21 मई-चाय दिवस पर विशेष:
- चाय हमारी संस्कृतियों का भी बन गई है केंद्र
- 5000 साल पहले चीन में किया जाता था चाय का सेवन
गुरुग्राम (सच कहूँ/संजय कुमार मेहरा)। Tea Day: चाय पैदा भले ही कहीं ओर हुई हो, लेकिन भारतीयों ने इसे सुबह ताजगी के लिए, थकान दूर करने के लिए, सिर दर्द दूर करने के लिए, आपसी चर्चा के लिए अपनी दिनचर्या में शामिल कर लिया है। अब चाय न केवल एक पदार्थ पेय है, अपितु यह हमारी संस्कृतियों का केंद्र है। चाय का इतिहास 100-200-500 साल नहीं, बल्कि हजारों साल पुराना है। चीन में 5000 साल पहले चाय का सेवन किया जाता था।
हम आपको बता दें कि चीनी सम्राट शेन नुंग ने पहली बार चाय का स्वाद चखा था। जब वह और उसके सैनिक एक पेड़ के नीचे आराम करने रुके तो हवा में उड़ते हुए चाय की कुछ पत्तियां वहां उबलते पानी के एक बर्तन में गिर गईं। वह उसमें घुल गईं और चाय बन गई। आज चाय दुनिया में सबसे अधिक पिया जाने वाला पदार्थ बन चुकी है। चाय का चाय नाम तो चीनी भाषा का शब्द है। हिन्दी भाषा में इसे दुग्ध जल मिश्रित शर्करा युक्त पर्वतीय बूटी उष्णोदक कहा जाता है। हालांकि यह नाम चलन में नहीं है। हिंदी में चाय ही प्रचलित शब्द है। चाय विशेष रूप से हरी और हर्बल चाय कई स्वास्थ्य लाभों से जुड़ी हुई है। यह एंटीआक्सिडेंट और फाइटोकेमिकल्स से भरपूर होती है। जो कि संपूर्ण स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
चीन से अर्जेंटीना तक, भारत से केन्या तक चाय | Tea Day
चीन से अर्जेंटीना तक और भारत से केन्या तक चाय ही चाय है। चाय कैमेलिया साइनेन्सिस नामक पौधे से बना एक पेय पदार्थ है। यह बहुत बड़ी बात है कि पानी के बाद चाय दुनिया का सबसे ज्यादा पिया जाने वाला पेय है। माना जाता है कि चाय की पैदावार उत्तर-पूर्व भारत, उत्तरी म्यांमार और दक्षिण-पश्चिमी चीन में हुई थी। यह अभी तक सटीक पता नहीं चल सका है कि आखिर चाय का यह पौधा सबसे पहले कहां पर उगा था। चाय हमारे साथ लंबे समय से है।
भारत में पहली बार 1824 में चाय उगाने की हुई शुरूआत
अंग्रेजों ने पहली बार वर्ष 1824 में भारत में चाय की फसल उगाने की शुरूआत की थी। ऐसा चीन के चाय उत्पादन के एकाधिकार को चुनौती देने के लिए अंग्रेजों ने किया था। तभी से भारत के असम, दार्जिलिंग और नीलगिरी में व्यापक पैमाने पर चाय के बागान लगाए जाने लगे। भारत में आज अनुमानित तौर पर करीब 9,00000 टन चाय का उत्पादन किया जाता है। कहा यह भी जाता है कि सन 1834 में गवर्नर जनरल लॉर्ड बैंटिक भारत आए थे। उस समय असम के कुछ लोग चाय की पत्तियों को गर्म पानी में उबालकर दवा की तरह पीते नजर आए।
उन्होंने यह देखा तो से इसके प्रति काफी उत्सुक हुए। फिर उन्होंने आम लोगों को इसकी जानकारी दी और इस तरह भारत में चाय की शुरूआत हुई। हमारे देश में कहावत तो यह है कि अंग्रेजी चले गए और चाय छोड़ गए। अब लोगों के जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है। गर्मी हो या सर्दी, चाय के शौकीन हर मौसम में इसे पीते हैं।
लाखों गरीब परिवारों की आजिविका का मुख्य साधन चाय | Tea Day
चाय भले ही हम चंद मिनटों में बनाकर पी लेते हों, लेकिन चाय उत्पादन और प्रसंस्करण विकासशील देशों में लाखों गरीब परिवारों के लिए यह आजीविका का मुख्य साधन भी है। चाय उद्योग कुछ सबसे गरीब देशों के लिए आय और निर्यात राजस्व का एक मुख्य स्रोत है। चाय सबसे महत्वपूर्ण नकदी फसलों में से एक होने के कारण विकासशील देशों में ग्रामीण विकास, गरीबी उन्मूलन और खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। कई शोध के अनुसार पेय के सूजन-रोधी, एंटीआॅक्सीडेंट और वजन घटाने के प्रभावों के कारण चाय का सेवन स्वास्थ्य लाभ और तंदुरुस्ती ला सकता है। कई समाजों में इसका सांस्कृतिक महत्व भी है।
इन चाय के सेवन से शरीर में होते हैं कई फायदे
ब्लैक-टी: चाय तो देश-दुनिया में करोड़ों लोग पीते हैं, लेकिन बहुत से लोग ब्लैक टी ज्यादा पीते हैं। इस चाय में दूध का मिश्रण नहीं किया जाता। चाय की पत्तियों को सुखाकर यह चाय तैयार की जाती है। इसकी खेती भारत के अलावा तिब्बत, चीन, मंगोलिया में की जाती है।
ग्रीन-टी: ग्रीन टी के वे लोग शौकीन होते हैं तो खुद को फिट रखना चाहते हैं। इसके लिए ग्रीन टी को कारगर माना जाता है। चिकित्सक मानते हैं कि ग्रीन टी में कैंसर, डायबिटीज व मानसिक रोगों से लड़ने की क्षमता होती है। अपना वजन घटाने के लिए भी लोग ग्रीन टी का नियमित सेवन करते हैं। इसकी खेती भारत व चीन में होती है।
ब्लू-टी: अपराजिता नामक फूल से ब्लू टी बनती है। यह एक हर्बल चाय होती है। ब्लू टी इंसान की याददाश्त बढ़ाने में सहायक होती है। इसके साथ ही इससे एंग्जायटी घटता है। इस चाय को पीने से अस्थमा में भी आराम मिलता है। डायबिटीज को भी रोकती है।
रेड-टी: दक्षिण अफ्रीका में उगने वाले एस्पैलाथस नामक एक पेड़ से यह चाय मिलती है। इसे रूइबोस टी भी कहते हैं। ग्रीन टी की तुलना में इसमें 50 प्रतिशत अधिक एंटीआॅक्सीडेंट होते हैं। इसको पीने से डाइजेशन (हाजमा) ठीक रहता है और बाल मजबूत होते हैं।
येलो-टी: येलो टी की शुरूआत चीन से ही हुई थी। इसमें एंटीआॅक्सीडेंट ग्रीन टीम के बराबर ही होती हैं। इसकी पत्तियों को खास तरीके से सुखाकर चाय में परिवर्तित किया जाता है।
पिंक-टी: यह चाय भी ग्रीन व ब्लू चाय की तरह डायबिटीज व पेट के रोगों से लड़ने में सहायक होती है। हिबिस्कस (गुड़हल) के फूलों से यह चाय तैयार की जाती है। Tea Day
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