देशभर में 10 फीसदी आबादी किडनी की बीमारी से पीड़ित : सांसद
लुधियाना (सच कहूँ/रघबीर सिंह)। सांसद (राज्यसभा) संजीव अरोड़ा (Sanjeev Arora) ने कहा है कि राज्य और केंद्र दोनों सरकारों ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य, सामुदायिक चिकित्सा और स्वास्थ्य बीमा में सुधार लाने के लिए बहुत कुछ किया है और अभी भी इस क्षेत्र में हर किसी के लिए बेहतर और किफायती स्वास्थ्य सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए काफी गुंजाइश है। उन्होंने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में समग्र परिवर्तन लाने के लिए सभी हितधारकों की शत-प्रतिशत भागीदारी की आवश्यकता पर जोर दिया। Ludhiana News
अरोड़ा शनिवार को डीएमसीएच, लुधियाना के कॉलेज परिसर के सभागार में सामुदायिक चिकित्सा विभाग, डीएमसीएच द्वारा आयोजित दो दिवसीय चौथे आईएपीएसएम यंग लीडर्स नेशनल कॉन्क्लेव/सम्मेलन के ‘सांसद से मिलें’ सत्र के दौरान छात्रों और शिक्षकों को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन का विषय था “सामुदायिक चिकित्सा चिकित्सक: उम्मीदें, वास्तविकता और प्रगति”। एक घंटे लंबे इस सत्र का समन्वयन डॉ. अनुराग चौधरी द्वारा किया गया, डॉ. एएम कादरी पैनलिस्ट थे और संचालन डॉ. जीएस वांडर ने किया। इंडियन एसोसिएशन आॅफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (आईएपीएसएम), सामुदायिक चिकित्सा/सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक राष्ट्रीय स्तर की व्यावसायिक संस्था है, जिसकी स्थापना 1974 में हुई थी।
डीएमसीएच, लुधियाना के वाइस प्रिंसिपल डॉ. जीएस वांडर ने दर्शकों से अरोड़ा का परिचय कराया और बताया कि अरोड़ा न केवल स्वास्थ्य और परिवार कल्याण पर संसदीय समिति के सक्रिय सदस्य हैं, बल्कि डीएमसीएच मैनेजिंग सोसाइटी के उपाध्यक्ष भी हैं। अरोड़ा ने एक-एक कर कई सवालों के जवाब दिए। उनसे पूछे गए सवाल सामुदायिक चिकित्सा, स्वास्थ्य बीमा, स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के लिए सरकारी धन के आवंटन, स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए सीएसआर योजना, टीबी उन्मूलन कार्यक्रम, किडनी के मामलों के बढ़ते खतरे, स्वास्थ्य संस्थानों के बुनियादी ढांचे और लैंगिक समानता से संबंधित थे। Ludhiana News
सवालों का जवाब देते हुए अरोड़ा ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के लिए अधिक धन आवंटित करने पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि स्वास्थ्य सेवा को सभी के लिए किफायती बनाने की सख्त जरुरत है। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य देश से टीबी को पूरी तरह से खत्म करना है, उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी हालिया बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी इस मुद्दे पर चर्चा की थी। लेकिन, उन्होंने बताया कि टीबी का शत-प्रतिशत उन्मूलन तब तक संभव नहीं हो सकता जब तक लोगों को इलाज का कोर्स पूरा करने के लिए शिक्षित नहीं किया जाता।
अरोड़ा ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा कि देशभर में 10 फीसदी आबादी किडनी की बीमारी से पीड़ित है। इसलिए, उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति से निपटने के लिए सामुदायिक चिकित्सा की सख्त जरुरत है। उन्होंने बेहतर और स्वच्छ सुविधाओं के साथ सस्ती स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा संचालित स्वास्थ्य संस्थानों में सुधार पर भी जोर दिया। उन्होंने स्वास्थ्य देखभाल पर जेब से होने वाले खर्च पर भी अपने विचार व्यक्त किए और कहा कि देश इस क्षेत्र में अन्य देशों की तुलना में पीछे है। उन्होंने कुछ मुद्दों को सभी उचित मंचों पर उठाने का भी आश्वासन दिया ताकि उनका हल निकाला जा सके। अंत में उन्हें डॉ. अनुराग चौधरी और बाबा फरीद यूनिवर्सिटी के चेयरमैन डॉ. गुरप्रीत सिंह वांडर ने एक स्मृति चिन्ह भेंट किया। Ludhiana News
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