सरसा। पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि सतगुरु मौला शाह सतनाम, शाह मस्तान दाता, रहबर इस धरती पर आए और इन्सानियत का पाठ पढ़ाया। इन्सानियत जो आज लोगों के अंदर से खत्म होती जा रही है, दिखावा मात्र रह गई है। लोग आज इन्सानियत से दूर होते जा रहे हैं। पूज्य गुरु जी ने आगे फरमाया कि इन्सानियत को जिंदा रखने के लिए सतगुरु मौला ने तरीका बताया, जिसे गुरुमंत्र, नामदीक्षा, नामशब्द कहा जाता है। आप ये गुरुमंत्र, कलमा लें और इसका अभ्यास करें तो आप जन्मों-जन्मों के पाप कर्मों से आजाद हो जाएंगे।
भावना के शुद्धिकरण का तरीका
आप जी ने फरमाया कि दिखावा करने से मालिक की प्राप्ति नहीं होती। आप अलग रंग के कपड़े पहन लो, घर-बार त्याग दो, परिवार छोड़ दो, अगर मालिक से प्रीत न बनी तो सब कुछ बेकार है। मालिक को पाने के लिए आडम्बरों की जरुरत नहीं है। जरुरत है, अपनी भावना को शुद्ध करने की। अगर अंदर छल-कपट, खोट है तो मालिक कभी नहीं मिल सकता। अगर आपके अंदर शुद्ध विचार हैं और बाहर भी आप अच्छा व्यवहार करते हैं, साथ में सुमिरन करते हैं तो वो अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा, रब्ब आपको जरुर दया-मेहर, रहमत से नवाजेंगे और एक दिन आप नूरी दर्शनों के काबिल जरुर बन जाएंगे।
पूज्य गुरु जी ने अंदर की भावना के शुद्धिकरण का तरीका समझाते हुए फरमाया कि बाहर से शरीर साफ करना हो या कपड़े साफ करने हो तो साबुन लगाकर अच्छी तरह धोने से कपड़े धूल जाते हैं और शरीर की मैल भी साफ हो जाती है। पर आत्मा पर जो जन्मों-जन्मों के पाप कर्मों की मैल लगी हुई है, सदियों से आत्मा जिसके लिए तड़प रही है, उस मैल को उतारने के लिए जो साबुन लगाना होगा वो साबुन है अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, रब्ब, भगवान के नाम का साबुन। उसके नाम का जाप करो, कलमां अता करो, गॉड प्रेयर या नामशब्द का जाप करो। जब तक आप मालिक के उन शब्दों का जाप नहीं करते, आप उसकी दया-मेहर, रहमत के काबिल नहीं बन सकते।
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