- बड़े काम और दाम की है टमाटर की खेती
- टमाटर की खेती करने वाले किसान ध्यान दें, ये खबर है आपके काम की
- टमाटर की खेती करने वाले किसानों के लिए बड़ी खबर
- बिना जानकारी के टमाटर की खेती की तो होगा बड़ा नुक्सान
- ये रोग टमाटर की खेती का सबसे बड़ा दुश्मन, ऐसे बचें
सच कहूँ/विजय शर्मा
किसान भाईयों के लिए सच कहूँ आज टमाटर खेती की महत्वपूर्ण (tamatar ki kheti) जानकारी सांझा कर रहा है। धरतीपुत्रों के जहन में टमाटर की पैदावार को लेकर कई सवाल उठ रहे होंगे जैसे, टमाटर की खेती है क्या, हाइब्रिड टमाटर की खेती कैसे की जाती है, टमाटर की खेती कैसे और कब करें। तो इन सवालों के जबाव लेकर आज सच कहूँ आया है। जिसमें हम सबसे पहले बात करेंगे कि टमाटर होता क्या है? टमाटर, आलू, प्याज के बाद दुनियाभर में दूसरे नंबर की फसल मानी जाती है। इतना ही नहीं भारत देश की हर रसोई घर में बनने वाले भोजन में टमाटर का इस्तेमाल होता है। भारत देश दुनिया में टमाटर उत्पादक व उपभोक्ता में दूसरा स्थान रखता है। टमाटर को आप कच्चा या पकाकर भी खा सकते हैं। बात करें इसमें विटामिन की तो टमाटर में ए-सी-पोटाशियम और अन्य खनिज पदार्थ भरपूर मात्रा में आपको मिलेंगे। टमाटर की पैदावार उतर प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, उड़ीसा, महाराष्टÑ मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में होती है। बात पंजाब राज्य की करें तो इसमें रोपड़, जालंधर, होशियारपुर और अमृतसर जिले शामिल हैं जहां किसान टमाटर की पैदावार कर रहे हैं। इसके साथ ही कुछ इलाकों में भी टमाटर की पैदावार देखी जा सकती है।
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टमाटर की खेती के लिए कैसी हो मिट्टी ? tamatar ki kheti
टमाटर एक ऐसी फसल है जो किसानों को अच्छी आमदनी दे सकती है। लेकिन इसके लिए किसानों को सही पैदावार के लिए मिट्टी की जानकारी होना बेहद जरूरी है। वैसे तो टमाटर एक ऐसी फसल है जो अलग-अलग मिट्टी में हो सकती है। जैसे रेतली मिट्टी, चिकनी, दोमट, काली, लाल मिट्टी इत्यादि। इन मिट्टी में पानी निकासी आसानी से हो जाती है। इसलिए इन मिट्टी में टमाटर की पैदावार की जा सकती है। किसान भाईयों को टमाटर की फसल उगाने से पहले इस बात की जानकारी भी होनी चाहिये कि मिट्टी का पीएच 7-8.5 हो। अगेती फसल के लिए हल्की मिट्टी फायदेमंद हो सकती है।
अच्छी तरह तैयार करनी होगी किसानों को जमीन
टमाटर की अच्छी पैदावार लेने के लिए किसानों को सबसे पहले जमीन की अच्छी प्रकार से जुताई करनी होगी। मिट्टी को भुरभुरा बनाने के लिए किसान चार से पांच बार खेत की जुताई करें। उसके बाद मिट्टी को समतल करें। मिट्टी के कीड़ों व जीवों को खत्म करने के लिए धूप अच्छी प्रकार से लगाएं। पारदर्शी पॉलीथीन की परत भी इस कार्य के लिए इस्तेमाल की जा सकती है। पॉलीथीन की परत सूरज की किरणों को सोखती हैं, जिससे कि खेत की मिट्टी का तापमान बढ़ जाता है और मिट्टी टमाटर की फसल की अच्छी पैदावार के लिए तैयार हो जाती है।
टमाटर की फसल में उर्वरक की मात्रा
यदि किसान टमाटर की फसल पैदा करना चाहते हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि इस फसल में पोषक तत्वों की जरूरत अधिक होती है। खेती से पहले जब आप जुताई करते हैं तो प्रति हेक्टेयर खेत में 25 से 30 गाड़ी गोबर की खाद को तीन सप्ताह पहले डाल कर मिट्टी में अच्छी प्रकार से मिला दें। इस फसल में गोबर की खाद के अलावा रासायनिक खाद भी जरूरी होती है। इस लिए किसान खेतों में जुताई के समय नाइट्रोजन, पोटाश, फास्फोरस का छिड़काव भी जरूर करें।
देशी टमाटर की किस्में
पूसा शीतल
पूसा-120
पूसा रूबी
पूसा गौरव
अर्का विकास
अर्का सौरभ,
अर्का रक्षक
सोनाली
टमाटर की हाइबिड किस्में
पूसा हाइब्रिड-1
पूसा हाइब्रिड-2
पूसा हाईब्रिउ-4
रश्मि और अविनाश-2
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ये है टमाटर की सही बुआई का समय | tomato farming techniques
टमाटर की अच्छी पैदावार लेने के लिए किसानों को सही समय पर फसल की बुआई करनी होगी। वैसे तो टमाटर की फसल साल में तीन बार तक ले सकते हैं। लेकिन टमाटर का अनुकूल समय सर्दी का है। अगर किसानों को जनवरी में टमाटर की रोपाई करनी है तो इसके लिए आपको नवम्बर महीने में नर्सरी तैयार करनी होगी। पौधों की रोपाई जनवरी के दूसरे सप्ताह में करनी होगी। वहीं बात गर्मी के मौसम की करें तो दिसंबर या जनवरी में टमाटर की बुआई की जा सकती है। किसान मार्च में टमाटर की अच्छी पैदावार ले सकते हैं।
ये बीमारियां टमाटर की फसल को पहुंचा सकती है नुक्सान | tamatar ki kheti kaise karen
सुरंगी कीड़ा: यह सुरंगी कीड़ा टमाटर की फसल के पतों को खा जाते हैं। जिससे पतों में छोट-छोटे छेद बन जाते हैं। इसे खत्म करने के लिए किसान नीम सीड़ का पानी में इस्तेमाल कर छिड़काव कर सकते हैं।
सफेद मक्खी: सफेद मक्खी टमाटर के पत्तों को सारा रस चूस लेती है। जिससे पत्तों में काले धब्बे बन जाते हैं।
इसे रोकने के लिए किसान जब नर्सरी में बिजाई करते हैं तो बैड को 400 मैस के नाइलोन जाल के साथ पतले सफेद कपड़े से ढ़क दें। यहा प्रकिया पौधों को सफेद मक्खी के हमले से बचाएगी।
थ्रिप्स कीट: थ्रिप्स कीट ज्यादातर शुष्क मौसम में पाया जाता है। यह पतों का रस चूस लेता है। जिसके कारण पत्ते मूड जाते हैं। इसको रोकने के लिए किसानों को वर्टीसीलियम लिकानी को पानी में मिलाकर छिड़काव करना होगा।
फल छेदक: यह कीट टमाटर के लिए बेहद खतरनाक है। यदि इसे सही समय पर नहीं रोका जाए तो टमाटर की फसल को 40 प्रतिशत तक नुक्सान पहुंच सकता है। इसे रोकने के लिए किसानों को नीम के पत्तों का घोल लगातार 20 दिनों तक करना होगा।
सही समय पर किसान करें सिंचाई | desi tamatar ki kheti
टमाटर की खेती मे बात अगर सिंचाई की करें तो इसमें किसानों को सही संतुलन का ध्यान रखना होगा। ज्यादा सिंचाई टमाटर की फसल को नुक्सान पहुंचा सकती है। इसके लिए किसानों को शीत मौसम के दौरान 12 से 18 दिनों के अंतराल में टमाटर की फसल में सिंचाई करनी चाहिये। जबकि बात अगर गर्मी के मौसम की करें तो इस मौसम में किसानों को 5-10 दिनों के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिये।
किसान ऐसे कर सकते हैं खरपतवार नियंत्रण | tomato farming
टमाटर की फसल में खरपतवार की समस्या अधिक होती है। यदि किसानों के खेतों में खरपतवार समस्या आए तो इसके नियंत्रण के लिए लासो-2 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर कि दर से प्रतिरोपण से पूर्व डालना चाहिए। वहीं
रोपण के 4-5 दिन बाद स्टाम्प 1.0 किलोग्राम प्रति हैक्टर की दर से इस्तेमाल किया जाए तो किसान टमाटर की फसल में खरपतवार नियंत्रण कर सकते हैं, इससे ऊपज पर भी कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालता है।
70 दिन के बाद पौधे फल देना शुरू कर देंगे
टमाटर की पौध लगाने के बाद 60-70 दिनों में फल मिलना शुरू हो जाएगा। जब खेत में टमाटर हल्के लाल रंग के हो जाएं तो किसानों को तोड़ लेना चाहिये। जिसके बाद किसानों को टमाटर के आकार के अनुसार छंटाई कर लेनी चाहिये। इन टमाटरों को ऐसी टोकरियों व बॉक्सों में रखना चहिये जिसमें हवा गुजरती रहे। लंबी दूरी तक टमाटरों को अगर ले जाना है तो किसान भाई इन्हें ठंडा रखे ताकि ये खराब होने से बच सकें।
टमाटर का उत्पादन | tamatar ki kheti
टमाटर फसल की उत्पादन की बात करे तो अच्छी तरह से तैयार खेत में टमाटर की औसत उपज 350 से 480 क्विंटल/हेक्टेयर तथा टमाटर की हाइब्रिड किस्में की उपज 700-800 क्विंटल/हेक्टेयर तक हो जाती है।
भूमि
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उचित जल निकास वाली बलुई दोमट भूमि जिसमें पर्याप्त मात्रा में जीवांश उपलब्ध हो।
टमाटर की किस्में
देसी किस्म: पूसा रूबी, पूसा-120, पूसा शीतल, पूसा गौरव, अर्का सौरभ, अर्का विकास, सोनाली
संकर किस्म: पूसा हाइब्रिड-1, पूसा हाइब्रिड-2, पूसा हाइब्रिड-4, अविनाश-2, रश्मि तथा निजी क्षेत्र से शक्तिमान, रेड गोल्ड, 501, 2535 उत्सव, अविनाश, चमत्कार, यूएस 440 आदि।
बीज की मात्रा
एक हेक्टयेर क्षेत्र में फसल उगाने के लिए नर्सरी तैयार करने हेतु लगभग 350 से 400 ग्राम बीज पर्याप्त होता है। संकर किस्मों के लिए बीज की मात्रा 150-200 ग्राम प्रति हेक्टेयर पर्याप्त रहती है।
बुवाई
वर्षा ऋतु के लिए जून-जुलाई तथा शीत ऋतु के लिए जनवरी-फरवरी। फसल सर्दी रहित क्षेत्रों में उगाई जानी चाहिए या इसकी सर्दी से समुचित रक्षा करनी चाहिए।
बीज उपचार
बुवाई पूर्व थाइरम/मेटालाक्सिल से बीजोपचार करें ताकि अंकुरण पूर्व फफून्द का आक्रमण रोका जा सके।
नर्सरी एवं रोपाई | tomato plant
नर्सरी में बुवाई हेतु 13 मी. की क्यारियां बनाकर फॉर्मल्डिहाइड द्वारा स्टरलाइजेशन कर लें अथवा कार्बोफ्यूरान 30 ग्राम प्रति वर्गमीटर के हिसाब से मिलावें। बीजों को बीज कार्बेन्डाजिम/ट्राइकोडर्मा प्रति किग्रा. बीज की दर से उपचारित कर 5 से.मी. की दूरी रखते हुए कतारों में बीजों की बुवाई करें। बीज बोने के बाद गोबर की खाद या मिट्टी ढक दें और हजारे से छिड़काव-बीज उगने के बाद डायथेन एम-45/मेटालाक्सिल से छिड़काव 8-10 दिन के अंतराल पर करना चाहिए।
25 से 30 दिन का रोपा खेतों में रोपाई से पूर्व कार्बेन्डिजिम या ट्राईटोडर्मा के घोल में पौधों की जड़ों को 20-25 मिनट उपचारित करने के बाद ही पौधों की रोपाई करें। पौध को उचित खेत में 75 से.मी. की कतार की दूरी रखते हुए 60 से.मी के फासले पर पौधों की रोपाई करें। मेड़ों पर चारों तरफ गेंदा की रोपाई करें। फूल खिलने की अवस्था में फल भेदक कीट टमाटर की फसल में कम जबकि गेदें की फलियों/फूलों में अधिक अंडा देते हैं।
उर्वरक का प्रयोग | tomato cultivation
20 से 25 मैट्रिक टन गोबर की खाद एवं 200 किलो नत्रजन,100 किलो फॉस्फोरस व 100 किलो पोटाश। बोरेक्स की कमी हो वहॉ बोरेक्स 0.3 प्रतिशत का छिड़काव करने से फल अधिक लगते हैं।
सिंचाई
गर्मियों में 6-7 दिन के अन्तराल से हल्का पानी देते रहें। अगर संभव हो सके तो कृषकों को सिंचाई ड्रिप इरीर्गेशन द्वारा करनी चाहिए।
मिट्टी चढ़ाना व पौधों को सहारा देना
टमाटर में फूल आने के समय पौधों में मिट्टी चढ़ाना एवं सहारा देना आवश्यक होता है। टमाटर की लम्बी बढ़ने वाली किस्मों को विशेष रूप से सहारा देने की आवश्यकता होती है। पौधों को सहारा देने से फल मिट्टी एवं पानी के सम्पर्क में नहीं आ पाते जिससे फल सड़ने की समस्या नहीं होती है। सहारा देने के लिए रोपाई के 30 से 45 दिन के बाद बांस या लकड़ी के डंडों में विभिन्न ऊँचाइयों पर छेद करके तार बांधकर फिर पौधों को तारों से सुतली बांधते हैं। इस प्रक्रिया को स्टेकिंग कहा जाता है।
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खरपतवार नियंत्रण
आवश्यकतानुसार फसलों की निराई-गुड़ाई करें। फूल और फल बनने की अवस्था में निराई-गुड़ाई नहीं करनी चाहिए।
रासायनिक दवा के रूप में खेत तैयार करते समय फ्लूक्लोरेलिन (बासालिन) या से रोपाई के 7 दिन के अंदर पेन्डीमिथेलिन छिड़काव करें।
प्रमुख कीट एवं रोग
प्रमुख कीट- हरा तैला, सफेद मक्खी, फल छेदक कीट एंव तम्बाकू की इल्ली
प्रमुख रोग-आर्द्र गलन या डैम्पिंग आॅफ, झुलसा या ब्लाइट, फल संडन
एकीकृत कीट एवं रोग नियंत्रण | tamatar ki kheti
- गर्मियों में खेत की गहरी जुताई करें।
- पौधशाला की क्यारियां भूमि धरातल से ऊंची रखे एवं फोर्मेल्डिहाइड द्वारा स्टरलाइजेशन करलें।
- गोबर की खाद में ट्राइकोडर्मा मिलाकर क्यारी में मिट्टी में अच्छी तरह से मिला देना चाहिए।
- पौधशाला की मिट्टी को कॉपर आॅक्सीक्लोराइड के घोल से बुवाई के 2-3 सप्ताह बाद छिड़काव करें।
- पौधरोपण के समय पौध की जड़ों को कार्बेन्डाजिम या ट्राइकोडर्मा के घोल मे 10 मिनट तक डुबो कर रखें।
- पौधरोपण के 15-20 दिन के अंतराल पर चेपा, सफेद मक्खी एवं थ्रिप्स के लिए 2 से 3 छिड़काव इमीडाक्लोप्रिड या एसीफेट के करें। माइट की उपस्थिति होने पर ओमाइट का छिड़काव करें।
- फल भेदक इल्ली एवं तम्बाकू की इल्ली के लिए इन्डोक्साकार्ब या प्रोफेनोफॉस का छिड़काव ब्याधि के उपचार के लिए बीजोंपचार, कार्बेन्डाजिम या मेन्कोजेब से करना चाहिए। खड़ी फसल मेंं रोग के लक्षण पाए जाने पर मेटालेक्सिल+मैन्कोजेब या ब्लाईटॉक्स का घोल बनाकर छिड़काव करें। चूर्णी फंफूद होने सल्फर घोल का छिड़काव करें।
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