कोई और विकल्प नहीं हैं। पाक का आतंकवादी पैंतरा बुरी तरह सबके सामने आ चुका है। अमन व दोस्ताना संबंध ही आज सबकी तरक्की की बुनियाद हैं।