श्रीनगर: नॉर्थ कश्मीर के सुम्बल में सीआरपीएफ कैम्प पर हमले की कोशिश को नाकाम करने में रोजेदार कमांडेंट इकबाल अहमद और दो कुत्तों का अहम रोल है। सोमवार तड़के 4 बजे आतंकी तार काटकर कैम्प में घुसने की कोशिश कर रहे थे।
इसी दौरान कुत्तों के लगातार भौंकने से जवानों को लश्कर-ए-तयैबा के आतंकियों की मौजूदगी का पता चला। दूसरी ओर, कमांडेंट इकबाल ने वायरलेस सेट पर गोलियों की आवाज सुनाई दी। वे रमजान की वजह से सुबह जल्दी जाग गए थे। वे फौरन राइफल लेकर मौके पर पहुंच गए। रोजे पर रहते हुए पूरे ऑपरेशन की अगुआई की।
कुत्ते भौंके तो अलर्ट हो गए थे जवान
सीआरपीएफ के एक सीनियर अफसर ने बताया कि सुम्बल कैम्प में आसपास घूमने वाले दो कुत्ते रहते हैं। जिन्हें जवान कभी-कभी खाना डाल देते थे। आतंकी हमले को नाकाम करने में इनका रोल भी अहम है।
रात को दोनों कुत्ते जोर-जोर से भौंकने लगे। इससे जवानों को खतरे का हिंट मिला। कुत्ते जिस जगह के आसपास भौंक रहे थे। जवानों ने वहां इलुमिनेटर फायर किया तो आतंकियों की मौजूदगी का पता चला। कुत्तों ने कई लोगों की जिंदगी बचाई है।
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