फिर वेंटिलेटर पर आए हरियाणा के अस्थाई व गैर मान्यता प्राप्त स्कूल

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अधर में लटका बच्चों का भविष्य

स्थाई मान्यता लेने के लिए 31 मार्च तक का समय निर्धारित

सच कहूँ/संदीप सिंहमार।

हिसार। प्रदेश भर के अस्थाई मान्यता, एक्जिस्टिंग व गैर मान्यता के विद्यालय (Temporary and unrecognized schools) स्थाई मान्यता न मिलने के कारण इस बार वेंटिलेटर पर आ गए हैं। इन स्कूलों को यदि इस बार 31 मार्च तक स्थाई मान्यता नहीं मिली तो स्कूलों के भविष्य के साथ-साथ में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य भी अंधकार में हो जाएगा। पहली बार ऐसा हुआ है जब शैक्षणिक सत्र पूरा होने से पहले ही शिक्षा निदेशालय के आदेशों पर जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों व जिला शिक्षा अधिकारियों ने स्थाई मान्यता न लेने की सूरत में स्कूलों को बंद करने की चेतावनी तक जारी कर दी है। ध्यान रहे की हरियाणा प्रदेश में शिक्षा नियमावली 2003 बनने से पहले से चले आ रहे अस्थाई मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों की मान्यता को हर वर्ष एक साल के लिए बढ़ा दिया जाता है।

इसी प्रकार तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा सरकार के दौरान 10 अप्रैल 2007 से पहले तक चले आ रहे सभी स्कूलों को शिक्षा निदेशालय की एक्जिस्टिंग सूची में शामिल करते हुए इन स्कूलों को भी अस्थाई मान्यता वाले स्कूल मान लिया गया था। तब से लेकर अब तक प्रत्येक वर्ष शिक्षा निदेशालय एक वर्ष का एक्सटेंशन लेटर जारी कर इन स्कूलों को अस्थाई मान्यता देता आ रहा है।

15 वर्ष बीतने के बावजूद भी नहीं मिल रही स्थाई मान्यता  | Temporary and unrecognized schools

खास बात यह है कि हर बार विभाग के एक्सटेंशन लेटर में स्थाई मान्यता के लिए नियम पूरे करने के लिए 31 मार्च तक का ही समय दिया जाता है। लेकिन इन स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों बच्चों के भविष्य को देखते हुए सरकार व शिक्षा विभाग को फिर से एक्सटेंशन लेटर जारी करना पड़ता है। इतना ही नहीं निजी स्कूल संगठनों की मांग पर समय-समय पर 2009, 2014 व 2017 में भी शिक्षा निदेशालय पंचकूला ने अलग-अलग एक्जिस्टिंग सूची जारी कर निजी स्कूलों को नियमों में ढील देने का काम किया। उसके बावजूद भी अधिकतर निजी स्कूल करीब 15 वर्ष बीतने के बावजूद भी स्थाई मान्यता से कोसों दूर हैं।

इस बार नवंबर माह में हुआ था एक्सटेंशन लेटर जारी  | Temporary and unrecognized schools

वर्तमान शैक्षणिक सत्र में सरकार व शिक्षा निदेशालय ने पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में शिक्षा सहयोग संगठन के अध्यक्ष बृजपाल परमार की जनहित याचिका का हवाला देकर अस्थाई मान्यता प्राप्त स्कूलों का एक वर्ष का एक्स्टेंशन लेटर जारी करने से मना कर दिया था। लम्बे इंतजार के बाद आखिर चुनाव के ठीक बाद सरकार ने एक बार फिर नवंबर माह में एक्सटेंशन लेटर जारी कर 31 मार्च 2020 तक मान्यता लेने के लिए तिथि मुकर्रर कर दी। अब देखना यह होगा क्या विभाग द्वारा निर्धारित किए गए समय में स्कूल स्थाई मान्यता ले पाएंगे या फिर एक बार फिर एक्सटेंशन लेटर जारी करने के लिए सरकार से दया की भीख मांगेंगे।

जमीन की शर्त पर फंस जाता है मान्यता का पेंच

  • 15 वर्षों से भी अधिक समय से चले आ रहे अस्थाई मान्यता प्राप्त एक्जिस्टिंग सूची में शामिल स्कूलों के सामने सबसे बड़ी समस्या जमीन से संबंधित है।
  • इन स्कूलों को स्थाई मान्यता लेने के लिए प्राथमिक स्तर तक 350, माध्यमिक स्तर तक 600, दसवीं तक 1500, बारहवीं कक्षा तक आर्ट्स व कॉमर्स संकाय के लिए 2250 तथा आर्ट्स, कॉमर्स व साइंस तीनों स्ट्रीम्स के लिए 3000 स्क्वेयर मीटर जमीन की जरूरत होती है।
  • स्कूल प्रबंधन जमीन की इस शर्त को भी 2 अलग-अलग खंडों में पूरी कर सकते हैं। लेकिन जमीन की शर्त पर आते ही हर बार मान्यता संबंधी पेच फंस जाता है।

 

  • आंकड़ों की नजर में स्कूलों की स्थिति
  • स्थाई मान्यता प्राप्त स्कूल- 9680
  • अस्थाई मान्यता प्राप्त स्कूल-2120
  • गैर मान्यता प्राप्त स्कूल-6200
  • सरकारी स्कूल-14437
  • एग्जिस्टिंग आधार पर चल रहे स्कूल-670

अस्थाई मान्यता प्राप्त स्कूलों को सिर्फ वर्तमान शैक्षणिक सत्र के लिए ही एक्सटेंशन प्रदान की गई है। जो भी स्कूल इस दौरान स्थाई मान्यता नहीं ले पाएगा, उन स्कूलों खिलाफ विभाग के नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। नए सत्र से केवल उन्हीं स्कूलों में दाखिले होंगे, जिनके पास किसी भी स्तर की मान्यता होगी
धनपत सिंह, मौलिक शिक्षा अधिकारी

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