UPI Loan Facility: बैंक से लोन लेने के लिए अब आपको बैंक जाने या फिर नेट बैंकिंग के जरिए लॉगिन करने की जरुरत नहीं होगी। आपके अपने UPI से ही आपकों लोन की सुविधा मिल जाएंगी। इसके लिए RBI ने बैंकों को दिशा निर्देश दे दिए हैं। RBI ने देश के सभी बैंकों से कस्टमर्स को यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस यानी UPI पर प्री-सैंक्शन लोन देने को कहा है, RBI के इस फैसले का प्रमुख उद्देश्य UPI पेमेंट सिस्टम के दायरें को बढ़ाना है।
दरअसल अब बैंक से लोन मिलना और भी आसान हो गया है, इसके लिए RBI ने बैंकों को नये दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं। अप्रैल के महीने में RBI ने मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक में UPI के दायरे को बढ़ाने के लिए उसमें क्रेडिट लोन को जोड़ने का प्रस्ताव दिया था और अब इसको लेकर आरबीआई ने घोषणा भी कर दी है।
कैसे काम करेगा UPI लोन? UPI Loan Facility
नये दिशा निर्देश के अनुसार अब आपको लोन लेने के लिए बैंक जाने की या इंटरनेट बैंकिंग का उपयोग करने की जरूरत नहीं है। RBI के नए निर्देश के अनुसार अब बैंक आपको UPI यानी यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस पर प्री-सैंक्शन लोन देने की सुविधा देगा। इस फैसले का उद्देश्य UPI पेमेंट सिस्टम को बढ़ावा देना है, आइए जानते हैं इस विषय पर RBI ने क्या कहा है।
RBI ने क्या कहा? UPI Loan Facility
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अपने बयान में कहा कि मौजूदा समय में सेविंग अकाउंट, ओवरड्राफ्ट अकाउंट, प्रीपेड वॉलेट और क्रिडिट कार्ड को भी UPI से जोड़ा जा सकता है। अब इसके दायरें को और भी अधिक बढ़ाया जा रहा है। UPI से अब क्रेडिट लाइंस को फंडिंग अकाउंट के रूप में शामिल करके इसे एक्सपैंड किया जा रहा है। RBI ने कहा कि इस सुविधा के तहत पर्सनल कस्टमर्स पूर्ण सहमति से शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंक की ओर से लोगों को जारी प्री-सैंक्शन लोन के माध्यम से पेमेंट, UPI सिस्टम का उपयोग करके ट्रांजेक्शन को इनेबल किया जाएगा।
बैंक को पहले बोर्ड से अप्रूवल लेना होगा
वहीं दूसरी ओर इस प्रोसेस को अमलीजामा पहनाने से पहले सभी बैंकों को पॉलिसी बनानी होगी और अपने बोर्ड से अप्रूवल लेना होगा। इस पॉलिसी में कर्ज कितना दिया जा सकता है और किन लोगों को दिया जा सकता है एवं लोन का टेन्योर कितना होगा साथ ही लोन के बदले कितना ब्याज लगाया जाएगा। इन सभी बातों को तय किया जाएगा, उसके बाद लोन देने की प्रक्रिया शुरू किया जाएगा। 6 अप्रेल को, केंद्रीय बैंक ने अपनी मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग के दौरान बैंकों की ओर से प्री-अप्रूव्ड क्रेडिट लाइनों के ट्रांसफर के माध्यम से भुगतान की अनुमति देने का प्रस्ताव रखा था। इसका उद्देश्य UPI का दायरा बढ़ाना था।