बड़ी चुनौती बना आतंकवाद

Terrorism making big challenge

दो सर्जीकल स्ट्राईक करने के बाद भी पाकिस्तान आधारित आतंकवादी संगठन जम्मू-कश्मीर में हिंसा करने से बाज नहीं आ रहे। बीते बुधवार को अनंतनाग में हुए आतंकवादी हमले में 5 सुरक्षा जवान शहीद हो गए। आतंकवाद प्रति भारत के सख्त रवैये के बावजूद ऐसे हमले लगातार जारी रहना आतंकवाद की गहरी जड़ों की तरफ इशारा कर रहे हैं। ताजा हालातों मुताबिक भारत को आतंकवाद के खात्मे के लिए कूटनीतिक व शक्ति की स्तर पर बड़ी व निर्णायक युद्ध लड़ना पडेÞगा। सर्जीकल स्ट्राईक-2 पाकिस्तान को सबक सिखाने वाली कार्रवाई माना जा रहा था।

इसके बावजूद हिंसा का दौर लगातार जारी रहा। इस वर्ष फरवरी महीने में पुलवाना में हमला होने के बाद भी विभिन्न स्थानों पर हमले जारी रहे हैं। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए ने फिर से सत्ता में वापिसी की है, जिससे यह बात तो स्पष्ट है कि सरकार आतंकवाद के खिलाफ ठोस निर्णय ले सकती है लेकिन पिछले लम्बे समय यही सब कुछ चलता आ रहा है कि यदि कोई बड़ा हमला होता है तो उसके जवाब में पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई होती है, हर बार बदला लिया जाता है। सिर्फ बदला लिए जाने से मसले का हल नही होगा। हमले बंद करने ही होंगे। जवाबी कार्रवाई आवश्यक है लेकिन जब आतंकवाद के खात्मे की बात आती है तो इसके साथ आतंकवाद के खिलाफ योजनाबंदी चाहिए। आतंकवाद के खात्मे के लिए योजना में किसी हमले का इंतजार किए बिना आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई आवश्यक हो जाती है। सदियों से भारत की विचारधारा भी यही है कि जब अमन शांति व प्रेम-प्यार से बात न बने तो सख्ती का इस्तेमाल ही आखिरी रास्ता है।

बातचीत व अपील के रास्ते सब इस्तेमाल किए जा चुके हैं। हथियारबंद लड़ाई के साथ-साथ स्थानीय जनता को आतंकवाद के खिलाफ तैयार करना आवश्यक है। धारा 370 व 35-ए के मामले में अलगाववादी व आतंकवादी जनता को गुमराह कर भारत सरकार के खिलाफ भड़Þका सकते हैं। कश्मीर की राजनीतिक पार्टियां अपने हित साधने के लिए पूरी कोशिश करेंगी। एनडीए सरकार इस धारा को खत्म करने के लिए अपने चुनाव घोषणा पत्र में वायदा कर चुकी है। सरकार को 370-35ए धारा के मामले में मजबूत व दुरूस्त तरीके भी अपनाकर जनता को अपने साथ जोड़ना भी एक चुनौती होगा।

 

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