हजारों की संख्या में उगा व कर चुके है वितरित
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जगह की कमी आने के बावजूद अपने हौसलों की भरी उड़ान
पानीपत (सच कहूँ/सन्नी कथूरिया)। आज के इस प्रदूषण भरे समाज में स्वच्छ वातावरण की इतनी जरूरत है कि आज हम लोगों को अक्सीजन के लिए भी पैसा देना पड़ रहा है। अगर हम शुरूआत से ही पर्यावरण को स्वच्छ रखें तो शायद यह दिन हमें देखना ना पड़ता। वहीं जिले के राजाखेड़ी में जन्में शिक्षक एवं प्रकृति सहेजने के कार्य में जुटे स्काउट गाइड के डिस्ट्रिक्ट ऑर्गेनाइजिंग कमिश्नर बोधराज अपने अनूठे प्रयासों से पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे हैं। हजारों पौधों को रोप व बांट चुके हैं।
जगह की कमी आने के बावजूद वह अपने हौसलों की उड़ान को पंख देने के लिए अपने घर की छत पर विभिन्न प्रजातियों के औषधीय पौधे जिनमें मुख्य रुप से अजवाइन, लेमनग्रास, एलोवेरा, कड़ीपत्ता, तुलसी, मरवां, थोर, पत्थरचट, नीम, गिलोय, पुदीना, नींबू आदि के साथ-साथ ऑक्सीजन देने वाले व वायु को शुद्ध करने वाले पौधे भी बखूबी लगा रखे हैं। जिसमें मुख्य रुप से नागपौधा, मनीप्लांट, अपराजिता, कुबेराक्षी, जेडप्लांट आदि अनेक पौधे लगा रखे है। जिनका मुख्य उद्देश्य लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक कर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वस्थ व प्रदूषण रहित वातावरण प्रदान करना है।
हर वर्ष जुलाई माह में वनमहोत्सव पर पौधारोपण अभियान चलाकर त्रिवेणी लगाने, औषधीय पौधों को बांटने के साथ-साथ रोपण करवाते हैं। स्कूली जीवन से ही पौधों के प्रति लगाव ने उनको पर्यावरण मित्र की श्रेणी में ला खड़ा कर दिया है। शिक्षक बोधराज ने बताया कि कोरोना जैसी महामारी के दौरान जिन लोगो की इम्युनिटी शक्ति मजबूत थी वे लोग इस बीमारी की चपेट में नही आये और आयुर्वेदिक दवाओं और नुस्खों से लोगों ने बहुत ही जल्द इस बीमारी को हराकर फिर से जीवन को सामान्य रूप जीने के लिए तैयार किया।
यदि हम खाली पेट नीम, पीपल, बरगद,जामुन, अमरूद के पत्तों का रस काली मिर्च और सेंधा नमक डालकर पीयें तो बहुत से रोग तो हमारे पास भी नहीं फटकेंगे। उन्होंने कहा कि हमें ज्यादा से ज्यादा औषधीय गुणों वाले पौधे रोपने चाहिए ताकि उनका समय पर प्रयोग कर हम विभिन्न रोगों से रोकथाम कर सकें। जिन पौधों को हम कम जगह पर भी लगाकर निम्न लाभ ले सकते हैं।
पौधों को कम जगह पर लगाकर उठाये लाभ जिनमें
गिलोय रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाती है, कढ़ीपत्ता, मीठा नीम, शुगर रोगियों के लिए बहुत ही गुणकारी है, सब्जियों में इसका प्रयोग किया जाता है, अजवायन हाजमे को दुरुस्त रखने व पेट मे गैस नही बनने देती, एलोवेरा इसका जेल बालों और त्वचा के लिए लाभदायक है, पेट के रोगों और मोटापे को कम करता है, तुलसी पर्यावरण को शुद्ध करने, खांसी, बुखार में इसके पत्तों का प्रयोग किया जाता है, रोग प्रतिरोधक शक्ति में वृद्धि में लाभदायक है, पत्थरचट्टा इसके पते पथरी के रोगियों के लिए लाभकारी होते है, नागपौधा ये सजावटी व वायु को शुद्ध करने वाला पौधा है।
लेमनग्रास पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करता है, चाय में प्रयोग किया जाता है, पुदीना पेट संबंधी समस्याओं जैसे कब्ज, अपच, गैस व मुंह की दुर्गंध को दूर करता है, चटनी, शिकंजी बनाने में अधिकांश लोग प्रयोग करते हैं, कुबेराक्षी ये कुबेर जी का प्रतीक पौधा घर में लगाने के लिए बहुत ही शुभ माना गया है, सुख समृद्धि के लिए लाभदायक है, मनीप्लांट ये भी वायु को शुद्ध करने के साथ साथ सजावटी पौधों की श्रेणी में आता है, मिट्टी के साथ-साथ बोतल में पानी डालकर भी उगाया जा सकता है।
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