अमेरिका को कभी भी अफगानिस्तान में दखल नहीं देना चाहिए था
(Taliban Peace Deal )
तेहरान (एजेंसी)। ईरान में अफगानिस्तान में शांति बहाल करने को लेकर अमेरिका-तालिबान के बीच हुए शांति समझौते को अमेरिका का ‘आत्मसमर्पण’ करार दिया है।(Taliban Peace Deal ) ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जरीफ ने ट्टवीट किया, ‘अमेरिका को कभी भी अफगानिस्तान में दखल नहीं देना चाहिए था, लेकिन उसने दिया और और इसके लिए हर किसी को दोषी ठहराया।
- उन्नीस साल तक अपमानित होने के बाद बाद अब उसने आत्मसमर्पण कर दिया है।
- अमेरिका अफगानिस्तान में ‘भारी अव्यवस्था’ फैला देगा जैसा कि उसने सीरिया, इराक और यमन में किया है।
- अमेरिका को तालिबान के साथ समझौते पर हस्ताक्षर काई अधिकार नहीं है।
- US को अफगानिस्तान में समझौते का समय निर्धारित करने को काई अधिकार नहीं है।
- ईरान मानता है कि अमेरिकी कार्रवाई का एक मात्र लक्ष्य वहां अपनी सैन्य उपस्थिति को सही ठहराना है।
अमेरिका ने तालिबान के साथ शांति समझौते पर किए थे हस्ताक्षर
कतर की राजधानी दोहा में अमेरिका और तालिबान के बीच 29 फरवरी को बहुप्रतीक्षित शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। तालिबान अमेरिका की शर्तें मान लेता हैं तो नाटो अफगानिस्तान से अपनी सेना 14 माह के भीतर वापस बुला लेगा।
अमेरिका और तालिबान ने कतर की राजधानी दोहा में शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद जारी एक बयान में कहा कि अगर तालिबान अमेरिका की शर्ते मान लेता है तो अमेरिका और नाटो 14 महीनों में अफगानिस्तान से अपने सेनाओं को पूरी तरह वापस बुला लेगा। बयान के अनुसार समझौते पर हस्ताक्षर के बाद अमेरिका 135 दिनों के भीतर अफगानिस्तान में अपने सैनिकों की संख्या में कमी कर इसे 8,600 तक ले आएगा।
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