पिछले कुछ सालों में अचानक मौसम बदलने और अनियमित तापमान रहने से चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। किसान फसलों में नुकसान को झेल ही रहे हैं। पशुओं (Milch Animals) पर भी इसका बुरा असर हो रहा है। एक बार फिर मौसम ने अपना रुख बदल दिया है। पिछले कुछ दिनों से तापमान में बढ़त दर्ज की जा रही है। आईएमडी के पूर्वानुमान के मुताबिक, अप्रैल से दूसरे पखवाड़े से देश के कई इलाकों में अचानक तापमान बढ़ेगा और अगले 2 महीने भीषण गर्मी के आसार हैं। ऐसे में ना सिर्फ किसानों को सावधानी बरतने को कहा गया है, बल्कि अब पशुपालकों के लिए भी एडवायजरी जारी की जा रही है। पशुओं को तपती गर्मी और लू से बचाने के लिए अभी से विशेष इंतजाम करने की सलाह दी जा रही है, ताकि दूध-डेयरी के कारोबार पर बुरा असर ना पड़े।
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गर्मी में परेशान हो जाते पशु
बढ़ती गर्मी में पशुओं को लू लगने का खतरा भी बढ़ जाता है। कई बार तेज गर्मी में पशुओं की त्वचा सिकुड़ने और दूध की मात्रा कम होने के मामले देखे जाते हैं। यदि पशुओं की देखभाल में जरा सी लापरवाही उन्हें गंभीर बीमारियों का शिकार बना देती है, जिससे पशुओं की जान चली जाती हैं। इस समस्याओं से पशुओं को बचाने के लिए पशुपालकों को पहले से ही कुछ सुरक्षा इंतजाम करने होंगे। पशुओं के लिए तबेला या शेड डालकर पशु बाड़ा तैयार करना होगा।
इन बातों का रखें खास ध्यान
इंसान की तरह पशुओं को भी डीहाइड्रेशन की समस्या हो जाती है। पानी की कमी होने से पशु सही दूध नहीं दे पाते। गर्मी के दिनों में पशुओं को प्रतिदिन 2-3 बार पानी पिलाना चाहिए। इसके अलावा पशुओं (Milch Animals) को पानी में आटा और नमक मिलाकर पिलाने से लू लगने का खतरा नहीं रहता और पशुओं में एनर्जी कायम रहती है। तेज गर्मी पड़ने पर पशुओं में बुखार की संभावना बढ़ जाती है। इस दौरान पशुओं की जीभ बाहर निकल आती है और पशु झाग छोड़ने लगते हैं। पशुओं में सांस की दिक्कत भी पैदा हो जाती है और वे हांफने लगते हैं। पशु विशेषज्ञों के मुताबिक, ये सभी लक्षण दिखने पर बीमार पशुओं को सरसों का तेल पिला सकते हैं। इसमें मौजूद वसा से पशुओं में एनर्जी बढ़ जाती है और वे स्वस्थ-एनर्जेटिक महसूस करते हैं।
खान-पान का रखें खास ध्यान
गर्मियों के दौरान बेहतर दूध उत्पादन के लिए पशुओं को एक्स्ट्रा केयर और फीड की आवश्यकता होती है। इस दौरान पशुओं (Milch Animals) को हरा और पौष्टिक चारा खिलाएं। बता दें कि हरे चारे में 70 से 90 प्रतिशत पानी होता है, जिससे पशु हाइड्रेटिड रहते हैं।
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